Uttarakhand News: निगरानी के अभाव में दम तोड़ रहे पौधे, जंगलों में पौधे लगाकर इन्हें भूलने की परिपाटी पड़ रही भारी
देहरादून में वन विभाग द्वारा किए गए पौधारोपण के बाद पौधों की देखभाल ठीक से नहीं हो रही है जिससे कई पौधे नष्ट हो रहे हैं। पौधों के जीवित रहने की दर बढ़ाने के लिए अब विभाग थर्ड पार्टी मॉनिटरिंग और स्थानीय समुदाय की भागीदारी पर ध्यान दे रहा है ताकि पौधारोपण का सही उद्देश्य पूरा हो सके।

केदार दत्त, देहरादून। जंगल में मोर नाचा किसने देखा। वन क्षेत्रों में होने वाले पौधारोपण के मामले में यह कहावत एकदम सटीक बैठती है। जंगलों में पौधे रोपित कर इन्हें भूलने की परिपाटी पौधारोपण पर भारी पड़ रही है। निगरानी व रखरखाव के प्रति अनदेखी का ही नतीजा है कि पौधे असमय ही काल कवलित हो रहे हैं।
यही नहीं, पौधों के संरक्षण में जनसहभागिता सुनिश्चित करने के मोर्चे पर भी विभाग को अब तक खास सफलता नहीं मिल पाई है। यद्यपि, अब इन सभी विषयों पर विभाग का ध्यान गया है और वह पौधारोपण के संरक्षण पर विशेष जोर दे रहा है, ताकि रोपित पौधों के जीवित रहने की दर में वृद्धि हो सके।
जंगलों में हर साल ही बड़े पैमाने पर पौधारोपण होता है, लेकिन रोपित पौधों के जीवित रहने की दर को लेकर हर बार ही वन विभाग की कार्यशैली सवालों के घेरे में रहती है। रोपे गए पौधों में से 75 प्रतिशत के जीवित रहने की दर को आदर्श माना जाता है, लेकिन इस दृष्टि से स्थिति बेहद चिंताजनक है।
यहां 35 से 40 प्रतिशत पौधे भी जीवित नहीं रह पाते हैं। यह हालात, तब हैं, जबकि पौधारोपण के लिए नियम-कायदों के साथ ही निगरानी को विभाग के पास अच्छा-खासा तंत्र भी है। ऐसे में पौधे मर रहे हैं, तो प्रश्न उठेंगे ही।
जानकारों का कहना है कि रोपित पौधों में से 50 प्रतिशत भी जीवित रहकर वृक्ष में तब्दील जो जाएं तो जंगलों के लिए यह बेहतर स्थिति होगी। इसके लिए पौधों के संरक्षण के लिए तो वन विभाग को प्रभावी कदम उठाने ही होंगे, इसमें आमजन की सहभागिता भी सुनिश्चित करनी होगी।
देखभाल का है प्रविधान
पौधारोपण के लिए नियम है कि वन विभाग जो पौधे लगाएगा, उनकी तीन साल तक देखरेख करेगा। इसी तरह कैंपा के तहत होने वाले पौधारोपण में 10 साल तक रखरखाव का प्रविधान है। बावजूद इसके, निगरानी और रखरखाव के मामले में सुस्ती का आलम पौधारोपण के नुकसानकारी साबित हो रहा है।
पौधारोपण की होगी थर्ड पार्टी मॉनिटरिंग
पौधारोपण को लेकर निरंतर उठते आए प्रश्नों के बीच अब वन विभाग इसे लेकर संजीदा हुआ है। वन विभाग के मुखिया प्रमुख वन संरक्षक डा समीर सिन्हा के अनुसार रोपित पौधों के जीवित रहने की दर बढ़े, इस पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया है। इस कड़ी में पौधारोपण की थर्ड पार्टी मॉनिटरिंग की जाएगी। साथ ही विभागीय तंत्र को गंभीरता के साथ फालोअप के लिए निर्देशित किया गया है।
स्थानीय समुदाय की भागीदारी पर मंथन
जंगलों में लगने वाली आग पर नियंत्रण की तरह पौधारोपण में भी स्थानीय समुदाय की सीधी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए भी मंथन चल रहा है। प्रमुख वन संरक्षक डा सिन्हा के अनुसार इस संबंध में प्रारूप को जल्द ही तैयार कर इसे धरातल पर अमलीजामा पहनाया जाएगा।
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