Cough Syrup: उत्तराखंड में एफडीए का आदेश बेअसर, खुलेआम बिक रहा बच्चों का कफ सिरप
राजस्थान और मध्य प्रदेश में कफ सिरप से बच्चों की मौत के बाद उत्तराखंड एफडीए ने दवा विक्रेताओं को डॉक्टर के पर्चे पर ही कफ सिरप बेचने का आदेश दिया था। हालांकि देहरादून में यह आदेश प्रभावी नहीं दिख रहा है और मेडिकल स्टोरों पर बिना पर्ची के कफ सिरप आसानी से मिल रहे हैं। एफडीए ने दवा विक्रेताओं को चेतावनी दी कि उल्लंघन करने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

सुमित थपलियाल, देहरादून। राजस्थान और मध्य प्रदेश में कफ सीरप के सेवन से बच्चों की जान जाने की घटनाओं के बाद उत्तराखंड के खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने दवा विक्रेताओं को निर्देश दिए हैं कि वे बच्चों का कफ सीरप केवल पंजीकृत चिकित्सक के पर्चे पर ही दें।
लेकिन, यह आदेश प्रभावी नहीं हो पाया है। शहर के मेडिकल स्टोरों पर बच्चों के कफ सीरप और अन्य दवाएं बिना चिकित्सीय परामर्श के आसानी से बेची जा रही हैं। कई स्थानों पर चिकित्सकों द्वारा लिखे गए पर्चे के बजाय दूसरी कंपनियों के सीरप दिए जा रहे हैं।
दैनिक जागरण संवाददाता ने मंगलवार को शहर के विभिन्न मेडिकल स्टोरों की पड़ताल की। सुबह पौने बाहर बजे कांवली रोड स्थित मेडिकल स्टोर पर पहुंचे और वहां बैठे युवक से पूछा कि पांच वर्ष के बच्चे के लिए कफ सीरप चाहिए, खांसी है, मिल जाएगा। तो तुरंत कहने लगा कि हां मिल जाएगा।
यहीं पर एक अन्य व्यक्ति ने भी खांसी का सीरप लिया तो उसे आसानी से मिल गया। इसी तरह बल्लीवाला चौक के पास केमिस्ट शाप में बच्चों की खांसी सुनते ही एकदम से सीरप उठाकर दे दिया और बोला 70 रुपये।
चकराता रोड पर एक मेडिकल स्टोर पर भी सीरप मांगने पर दुकानदार ने सीरप की बोतल उठाकर काउंटर पर रखी और बोला कि ले जाइए, अच्छा वाला है। तिलक रोड स्थित मेडिकोज में पहुंचे तो यहां सीरप लेने वालों की भीड़ थी।
जब विक्रेता से पूछा गया कि कफ सीरप बच्चे के लिए चाहिए तो उन्होंने बिना पर्चा मांगे निकालकर दे दिया। देहराखास के पास मेडिकल स्टोर में खांसी का सीरप मांगने पर स्टोर संचालक ने पूछा किसके लिए चाहिए तो बताया गया कि बच्चे के लिए। यहां भी बिना पर्चा लिए दवा मिल गई।
एफडीए ने स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी सलाह पर दिए हैं निर्देश
एफडीए ने स्वास्थ्य मंत्रालय की सलाह के अनुसार बच्चों की खांसी और जुकाम की दवा के सुरक्षित उपयोग के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इसमें कहा गया है कि पंजीकृत चिकित्सक के पर्चे पर ही बच्चों को कफ सीरप दिया जाए। डेक्सट्रोमेथारफन युक्त खांसी का सीरप चार वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए प्रतिबंधित है।
डेक्सट्रोमेथारफन के सभी फार्मूला अगले आदेश तक रोके
देहरादून, ऋषिकेश और विकासनगर में लगभग 6500 दुकानों ने ड्रग विभाग से लाइसेंस लिया है। होलसेल केमिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष संजीव तनेजा ने बताया कि एफडीए के आदेश का पालन किया जा रहा है।
पहले तीन दिनों में विभिन्न जिलों से 63 औषधियों के सैंपल जांच को भेजे गए हैं। जिनकी रिपोर्ट जल्द आएगी। देहरादून में तीन इंस्पेक्टर दवाओं की जांच को लेकर विभिन्न स्टोर पर जाकर सैंपल ले रहे हैं। हो सकता है कि कहीं पर बच्चों का सीरप मिल रहा हो, इसके लिए टीम को और सक्रिय रहने को कहा गया है।
दवा विक्रेताओं से पूर्व में भी कहा गया है कि बिना किसी पंजीकृत चिकित्सक के पर्चे पर बच्चों की खांसी की दवा न बेची जाए और न ही वितरित की जाए। आदेश का पालन करने वालों के विरुद्ध ड्रग्स अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी।
-ताजबर सिंह जग्गी, अपर आयुक्त खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन।
बच्चों को वायरल हो तो बिना डाक्टर को दिखाए न लें दवा
राजकीय दून मेडिकल कालेज अस्पताल के बाल रोग विभाग के एचओडी प्रोफसर डा. अशोक कुमार का कहना है वर्षा के चलते मौसम में बदलाव हो रहा है, जो बच्चों के लिहाज से संवेदनशील है। इस मौसम में वायरल पनपने का खतरा अधिक रहता है।
बच्चों में वायरल पहले पांच से सात दिन में ठीक हो जाता था, लेकिन अब 10-12 दिन लग रहे हैं। सर्दी, खांसी और जुकाम इसमें शामिल हैं। जिन बच्चों को टीका लगा हो, उनमें वायरल डिजीज की संभावना कम रहती है। ऐसे में इस मौसम में बच्चों को खूब पानी पिलाएं। कपड़े अच्छे से पहनाएं। चिकित्सक को दिखाएं और उसके परामर्श पर ही दवा लें।
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