ऑटो सेक्टर में मंदी से देहरादून के डीलर भी चिंतित, पढ़िए पूरी खबर
आर्थिक मंदी के दौर में ऑटो सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित माना जा रहा है। इस सेक्टर में न केवल बिक्री में गिरावट आई है बल्कि नौकरियों पर खतरा भी मंडरा रहा है।
देहरादून, जेएनएन। देश में आर्थिक मंदी के दौर में ऑटो सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित माना जा रहा है। इस सेक्टर में न केवल बिक्री में गिरावट आई है, बल्कि नौकरियों पर खतरा भी मंडरा रहा है। घरेलू बाजार में ऑटो सेक्टर की बिक्री में कमी ने जहां चारपहिया एवं दोपहिया वाहन निर्माता कंपनियों के लिए संकट खड़ा किया है वहीं ऑटो डीलरों के लिए भी मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। मांग में कमी के चलते ऑटो सेक्टर में मंदी की गिरफ्त और अधिक भयावह हो चुकी है।
दून के ऑटो डीलर भी मानते हैं कि इस वर्ष जुलाई में वाहनों की बिक्री में बीते 19 साल में सबसे तेज गिरावट दर्ज की गई है। ऑटो निर्माता कंपनियों के संगठन सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैनुफैक्चर्रस (सियाम) के ताजा आंकड़ों पर गौर करें तो इस जुलाई में देश में कुल वाहनों की बिक्री में 18.71 फीसद की गिरावट दर्ज की गई। ऑटोमोबाइल सेक्टर में छाई मंदी के चलते गत तीन महीने में 15,000 लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा। सियाम की मानें तो पैसेंजर वाहनों समेत दोपहिया वाहनों की बिक्री में गुजरे वर्ष की तुलना में करीब चार लाख की कमी आई है।
इससे पूर्व दिसंबर 2000 में ऑटोमोबाइल सेक्टर में करीब 21 फीसद की सबसे अधिक गिरावट दर्ज की गई थी। फिलहाल यह सेक्टर आने वाले दो माह और सुधार की गुंजाइश नहीं देख रहा। वाहन डीलरों की निगाह अक्टूबर से आरंभ हो रहे त्योहारी सीजन पर हैं। मंदी के संबंध में जब दून के वाहन डीलरों से बात की गई तो उन्होंने इसका ठीकरा जीएसटी, इंश्यारेंश और रजिस्ट्रेशन टैक्स पर फोड़ा। डीलरों की मानें तो पिछले कुछ समय में इन सभी मदों में इतनी ज्यादा वृद्धि हुई है कि ग्राहक सीधे प्रभावित हुआ है। इसी मुद्दे पर डीलरों की राय।
शमरेश सिंह (संचालक, टोयोटा शोरूम) का कहना है कि वाहनों पर जीएसटी बहुत ज्यादा है। ऊपर से उत्तराखंड में रजिस्ट्रेशन टैक्स काफी बढ़ गया है। बाजार में सरकार की ओर से रोज इलेक्ट्रिक व बीएस-6 वाहनों पर नए बयान आ रहे हैं, जिससे ग्राहक भी असमंजस में है कि पेट्रोल-डीजल वाहन ले या नहीं। जो हालत अब है, उसमें करीब 25 फीसद तक बिक्री में गिरावट आई है। सरकार को मदद तो करनी ही पड़ेगी, वरना ऑटो सेक्टर की स्थिति और खराब हो जाएगी।
राघव ओबराय (संचालक ओबराय मोटर्स) का कहना है कि वाहनों की बिक्री में निश्चित गिरावट आई है और सोचना मुश्किल है कि इससे निबटा कैसे जाए। पहले चुनाव का दौर था व अब सावन रहा, श्राद्ध आने वाले हैं। अब हमारी निगाह तो अक्टूबर में त्योहारी सीजन पर है कि शायद तब कुछ सुधार हो। जीएसटी पर तो केंद्र सरकार को कुछ बड़ा कदम उठाना ही चाहिए। मौजूदा समय में यह 28 से 45 फीसद तक बैठ रहा। पिछले छह-साल वर्ष में ऑटो सेक्टर पर टैक्स का बोझ लगातार बढ़ा है, जो मंदी का बड़ा कारण है।
सचिन अजमानी (संचालक बीएम हुंडई) का कहना है कि मैं 34 साल से ऑटो सेक्टर में हुं और काफी उतार-चढ़ाव देखे हैं। मंदी की बात करें तो मीडिया इसे ज्यादा हवा दे रहा है। दरअसल, केंद्र सरकार ने बैंकों के प्रति जो सख्ती की है, उससे डबल सख्ती बैंकों ने डीलरों पर की। कुछ डीलर जो गड़बड़ी कर रहे थे, उनकी दुकानें इससे बंद हो गई और दुष्प्रचार मंदी का किया जा रहा। सियाम ने जो ताजा आंकड़े जारी किए हैं, वे निर्माता कंपनियों के हैं, जबकि डीलर और ग्राहक के बीच कोई दूरी नहीं आई है। हां, इतना जरूर है कि सरकार को कार लोन के लिए नियम कुछ लचीले करने चाहिए।
अमित ओबराय (संचालक हीरो शोरूम) का कहना है कि बाजार में गिरावट के सबसे बड़े कारण जीएसटी और नोटबंदी हैं। इसके अलावा नए वाहन पर इंश्योरेंस पर पांच साल की बाध्यता और रजिस्ट्रेशन शुल्क बढऩा भी वाहन बिक्री में कमी का बड़ा कारण है। सरकार को जीएसटी की दरों में कमी तो करनी ही पड़ेगी, वरना ऑटो सेक्टर आगे नहीं बढ़ पाएगा। जब बीएस-6 वाहन आ जाएंगे तो ग्राहक पर और दस फीसद तक बोझ पड़ेगा। मौजूदा समय में बिक्री आधी रह गई है। केंद्र सरकार को वाहन लोन के मामलों में बैंकों को कुछ ढील तो देनी ही चाहिए।
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