उत्तराखंड रोडवेज में अक्षम कर्मचारियों की पहली सूची में ही गड़बड़ी
सरकार के आदेश पर पचास वर्ष से ऊपर के दागी व अयोग्य कर्मचारियों की सूची बनाने को लेकर रोडवेज में विवाद छिड़ गया। कर्मचारी यूनियन ने प्रबंध निदेशक से सूची की जांच कराने की मांग की।
देहरादून, जेएनएन। सरकार के आदेश पर पचास वर्ष से ऊपर के दागी व अयोग्य कर्मचारियों की सूची बनाने को लेकर रोडवेज में विवाद छिड़ गया है। यह आरोप है कि डिपो स्तर पर जो पहली सूची बनाई गई है, उसमें कई अक्षम कर्मचारियों को मिलीभगत से अभयदान मिल गया है। इसके अलावा कई ऐसे कर्मचारी हैं जो गत वर्षों में बेहतर काम कर रहे हैं, लेकिन पूर्व के ट्रैक रिकार्ड को आधार बनाकर जबरन उनका नाम सूची में दर्ज किया गया। इसके विरुद्ध उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन ने मोर्चा खोल दिया है और प्रबंध निदेशक को पत्र देकर सूची की जांच कराने की मांग की है।
रोडवेज में करीब 260 कर्मचारियों के ऊपर अनिवार्य सेवानिवृत्ति की तलवार है। पिछले दिनों प्रबंध निदेशक रणवीर चौहान के आदेश पर डिपो स्तर पर 11 कर्मचारियों की पहली सूची तैयार की गई। इसमें पचास वर्ष से ऊपर के अक्षम व दागी कर्मचारियों के नाम शामिल होने का दावा किया गया।
हालात ये हैं कि सूची मुख्यालय तक आने से पहले ही लीक हो गई और हर डिपो में पहुंच गई। जिनके नाम सूची में थे, उन्होंने विरोध शुरू कर दिया। दरअसल, मुख्यालय ने सभी डिपो से 50 साल के ऊपर के सभी कार्मिकों की गेच्युटी व शेष भुगतान संबंधी जानकारी 31 अगस्त 2019 तक के हिसाब के आधार पर मांगी थी।
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कर्मचारी यूनियन के महामंत्री अशोक चौधरी की ओर से प्रबंध निदेशक को दिए गए पत्र में बताया गया कि जो सूची बनाई गई है उसमें भारी अनियमितताएं हैं। कुछ अक्षम कार्मियों को छोड़कर नियमित कार्य कर रहे चालक-परिचालकों व कार्मियों को इसमें शामिल किया गया है। यूनियन द्वारा सूची की जांच की मांग की गई है। यूनियन ने भ्रष्ट अधिकारियों के विरुद्ध भी कार्रवाई की मांग की है।
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आरएम को सौंपा पत्र
रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद के दून मंडल के क्षेत्रीय अध्यक्ष मेतपाल सिंह व महामंत्री राकेश पेटवाल की ओर से कर्मियों की समस्याओं को लेकर मंडलीय प्रबंधक को पत्र सौंपा गया है। आरोप है कि पहले भी समस्याओं को लेकर पत्र दिया गया था लेकिन मंडलीय प्रबंधक ने यूनियन के पत्र पर गौर नहीं किया। यूनियन ने वार्ता न होने पर आंदोलन की चेतावनी दी है।
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