Convocation of HNB University: एनएसए अजीत डोभाल को डीलिट की मानद उपाधि, 36 स्वर्ण छात्राओं के नाम
गढ़वाल केंद्रीय विवि के दीक्षा समारोह में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने 45 मेधावी छात्र-छात्राओं को स्वर्ण पदक के साथ ही 419 को उपाधि प्रदान की।
श्रीनगर गढ़वाल, जेएनएन। हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विवि के सातवें दीक्षा समारोह में डिग्री और मेडल पाकर छात्र-छात्राओं के चेहरे खिल उठे। समारोह में 45 छात्रों को स्वर्ण पदक दिए गए, जिनमें सर्वाधिक 36 स्वर्ण छात्राओं के नाम रहा। इस दौरान 419 छात्र-छात्राओं को डिग्री दी गई। साथ ही राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को डीलिट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया।
बतौर मुख्य अतिथि केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के साथ एनएसए अजीत डोभाल ने छात्रों को स्वर्ण पदक प्रदान किए। इस दौरान उन्होंने छात्र-छात्राओं का आह्वान करते हुए कहा कि उपाधि लेने के बाद नौकरी तक ही सीमित न रहें, बल्कि एक योद्धा की तरह जीवन में आगे बढ़ें।
गढ़वाल केंद्रीय विवि के कुलाधिपति डॉ. योगेंद्र नारायण ने कहा कि गढ़वाल केंद्रीय विवि देश में ज्ञान और शोध को लेकर एक विशेष केंद्र बनना चाहिए। डॉ. योगेंद्र नारायण ने सैन्य विज्ञान अध्ययन को बढ़ावा देने की बात कही। कहा कि डिफेंस स्टडीज के लिए गढ़वाल केंद्रीय विवि में एक अलग स्कूल खोला जाए। साथ ही चौरास परिसर में स्टेडियम के पुनर्निर्माण के साथ ही अप्रोच रोड का निर्माण भी शीघ्र करवाने का केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री से विशेष अनुरोध किया।
एनएसए अजीत डोभाल को डीलिट की मानद उपाधि
दीक्षा समारोह को संबोधित करते हुए डोभाल ने कहा कि उतार-चढ़ाव जीवन का हिस्सा हैं। इससे घबराना नहीं चाहिए, बल्कि योद्धा की भांति उनका मुकाबला करो और विजयी बनो। कहा कि जिंदगी में मंजिल से ज्यादा महत्व पड़ाव का है। चुनौतियों का सामना करने वाले ही पड़ावों को पार कर मंजिल तक पहुंचते हैं। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि अजीत डोभाल उत्तराखंड ही नहीं, देश के गौरव हैं।
छात्र-छात्राओं को नसीहत देते हुए निशंक ने कहा कि युवा सिर्फ सरकारी नौकरी के बारे में ही न सोचें, बल्कि स्वयं का कारोबार शुरू कर रोजगार देने वाले बनें। कहा कि हमें मेक इन चाइना, मेक इन अमेरिका नहीं, वरन मेक इन इंडिया को प्रभावी बनाना है। उन्होंने छात्रों का आह्वान किया कि स्वच्छ गंगा हमारी नैतिक जिम्मेदारी है। इसीलिए इस दिशा में भी काम करें। समारोह में स्नातकोत्तर के 419 छात्र-छात्राओं को उपाधि दी गईं। इनमें 45 को स्वर्ण पदक से नवाजा गया। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ. योगेंद्र नारायण और विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. अन्नपूर्णा नौटियाल और कुल सचिव डॉ. एके झा भी उपस्थित थे।
कुलपति प्रो. अन्नपूर्णा नौटियाल ने विवि परिवार की ओर से अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि जर्मनी, डेनमार्क, नेपाल, इजराइल के साथ ही अन्य देशों के विश्वविद्यालयों और उच्च शैक्षणिक संस्थानों के साथ शैक्षणिक और शोध कार्यों के आदान-प्रदान को लेकर गढ़वाल विवि एमओयू कर रहा है। इससे छात्रों के साथ ही फैकल्टियों को काफी लाभ मिलेगा। गढ़वाल विवि चौरास परिसर की सुरक्षा दीवार के निर्माण को लेकर 50 करोड़ के प्रस्ताव को स्वीकृति देने का अनुरोध कुलपति ने केंद्रीय मंत्री से किया। कुलसचिव डॉ. एके झा ने अतिथियों का आभार व्यक्त किया। प्रो. पीके जोशी ने दीक्षा समारोह का संचालन किया।
जम्मू-कश्मीर की छात्राओं की पहली पसंद है गढ़वाल विवि
डोडा जम्मू की महरूननिशा और कठुवा जम्मू की समृद्धि कपूर ने एमएससी बॉटनी में उपाधि ली। उन्होंने कहा कि गढ़वाल केंद्रीय विवि में शिक्षण कार्य उच्च स्तरीय है। इससे प्रेरित होकर जम्मू-कश्मीर क्षेत्र के अधिकांश छात्र-छात्राएं विशेषकर बॉटनी, फिजिक्स, गणित, केमिस्ट्री में स्नातकोत्तर की शिक्षा लेने के लिए गढ़वाल केंद्रीय विवि आते हैैं। यह उनकी पहली पसंद है।
रश्मि डोभाल को मिले पांच स्वर्ण पदक
गढ़वाल केंद्रीय विवि के बिड़ला परिसर श्रीनगर की छात्रा रश्मि डोभाल को दीक्षा समारोह में संस्कृत विषय में कुल पांच स्वर्ण पदक मिले। इस दौरान उन्होंने केंद्रीय मंत्री निशंक और एनएसए अजीत डोभाल से पदक मिलने को गौरवपूर्ण बताया।
श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति स्वर्ण पदक, श्रीमती सावित्री देवी स्वर्ण पदक, श्रीराम प्रपन्नाचार्य संस्कृत ट्रस्ट स्वर्ण पदक, डॉ. डीएन शास्त्री स्मृति स्वर्ण पदक के साथ ही रश्मि को 2017-2019 बैच के संस्कृत पीजी में सर्वोच्च रहने पर विवि की ओर से भी स्वर्ण पदक दिया गया। पांच स्वर्ण पदक मिलने से बेहद खुश रश्मि का कहना है कि उनके माता-पिता से उन्हें हमेशा आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली।
संस्कृत को एक रोजगारपरक विषय के रूप में आगे बढ़ाने को लेकर जागरूकता लाने की बहुत जरूरत है। उनकी माता यशोदा डोभाल नरेंद्रनगर के समीप डाबरखाल स्कूल में शिक्षिका और पिता परशुराम डोभाल आइटीआइ गैरसैंण में कार्यरत हैं। रश्मि की मां संस्कृत और हिंदी पढ़ाती हैं। रश्मि का कहना है कि संस्कृत में उनकी रुचि मां के कारण ही है।
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वहीं, डीएवी देहरादून के छात्र रहे हरदीप सिंह को इतिहास में स्वर्ण पदक मिला है। देहरादून के ही एक निजी विश्वविद्यालय में लॉ के छात्रों को इतिहास पढ़ा रहे हरदीप सिंह ने 2013 में रोहेलखंड विवि बरेली से भी लॉ में गोल्ड मेडल प्राप्त किया था।
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