यूपीईएस के दीक्षा समारोह में मेडल और डिग्री पाकर खिले छात्र-छात्राओं के चेहरे
यूनिवर्सिटी ऑफ पेट्रोलियम एंड एनर्जी स्टडीज (यूपीईएस) के दीक्षा समारोह में मेडल और डिग्री पाकर छात्र-छात्राओं के चहरे खिले उठे।
देहरादून, जेएनएन। यूनिवर्सिटी ऑफ पेट्रोलियम एंड एनर्जी स्टडीज (यूपीईएस) के दीक्षा समारोह में मेडल और डिग्री पाकर छात्र-छात्राओं के चहरे खिले उठे। मुख्य अतिथि उप राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने स्नातक और स्नातकोत्तर के पांच-पांच छात्र-छात्राओं को स्वर्ण पदक देकर सम्मानित किया। इसके अलावा तीन छात्र-छात्राओं को संस्थान स्वर्ण पदक और 72 छात्र-छात्राओं को रजत पदक से से नवाजा गया।
दीक्षा समारोह में स्नातक व स्नातकोत्तर के 3741 छात्र-छात्राओं को उपाधि प्रदान की गई। विवि के कुलाधिपति डॉ. एसजे चोपड़ा ने उप राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू का स्वागत करते हुए यूपीईएस की अभी तक की विकास यात्रा को प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि विवि में देशभर के 11 हजार से अधिक छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं। विवि में 90 से अधिक पाठ्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं।
विवि की शिक्षा यात्रा 2003 से प्रारंभ हुई। अब तक सात हजार से अधिक छात्र-छात्राओं को देश-विदेश में नौकरी प्राप्त हुई। उन्होंने बताया कि दीक्षा समारोह में स्नातक के 2497, स्नातकोत्तर के 1215 और पीएचडी के 29 छात्र-छात्राओं को उपाधि दी गई। विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. दीपेंद्र झा ने बताया कि यूपीईएस अगले शिक्षा सत्र से दो नए कोर्स 'स्कूल ऑफ स्मार्ट एग्रीकल्चर' व 'स्कूल ऑफ स्मार्ट मीडिया' शुरू करने जा रहा है। उन्होंने विवि की ओर से प्राप्त राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों का विवरण दिया। बताया कि दीक्षा समारोह में केंद्र सरकार के उपक्रम एचपीसीएल के 72 कर्मचारियों को भी एमबीए ऑयल एंड गैस की डिग्री प्रदान की गई। विवि की वरिष्ठ निदेशक दीपा वर्मा ने कहा कि किसी भी विवि के लिए एल्युमिनाई सबसे मूल्यवान संपत्ति है। समारोह में विवि की कुलसचिव डॉ. वीना दत्ता ने मास्टर ऑफ सेरेमनी की भूमिका अदा की। समारोह के दौरान सेना के बैंड के साथ राष्ट्रगान प्रस्तुत किया गया।
इन छात्रों को मिले स्वर्ण पदक
बीकॉम एलएलबी की शिखा पिसल, एलएलएम की प्रियशा प्रवीन कदम, बीटेक के ऋषभ सक्सेना, एमटेक के अरुण आर, बीटेक के शुभम सिंघल, एमटेक की अंजलि गौतम, बैचलर ऑफ डिजाइन की वर्तिका सक्सेना, मास्टर ऑफ डिजाइन की जीशान अली, बीबीए की नीलांक्षा जौहर और एमबीए के विश्वतेजा बोडला को स्वर्ण पदक प्रदान किया गया। इसके अलावा एनर्जी टेक्नोलॉजी की छात्रा विदुषि भारद्वाज, एमटेक के शक्तिवल एसआर, एमबीए की आस्था शर्मा को संस्थान स्वर्ण पदक दिए गए। समारोह में उच्च शिक्षा राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार डॉ. धन सिंह रावत, सहसपुर के विधायक सहदेव पुंडीर, जिलाधिकारी सी. रविशंकर, एसएसपी अरुण मोहन जोशी आदि मौजूद रहे।
युवा शक्ति है देश की धरोहर: बेबी रानी
