Uttarakhand News: गंगोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ से शुरू हो सकती है जातीय जनगणना, सितंबर 2026 से शुरू होगा पहला चरण
उत्तराखंड में जातीय जनगणना की तैयारी शुरू हो गई है। यह जनगणना दो चरणों में होगी जिसकी शुरुआत हिमाच्छादित क्षेत्रों से होगी। गंगोत्री केदारनाथ और बद्रीनाथ जैसी नगर पंचायतों को प्राथमिकता दी जाएगी क्योंकि कपाट बंद होने के बाद आबादी निचले इलाकों में चली जाती है। पहला चरण सितंबर 2026 में और दूसरा फरवरी 2027 में शुरू होगा।

राज्य ब्यूरो, जागरण, देहरादून। उत्तराखंड में जातीय जनगणना को लेकर तैयारी शुरू हो गई है। दो चरणों में यह जनगणना की जाएगी। पहले चरण में जनगणना की शुरूआत प्रदेश के हिमाच्छादित क्षेत्रों से की जाएगी। माना जा रहा है कि उत्तराखंड में गंगोत्री, केदारनाथ व बदरीनाथ नगर पंचायत प्रमुख हैं।
पिथौरागढ़ जिले की दारमा और व्यास घाटी समेत प्रदेश के शेष अन्य हिमाच्छादित स्थानों का भी चयन करने की प्रक्रिया गतिमान है। जल्द ही जनगणना निदेशालय इस संबंध में विस्तृत प्रस्ताव शासन को भेजेगा, जिसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
केंद्र सरकार जनगणना की तिथियों की घोषणा कर चुकी है। इस कड़ी में पहले चरण की जनगणना हिमाच्छादित क्षेत्रों से होगी। जनगणना निदेशालय ने इन क्षेत्रों के चिह्नीकरण का कार्य शुरू कर दिया है। इनमें प्रमुख रूप से चमोली जिले की बदरीनाथ, रुद्रप्रयाग जिले की केदारनाथ व उत्तरकाशी की गंगोत्री नगर पंचायत शामिल हैं।
दरअसल, इन तीनों स्थानों पर नगर पंचायत छह माह के लिए होती है। कारण यह कि कपाट बंद होने के बाद यहां के लोग निचले इलाकों में चले जाते हैं। ऐसे में गणना में दोहराव की स्थिति से बचने के लिए इनकी जनगणना पहले की जाएगी। इसके अलावा चमोली, उत्तरकाशी, पिथौरागढ़ व अल्मोड़ा में भी ऐसे क्षेत्र चिह्नित करने का कार्य चल रहा है। जहां पहले चरण की जनसंख्या की गणना की जा सके।
पूरे देश की भांति उत्तराखंड में भी दो चरणों में जनगणना होनी है। इनमें पहला चरण हिमाच्छादित क्षेत्र हैं। जहां ये जनगणना 11 सितंबर, 2026 से शुरू होकर 30 सितंबर, 2026 तक चलेगी। दूसरा चरण नौ फरवरी, 2027 से शुरू होकर 28 फरवरी तक चलेगा। यह कार्य काफी वृहद होगा। ऐसे में माना जा रहा है कि इसके लिए 30 हजार कर्मचारियों की आवश्यकता पड़ेगी। इसके लिए इन सभी को पहले प्रशिक्षण दिया जाएगा।
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