उत्तराखंड में और बढ़ सकता है बाघों का कुनबा, NTCA ने मांगा कैमरा ट्र्रैप और मोबाइल का ब्योरा
उत्तराखंड में सितंबर से बाघों की गणना शुरू होगी। नोडल अधिकारी नामित किए गए हैं और एनटीसीए को कैमरा ट्रैप का ब्योरा दिया गया है। पिछली गणना में उत्तराखंड में 560 बाघ थे और इस बार संख्या बढ़ने की उम्मीद है। बाघों की बढ़ती संख्या के साथ सुरक्षा और मानव-वन्यजीव संघर्ष जैसी चुनौतियां भी बढ़ रही हैं।

केदार दत्त, जागरण, देहरादून। उत्तराखंड समेत देश के बाघ बहुल 18 राज्यों में सितंबर से प्रारंभ होने वाली अखिल भारतीय बाघ गणना के लिए कसरत शुरू हो गई है। इसी कड़ी में नोडल अधिकारी नामित कर दिए गए हैं। साथ ही एनटीसीए (नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथारिटी) को कार्बेट और राजाजी टाइगर रिजर्व में कैमरा ट्रैप और मोबाइल फोन का ब्योरा उपलब्ध करा दिया गया है।
जल्द ही गणना कार्मिकों का प्रशिक्षण होगा। इस बीच उत्तराखंड का जैसा परिदृश्य है, वह दर्शाता है कि यहां बाघों के कुनबे में वृद्धि हो सकती है। यद्यपि, गणना के आंकड़े सार्वजनिक होने के बाद ही इसे लेकर तस्वीर साफ होगी।
पिछली अखिल भारतीय बाघ गणना वर्ष 2022 में हुई थी, तब देश में बाघों की संख्या 3682 आंकी गई। इसमें मध्य प्रदेश (785) व कर्नाटक (563) के बाद 560 बाघों के साथ उत्तराखंड तीसरे स्थान पर है।
यही नहीं, उत्तराखंड का कार्बेट टाइगर रिजर्व बाघों की संख्या के लिहाज देश के सभी 53 टाइगर रिजर्व में अव्वल है। कार्बेट में बाघों की संख्या 260 आंकी गई है। आंकड़ों को देखें तो वर्ष 2006 से उत्तराखंड में बाघों का कुनबा निरंतर बढ़ रहा है। वर्ष 2006 में राज्य में 178 बाघ थे।
राज्य में कार्बेट व राजाजी टाइगर रिजर्व समेत 12 वन प्रभागों में बाघों की मौजूदगी है। इस बीच बाघों ने नए आशियाने भी बनाए हैं और उच्च हिमालयी क्षेत्र तक में इनकी मौजूदगी के प्रमाण वहां लगे कैमरा ट्रैप में कैद हुई तस्वीरों से मिले हैं।
ऐसे में माना जा रहा है कि चार साल बाद हो रही बाघ गणना में यहां बाघों की संख्या में और बढ़ोतरी हो सकती है। ये बढ़े हैं या घटे यह गणना के आंकड़ों से ही साफ हो सकेगा।
इस बीच बाघ गणना के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। कुछ समय पहले एनटीसीए ने गणना के लिए नोडल अधिकारी नामित करने के निर्देश देते हुए टाइगर रिजर्व में कैमरा ट्रैप व मोबाइल से संबंधित आंकड़े भी मांगे थे।
राज्य के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक आरके मिश्र के अनुसार एपीसीसीएफ विवेक पांडेय को राज्य में बाघ गणना का नोडल अधिकारी बनाया गया है। साथ ही दोनों टाइगर रिजर्व में कैमरा ट्रैप व कार्मिकों के पास उपलब्ध मोबाइल फोन की संख्या का आंकड़ा भी एनटीसीए को भेज दिया गया है।
उन्होंने बताया कि अब एनटीसीए से प्रोटोकाल मिलने पर गणना कार्मिकों का प्रशिक्षण, कैमरा ट्रैप लगाने समेत अन्य कदम उठाए जाएंगे। बाघ गणना राज्य के सभी जिलों में की जाएगी।
बाघ बढ़ने के साथ बढ़ी चुनौती
उत्तराखंड में जिस तरह से बाघों की संख्या बढ़ रही है, उससे चुनौतियों में भी इजाफा हुआ है। सबसे अहम है बाघों की सुरक्षा। इसके अलावा कार्बेट टाइगर रिजर्व से सटे क्षेत्रों में बाघों के हमले भी बढ़े हैं।
उत्तराखंड में बाघ
गणना वर्ष | संख्या |
2022 | 560 |
2018 | 442 |
2014 | 340 |
2010 | 227 |
2006 | 178 |
बाघ बहुल प्रमुख चार राज्य
राज्य | संख्या |
मध्य प्रदेश | 785 |
कर्नाटक | 563 |
उत्तराखंड | 560 |
महाराष्ट्र | 444 |
प्रमुख पांच टाइगर रिजर्व
टाइगर रिजर्व | बाघ |
कार्बेट-उत्तराखंड | 260 |
बांदीपुर-कर्नाटक | 150 |
नागरहोल-कर्नाटक | 141 |
बांधवगढ़-मध्य प्रदेश | 135 |
मुदुमलई-तमिलनाडु | 114 |
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