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खत्म हो गई डाकपत्थर के डियर पार्क की पहचान

विकासनगर डाकपत्थर की खूबसूरती को चार चांद लगाने वाला डियर पार्क अब झाड़ियों के जंगल में तब्दील हो चुका है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 25 Oct 2020 07:12 PM (IST)Updated: Sun, 25 Oct 2020 07:12 PM (IST)
खत्म हो गई डाकपत्थर के डियर पार्क की पहचान
खत्म हो गई डाकपत्थर के डियर पार्क की पहचान

संवाद सहयोगी, विकासनगर: डाकपत्थर की खूबसूरती को चार चांद लगाने वाला डियर पार्क अब झाड़ियों के जंगल में तब्दील हो चुका है। कभी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहा डियर पार्क का अस्तित्व अब धीरे-धीरे समाप्त हो रहा है। उधर सरकार पयर्टकों के लिए नए-नए पर्यटन केंद्र विकसित करने की सरकारी गतिविधियों में भी लगी है, लेकिन खूबसूरत डाकपत्थर के इस पार्क की सुध नहीं ली जा रही। स्थानीय जनप्रतिनिधि भी पर्यटन विकास की दिशा में गंभीर नजर नहीं आते।

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डाकपत्थर आने वाले पर्यटकों के लिए कभी यहां का डियर पार्क मुख्य आकर्षण का केंद्र हुआ करता था। पार्क के एक साइड शक्तिनहर व दूसरी तरफ डियर पार्क के चलते पर्यटक विशेषकर बच्चे हिरन व चीतल देखने के लिए दूर-दूर से आते थे। उत्तराखंड बनने के बाद प्रदेश की पहली निर्वाचित सरकार के कार्यकाल में जब सबसे अधिक जोर पर्यटन विकास पर दिया गया, उसी दौर में एक-एक करके सभी हिरनों को यहां से देहरादून स्थित मालसी डियर पार्क स्थानांतरित कर दिया गया। हिरनों के चले जाने के बाद यहां की जाने वाली देखरेख से भी सिचाई विभाग ने मुंह मोड़ लिया। डियर पार्क का यह क्षेत्र अब झाड़ियों व घास से अट गया है। हालांकि प्रदेश में कभी कांग्रेस तो कभी भाजपा सरकारों ने प्रदेश में नए पर्यटन केंद्र विकसित करने पर जोर दिया, लेकिन ऐसे किसी प्रयास में डाकपत्थर के बदहाल हो रहे डियर पार्क, कृत्रिम झील, ग्रीन पार्क की दशा सुधारने की कोशिश नहीं की गई। डाकपत्थर के राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित पूर्व ग्राम प्रधान सुबोध गोयल ने अपने कार्यकाल के दौरान कई बार इन पर्यटन केंद्रों को विकसित करने के लिए पत्राचार किया, लेकिन उनके पत्राचार का कोई जवाब तक उन्हें नहीं मिला। क्षेत्र निवासी व कर्मचारी नेता जीशान अली, दिनेश कुमार, संजय शर्मा, जसविदर सिंह लवली, बाबू सिंह, सोनू, विनोद कुमार आदि का कहना है कि स्थानीय जनप्रतिनिधियों को डाकपत्थर के पर्यटन केंद्रों को लेकर एक कार्ययोजना तैयार करके उस पर काम करने की आवश्यकता है। सरकार को भी नए पर्यटन केंद्र विकसित करने के बजाए पुराने ऐसे स्थानों का रखरखाव करने पर ध्यान देना चाहिए। जिसमें धन भी कम लगेगा और पर्यटक भी आकर्षित होंगे।


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