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    मानसून आने को, उत्‍तराखंड में नदियों की बाढ़ से कहां तक खतरा? चिन्हित होंगे क्षेत्र

    Updated: Wed, 28 May 2025 01:56 PM (IST)

    उत्तराखंड में सिंचाई विभाग नदियों के किनारे के बाढ़ संभावित क्षेत्रों को चिन्हित कर रहा है। अब तक 15 नदियों के 691 किलोमीटर क्षेत्र को अधिसूचित किया ग ...और पढ़ें

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    अभी तक 15 नदियों के 691 किलोमीटर क्षेत्र को अधिसूचित किया जा चुका है बाढ़ मैदान परिक्षेत्र। जागरण आर्काइव

    राज्य ब्यूरो, जागरण देहरादून। मानसून आने को है। इसके साथ ही नदियों के उफान को लेकर चिंता बढ़ने लगी है। इस सबको देखते हुए उत्तराखंड में सभी नदियों के बाढ़ मैदान परिक्षेत्र अधिसूचित करने की दिशा में कदम बढ़ाए जा रहे हैं।

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    इससे यह सुनिश्चित हो सकेगा कि किसी भी नदी में बाढ़ की स्थिति में उसके दोनों तरफ कहां से कहां तक का क्षेत्र खतरे की जद में आ सकता है। अभी तक 15 नदियों के 691 किलोमीटर क्षेत्र को बाढ़ मैदान परिक्षेत्र के रूप में अधिसूचित किया जा चुका है। वर्तमान में देहरादून की बिंदाल और आसन नदियों के बाढ़ मैदान परिक्षेत्र को लेकर कसरत तेजी से चल रही है।

    हर साल ही मानसून के दौरान नदियों का वेग भयभीत करता है। नदियों की बाढ़ से बड़े पैमाने पर क्षति होती है। यह स्थिति न केवल उत्तराखंड बल्कि देश के अन्य राज्यों की भी है। इस सबको देखते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने पूर्व में सभी राज्यों के बाढ़ मैदान परिक्षेत्र अधिसूचित करने के आदेश दिए। इस कड़ी में गंगा, यमुना, अलकनंदा, भागीरथी, पिंडर, धौलीगंगा, टौंस, काली, शारदा जैसी नदियों के उद्गम स्थल उत्तराखंड में भी बाढ़ मैदान परिक्षेत्र अधिसूचित किए जा रहे हैं।

    क्या है बाढ़ मैदान परिक्षेत्र

    किसी भी नदी में बाढ़ की स्थिति में उसका पानी तटों के दोनों ओर कितने क्षेत्र को अपनी गिरफ्त में ले सकता है, उसे ही बाढ़ मैदान परिक्षेत्र कहा जाता है। इसे अधिसूचित करने के लिए 100 साल और 25 साल में अधिकतम बाढ़ के प्रभाव क्षेत्र का आकलन किया जाता है।

    इसके आधार पर ही बाढ़ मैदान परिक्षेत्र अधिसूचित किए जाते हैं। इस परिक्षेत्र में स्थायी निर्माण समेत कोई ऐसा कार्य नहीं हो सकता, जिससे नदियों के पानी का प्रवाह बाधित हो। यदि ऐसे अधिसूचित क्षेत्र में कोई कार्य बेहद आवश्यक है तो उसके लिए शासन से अनुमति लेनी आवश्यक है।

    रिस्पना के बाढ़ मैदान परिक्षेत्र में लगेंगे पिलर

    सरकार ने पिछले माह देहरादून की रिस्पना नदी के 77 किलोमीटर बाढ़ मैदान परिक्षेत्र की अंतिम अधिसूचना जारी करने के सिंचाई विभाग के प्रस्ताव को स्वीकृति दी थी। अब इस परिक्षेत्र में सिंचाई विभाग द्वारा सीमांकन सुनिश्चित करने के लिए पिलर लगाए जाएंगे। यदि इस परिक्षेत्र में कोई अतिक्रमण है तो उसे हटाने का जिम्मा नगर निगम और जिला प्रशासन का होगा। इससे पहले राज्य में 14 नदियों के 614 किलोमीटर क्षेत्र को बाढ़ मैदान परिक्षेत्र के रूप में अधिसूचित किया जा चुका है।

    'नदियों के बाढ़ मैदान परिक्षेत्र निर्धारित करने की दिशा में गंभीरता से काम चल रहा है। वर्तमान में देहरादून की बिंदाल नदी के बाढ़ मैदान परिक्षेत्र को लेकर काम चल रहा है, जबकि आसन नदी से संबंधित कार्य अंतिम चरण में है। इसके बाद अन्य जिलों की नदियों को चयनित किया जाएगा। - डा आर राजेश कुमार, सचिव सिंचाई