Dehradun News : अनदेखी के चलते महात्मा गांधी शताब्दी अस्पताल में बदहाली, बेड और बिल्डिंग फांक रहे धूल
देहरादून के गांधी शताब्दी अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली व्याप्त है। ढांचागत सुविधाएं और संसाधन होने के बावजूद उनका उचित उपयोग नहीं हो रहा है। अस्पताल में गिनती के विभाग चल रहे हैं और कई बेड धूल फांक रहे हैं। आईसीयू का लोकार्पण होने के बाद भी वह शुरू नहीं हो पाया है।

जागरण संवाददाता, देहरादून । सरकार भले ही स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर गंभीर दिखे, लेकिन विभागीय स्तर पर गंभीरता का अभाव दिखता है। व्यवस्थागत कुप्रबंधन बेहतरी की राह में रोड़ा बन रहा है। इसकी बानगी
महात्मा गांधी शताब्दी अस्पताल के रूप में देखी जा सकती है। यहां ढांचागत सुविधाएं हैं और पर्याप्त संसाधन भी, पर इनका ठीक ढंग से इस्तेमाल नहीं हो रहा है। कहने के लिए यह अस्पताल जिला चिकित्सालय का हिस्सा है, पर इस पर ध्यान देने वाला कोई नहीं है। यहां हर कदम पर बदहाली का मंजर दिखाई पड़ता है।
गिनती के विबाग, चुनिंदा मरीज
दून अस्पताल व दून महिला अस्पताल के मेडिकल कालेज में तब्दील होने के बाद यह बड़ा प्रश्न था कि अब जिला अस्पताल कहां होगा। सरकार ने कोरोनेशन व गांधी शताब्दी अस्पताल को एकीकृत कर जिला अस्पताल बनाया। गांधी शताब्दी अस्पताल को तब नेत्र रोग के अलावा चाइल्ड एंंड मैटरनिटी केयर सेंटर के रूप में संचालित किया जा रहा था। वहीं, मेडिसिन की आइपीडी, इमरजेंसी, ब्लड स्टोरेज यूनिट भी यहां संचालित थी। तीन साल तक गायनी विंग चलाने के बाद अस्पताल प्रशासन को सुध आई कि रैंप न होने से महिलाओं को दिक्कत हो रही है। साथ ही बिजली न रहने पर लिफ्ट भी बंद हो जाती है। परिणामस्वरूप गायनी विंग एकाएक कोरोनेशन अस्पताल में शिफ्ट कर दी गई।
धूल फांक रहे बेड
महिला विभाग दूसरी जगह शिफ्ट करने के बाद गांधी शताब्दी अस्पताल की चार फ्लोर की बिल्डिंग और 100 बेड धूल फांक रहे हैं। अब यहां केवल नेत्र रोग, चर्म रोग, मनोरोग की ओपीडी और पैथोलाजी व फिजियोथेरेपी की सुविधा दी जा रही है। लिफ्ट की यह स्थिति है कि तीन में सिर्फ एक लिफ्ट फिलहाल चल रही है। इसमें भी जब-तब खराबी आ जाती है। इस बीच एक अच्छी बात यह हुई है कि जिलाधिकारी की पहल पर यहां एसएनसीयू, माडल टीकाकरण केंद्र व दिव्यांग पुनर्वास केंद्र का संचालन शुरू हुआ है।
पहले डिस्ट्रिक्ट आइ रिलीफ सोसाइटी करती थी संचालन
गांधी शताब्दी चिकित्सालय का संचालन 1970 से डिस्ट्रिक्ट आइ रिलीफ सोसाइटी द्वारा किया जाता था। सोसाइटी की वर्ष 2005 में हुई आमसभा में यह निर्णय लिया गया कि अस्पताल की संपत्ति का सरकार अधिग्रहण करे, ताकि गरीब जनता को सस्ती दरों पर नेत्र चिकित्सा मिले। इस पहल के तहत अस्पताल राज्य सरकार के अधीन आया और वर्ष 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इसका लोकार्पण किया। दावा था कि नेत्र चिकित्सा के अलावा इसे मल्टीस्पेशलिटी हास्पिटल के रूप में विकसित किया जाएगा। आई बैंक की स्थापना की भी बात कही गई। शुरुआती सालों में अस्पताल ठीक चला, पर फिर स्थिति बदहाल होती चली गई।
आइसीयू पर लटका है ताला
गांधी शताब्दी चिकित्सालय में एक वक्त पर गायनी विंग का संचालन होता था। तब यहां दस बेड के आइसीयू की स्थापना की गई। जिसका लोकार्पण वर्ष 2021 में तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने किया था। पर तब से इस आइसीयू का संचालन ही नहीं हुआ है। सरकारी अस्पकालों में जहां एक तरफ आइसीयू बेड को लेकर मारामारी दिखती है, यहां आइसीयू बेड पड़े धूल फांक रहे हैं।
बदहाली का शिकार बिल्डिंग
अस्पताल की बिल्डिंग पर नजर दौड़ाए तो जगह-जगह बदहाली का मंजर दिखाई पड़ता है। कहीं प्लास्टर झड़ रहा है, तो कहीं सीलन दिखाई पड़ती है। मूलभूत सुविधाओं की भी कमोबेश यही स्थिति है। शौचालयों की स्थिति अत्यंत दयनीय है। इनकी साफ-सफाई भी ठीक ढंग से नहीं की जा रही। जिस कारण हर समय दुर्ग्ंध आती है। मरीज व तीमारदार इनका इस्तेमाल तक करने से कतराते हैं। इसके अलावा मरीज व तीमारदारों के बैठने की भी पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। कुर्सिंयां कम हैं, उसमें भी कई पर जंक लगा है, तो कुछ टूटी पड़ी हैं।
फायर सेफ्टी के भी इंतजाम अधूरे
अस्पताल में चर्म रोग, नेत्र रोग व मनोरोग की ओपीडी चलती है। इसके अलावा फिजियोथेरेपी के लिए भी मरीज आते हैं। वहीं, अब एसएनसीयू, माडल टीकाकरण केंद्र व दिव्यांग पुनर्वास केंद्र का भी संचालन किया जा रहा है। पर फायर सेफ्टी के पर्याप्त इंतजाम यहां नहीं हैं। स्थिति यह है कि कई जगह से फायर होज़ पाइप ही गायब हैं। बताया गया कि पाइप चोरी हो गए हैं।
गांधी शताब्दी अस्पताल में लगातार सुधार का प्रयास किया जा रहा है। एसएनसीयू, माडल टीकाकरण केंद्र व दिव्यांग पुनर्वास केंद्र का संचालन अब यहां किया जा रहा है। इसके अलावा जल्द ही डेंटल यूनिट का भी संचालन शुरू किया जाएगा। संसाधन बढ़ाने के साथ ही अवस्थापना सुधार के भी कदम उठाए जा रहे हैं। अगले कुछ वक्त में इसके सकारात्मक परिणाम दिखाई देंगे। -डा. मनु जैन, प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।