दीक्षा समारोह में विशिष्ट अतिथि राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने कहा कि विवि से डिग्री प्राप्त करने के बाद छात्रों के समक्ष बेहतर कॅरियर बनने की चुनौती होती है। छात्रों को इसमें गंभीरता दिखाते हुए ऐसा कॅरियर चुनना चाहिए, जो उन्हें सफलता के मुकाम तक ले जाए। साथ ही समाज व देश के विकास में भी वह सहभागी बन सकें। उन्होंने कहा कि युवा शक्ति देश की धरोहर के समान है। देश का भविष्य उन्हीं के हाथ में है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड शिक्षा हब के रूप में जाना जाता है। इसलिए यहां पढऩे वाले छात्र-छात्राएं जब अपने जीवन क्षेत्र में जाएं तो देश के साथ संस्थान का नाम भी ऊंचा करें। उन्होंने कहा कि आज सूचना प्रौद्योगिकी का युग है। छात्र शोध में नवाचार को शामिल करें ताकि वह देश व दुनिया को अपने ज्ञान का लाभ दे सकें।
उप राष्ट्रपति ने समारोह में ये बातें भी कहीं
- हमारे शिक्षा संस्थान भविष्य के संभावित बदलावों को पहचानें और भविष्य की चुनौतियों को अवसर में बदलें।
- हमें अपनी शिक्षा प्रणाली में पुनर्विचार करने की आवश्यकता है। सिर्फ विवि की संख्या बढ़ाना ध्येय नहीं होना चाहिए।
- देश में आज 900 से अधिक विश्वविद्यालय हैं, लेकिन इनमें से विश्व के पहले 200 विवि में हमारा कोई विवि शामिल नहीं है।
- विवि सरकार द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रमों के साथ चले तो लाभ मिलेगा।
- आज टेक्नोलॉजी अविश्वसनीय रूप से परिवर्तित हो रही है। इससे कोई विवि अछूता नहीं है।
- कोई भी संस्थान तभी सफल माना जाएगा जब वह सुदूर भविष्य के लिए उद्यमी व विशेषज्ञ तैयार करे।
- देश चौथी औद्योगिक क्रांति के दौर में है, शिक्षण संस्थान इस क्रांति के लिए कौशल विकसित करें।
- देश के हर विवि का लक्ष्य होना चाहिए कि वह दुनिया के टॉप 100 विवि में शुमार हों।
विवि के छात्र नवाचार पर दें सरकार को सुझाव: सीएम
मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस छात्र-छात्रा के जेहन में नवाचार को लेकर कोई विचार आता है तो वह उसे सरकार के साथ साझा करे। सरकार उस नवाचार को बढ़ाना देने में हर संभव मदद करेगी।
शनिवार को यूनिवर्सिटी ऑफ पेट्रोलियम एंड एनर्जी स्टडीज (यूपीईएस) के दीक्षा समारोह में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत बतौर विशिष्ट अतिथि पहुंचे। इस दौरान उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 समाप्त होने के बाद उत्तराखंड में उच्च शिक्षा ग्रहण करने आए जम्मू-कश्मीर के छात्रों के अभिभावक चिंतित थे, लेकिन यहां किसी भी छात्र के साथ कोई भेदभाव या विवाद नहीं हुआ। यहां जम्मू-कश्मीर के सैकड़ों छात्र-छात्राएं विभिन्न संस्थानों में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। उन्होंनेकहा कि दो वर्ष पहले यूपीईएस के दीक्षा समारोह में उपाधि लेने वाले छात्र-छात्राओं और फैकल्टी के लिए पारंपरिक गणवेश में कार्यक्रम में शामिल होने की पहल की गई थी। इसे पूरे देश में सराहा गया। अब आइआइटी रुड़की, आइआइटी कानपुर के साथ कई आइआइएम के दीक्षा समारोह में भी पारंपरिक गणवेश धारण किए जा रहे हैं। ये गणवेश हमारी संस्कृति, लोक परंपरा की झलक प्रस्तुत करते हैं। उन्होंने कहा कि आज देश-दुनिया में देहरादून एजुकेशन कैपिटल के रूप में उभर रहा है। दून में देश के सभी राज्यों के छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। इस बार उत्तराखंड राज्य स्थापना के दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रम 'भारत-भारती' में लघु भारत की झलक देखने को मिली। उन्होंने यूपीईएस के शैक्षणिक वातावरण की प्रशंसा करते हुए कहा कि जिस संस्थान के बीच में एनर्जी शब्द जुड़ा हो, उस संस्थान के छात्र ऊर्जावान तो होंगे ही। उन्होंने कहा कि यूपीईएस से पासआउट छात्र-छात्राएं आज देश-दुनिया में नाम रोशन कर रहे हैं। मुख्यमंत्री को विवि के कुलपति डॉ. दीपेंद्र झा ने स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया।
