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    Dehradun City News रबर चढ़े और घिसे हुए टायराें पर 'घिसट' रहा रोडवेज, 900 बसों के लिए मात्र 500 टायर खरीदे

    Updated: Wed, 13 Aug 2025 09:01 AM (IST)

    दिल्ली से देहरादून आ रही बस छुटमलपुर में टायर फटने से बाल-बाल बची। उत्तराखंड परिवहन निगम फटे टायरों के साथ बसों का संचालन कर रहा है जिससे यात्रियों की जान खतरे में है। निगम नियमों की अनदेखी कर रहा है और रबर चढ़ाए गए टायरों का उपयोग किया जा रहा है जो प्रतिबंधित है। अधिकारियों की लापरवाही भी सामने आई है।

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    प्रस्तुतीकरण के लिए सांकेतिक तस्वीर का प्रयोग किया गया है।

    अंकुर अग्रवाल, जागरण, देहरादून। किसी भी वाहन का पूरा बोझ टायर पर टिका होता है। अगर टायर घिसे, फटे हुए हों या उन पर रबर चढ़ाकर वाहन का संचालन किया जा रहा हो तो दुर्घटना का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। ...लेकिन उत्तराखंड परिवहन निगम को शायद इसकी कोई परवाह नहीं। उसे न तो अपनी बसों में सवार यात्रियों की सुरक्षा की चिंता है और ही दुर्घटना का कोई भय।

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    यही कारण है कि न केवल नियमों को ताक पर रखकर न केवल फटे एवं घिसे हुए टायरों पर बसों को दौड़ाया जा रहा बल्कि रबर चढ़े हुए टायरों पर बसों को पर्वतीय व लंबी दूरी के मार्गों पर भी भेजा जा रहा। ऐसी ही एक घटना में दिल्ली से दून आ रही रुड़की डिपो की बस छुटमलपुर में अगला पहिया फटने से पलटने से बच गई। बस के अगले दोनों टायर पूरी तरह घिसे हुए थे।

    दिल्ली से दून आ रही बस का छुटमलपुर में फटा अगला टायर, पलटने से बची बस

    बस में सबसे ज्यादा भार पिछले टायरों पर पड़ता है। पीछे के चार और आगे के दो टायर पूरी बस का नियंत्रण करते हैं। परिवहन निगम के पास लंबी दूरी की अधिकांश बसें 45 सीटर से ऊपर की हैं और उससे भी ताज्जुब की बात यह कि अधिकांश बसें खटारा हो चुकी हैं। वह चाहे लंबे मार्ग की बसें हों या फिर पहाड़ में दौड़ने वाली। इन बसों की स्थिति निगम नहीं सुधार पाया और टायर रबर के सहारे दौड़ रहे हैं। खास बात यह भी है कि अगर टायर ज्यादा घिस गए और उन पर रबर से काम लिया जा रहा है, तो टायरों के फटने की संभावना 90 प्रतिशत बढ़ जाती है।

    नियमों को ताक पर रखकर यात्रियों की जान से खिलवाड़ कर रहा परिवहन निगम

    मैदानी रूट पर बसें अंधाधुंध भागती हैं। मतलब यह कि रबर चढ़े टायरों वाली बसों में बैठे यात्रियों की जान से ज्यादा निगम के लिए नियमों को ताक पर रखना है। परिवहन निगम की आधी बसें अपनी निर्धारित आयु व किलोमीटर पूरे कर चुकी हैं। टायरों की उम्र भी समाप्त हो चुकी है।

    900 बसों के लिए मात्र 500 टायर खरीदे गए

    पिछले पांच साल में प्रदेश की 900 बसों के लिए मात्र 500 टायर खरीदे गए। वह भी केवल आगे के दो-दो टायर। अंदाजा लगाया जा सकता है कि बसों को किस तरह कामचलाऊ व्यवस्था से दौड़ाया जा रहा है। बस के पिछले पहियों पर पहले केवल देहरादून में रबर चढ़ाई जाती थी, बाद में काठगोदाम डिपो में भी यह काम होने लगा है। रबर चढ़ाने को तकनीकी भाषा में रिट्रेड करना कहा जाता है। यह पूरी तरह से प्रतिबंधित है। घिसे हुए टायर दो से तीन बार रिट्रेड करने पर टायर फटने लगता है।

    दिल्ली से दून आ रही बस का फटा टायर

    रविवार को हरिद्वार से खाटूश्यामजी जा रही बस का अगला पहिया मेरठ के वलीदपुर दौराला में निकलने से बस दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी, जिसमें चालक-परिचालक समेत एक दर्जन यात्री घायल हुए थे। अब सोमवार की सुबह करीब तीन बजे रुड़की डिपो की बस (यूके07-पीए-4505) दिल्ली से दून आते समय छुटमलपुर में बड़ी दुर्घटना का शिकार होते-होते बच गई। बस का अगला टायर फट गया और चालक ने बस बामुश्किल काबू की।

    बस के अनियंत्रित होने से यात्रियों में चीख-पुकार मच गई। बस में 30 यात्री सवार थे। बस पर चालक शिवम कुमार और परिचालक राजकुमार छोकर थे। निगम सूत्रों से पता चला कि बस के अगले दोनों टायर घिसे हुए थे। चालक की ओर से पिछले 15 दिन से लगातार शिकायत पंजिका में टायर बदलने को लिखा जा रहा था लेकिन कार्यशाला में ध्यान नहीं दिया गया।

    अपने नियमों को भुला बैठा है निगम

    परिवहन निगम की नियमावली में साफ लिखा है कि टायर नया होना चाहिए। इस पर रबर चढ़ाने पर पाबंदी है। इसी वर्ष चारधाम यात्रा शुरू होने से पहले देहरादून में विभिन्न विभागों की बैठक हुई थी। इसमें रबर चढ़े टायर को प्रतिबंधित कर दिया गया था। बैठक में परिवहन निगम के अधिकारी भी उपस्थित थे, इसके बाद भी निगम में टायरों पर रबड़ चढ़ाकर बसों को भेजा जा रहा। बसों में दो से तीन बार रबर चढ़ाई जा रही है। इसी कारण निगम की बसों के टायर या तो पंक्चर हो जाते हैं या फिर फट जाते हैं।

    आपदा में भी निगम अधिकारी का फोन बंद

    छुटमलपुर में टायर फटने से दिल्ली से आ रही बस की बड़ी दुर्घटना होने से बचने और रबर चढ़े टायर उपयोग में लाने के मामले में परिवहन निगम के अधिकारी जिम्मेदारी से बचते दिखे। महाप्रबंधक संचालन पवन मेहरा ने तो फोन ही नहीं उठाया जबकि मंडल प्रबंधक संचालन सुरेश चौहान ने कहा कि यह तकनीकी अधिकारियों से जुड़ा मामला है। मंडल प्रबंधक तकनीकी जेके शर्मा का फोन स्विच आफ दिखाता रहा, जबकि आपदा में राज्य सरकार ने सभी अधिकारियों को फोन चालू रखने के आदेश दिए हुए हैं।

    पुराने टायर पर रबर चढ़ाना नियम विरुद्ध है। ऐसे वाहनों पर चालान की कार्रवाई की जाती है। यदि परिवहन निगम भी नियमों का उल्लंघन कर रहा है तो उनकी बसों पर भी कार्रवाई की जाएगी। यात्रियों की सुरक्षा सबसे पहले आवश्यक है और इसमें किसी तरह की लापरवाही नहीं होनी चाहिए। संदीप सैनी, आरटीओ प्रशासन