युवाओं के समक्ष नवीन प्रौद्योगिकी से विश्व जीतने की चुनौती
देश के युवाओं के समक्ष आज नवीन प्रौद्योगिकी से विश्व में अपना परचम लहराने की चुनौती है। युवाओं को अगर तरक्की करनी है तो उन्हें पूरे विश्व से बौद्धिक मुकाबला करना होगा। उच्च शिक्षा ग्रहण करते हुए अपनी संस्कृति को भी प्रोत्साहन देना होगा। ये बातें उप राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने यूनिवर्सिटी ऑफ पेट्रोलियम एंड एनर्जी स्टडीज (यूपीईएस) के 17वें दीक्षा समारोह में कहीं।
कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे उप राष्ट्रपति ने छात्र-छात्राओं, अभिभावकों व विवि फैकल्टी को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में भारत आदिकाल से विश्व गुरु रहा है। यहां आर्य भट्ट, पाणिनी, चाणक्य जैसे महान शिक्षाविदों ने जन्म लिया। वेद-पुराण हमारी गौरवमयी शिक्षा पद्धति के परिचायक हैं। इसलिए देश के विश्वविद्यालयों को विश्व स्तरीय कैसे बनाए जाए, इसपर चिंतन किया जाना चाहिए। विश्वभर के विश्वविद्यालयों से हमारा मुकाबला है। इसके लिए हमें व्यापक तैयारी की जरूरत है। उन्होंने कहा कि छात्रों को सूचना प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, चिकित्सा, स्पेस साइंस, पर्यावरण जैसे तमाम विषयों पर गंभीर शोध तो करने ही हैं, लेकिन अपनी संस्कृति को संरक्षित कर उसके उत्थान के लिए भी तत्पर रहना है। देश की 50 फीसद आबादी आज 25 वर्ष से कम आयु की है। इससे साफ है कि आना वाला कल भारत का होगा।
मां, मातृ भूमि और मातृ भाषा को नहीं भूलना चाहिए
उप राष्ट्रपति ने कहा कि मां, मातृ भूमि और मातृ भाषा को कभी नहीं भूलना चाहिए। ये किसी भी व्यक्ति के जीवन के मूल तत्व हैं। उन्होंने कहा कि भारत आज पूरे विश्व की नजर में है। देश सामरिक रूप से तेजी से आगे बढ़ रहा है। देश की तेजी से बढ़ती अर्थव्यस्था में प्रत्येक देशवासी का योगदान होना चाहिए। उन्होंने युवाओं से कहा कि ब्रेन पावर को सकारात्मक विकास में लगाना है न कि नकारात्मक कार्यों में। इस दौरान विवि के कुलाधिपति डॉ. एसजे चोपड़ा ने उप राष्ट्रपति को स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया।
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स्वस्थ शरीर ही करेगा देश का विकास
उप राष्ट्रपति ने युवाओं को स्वास्थ्य के प्रति सचेत करते हुए नियमित व्यायाम की सलाह दी। कहा कि स्वस्थ शरीर ही परिवार, राज्य एवं देश के विकास में भागीदार हो सकता है।
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उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश-दुनिया में योग और प्राणायाम शुरू करने की पहल की। युवाओं को नियमित योग करना है न कि केवल मोदी बनने के बारे में सोचना है। उनके इस कथन पर पूरा पंडाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। उन्होंने स्वदेशी भोजन, मौसमी फल के साथ पारंपरिक खान-खान पर अधिक ध्यान देने और फास्टफूड से दूर रहने की नसीहत दी।
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