Updated: Mon, 22 Sep 2025 03:13 PM (IST)
उत्तराखंड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (यूटीयू) ने डीपशिवा चैटबाट बनाया है जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित है। इसका उद्देश्य कृषि पर्यटन और स्वास्थ्य सेवाओं की सही जानकारी देना है। राज्यपाल की प्रेरणा से शुरू हुई इस परियोजना के लिए राष्ट्रीय स्तर पर प्रतियोगिता हुई जिसमें छात्रों ने एआई चैटबाट बनाए। जीतने वाली टीमों को पुरस्कार मिलेंगे। यह चैटबाट भारतीय भाषाओं में तकनीकी समाधान देगा और डिजिटल क्रांति लाएगा।
अशोक केडियाल, देहरादून। वीर माधो सिंह भंडारी उत्तराखंड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (यूटीयू) ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग आधारित अभिनव पहल करते हुए डीपशिवा चैटबाट विकसित किया है। इस स्मार्ट संवाद प्रणाली से देश की कृषि, पर्यटन और स्वास्थ्य सेवाओं की वास्तविक तस्वीर सामने लाने का प्रयास किया जा रहा है।
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चैटबाट को यूटीयू की नवाचार एवं अनुसंधान विंग ने तैयार किया है। इसका मुख्य उद्देश्य हिंदी समेत भारतीय भाषाओं में आमजन से सहज संवाद स्थापित करना है, ताकि छात्र-शोधकर्ताओं को त्वरित जानकारी मिल सके और तकनीकी समस्याओं का सटीक समाधान संभव हो।
चैटबाट के जरिए आमजन को भी कृषि, स्वास्थ्य तथा पर्यटन से जुड़ी उपयोगी जानकारी सरल भाषा में उपलब्ध होगी। डीपशिवा परियोजना की घोषणा राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) के आह्वान पर की गई। उन्होंने युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा था कि ओपन सोर्स और ओपन एआई तकनीक का उपयोग कर ऐसा चैटबाट तैयार किया जाए, जो मौजूदा अंतरराष्ट्रीय चैटबाट्स से बेहतर साबित हो और देशहित में कार्य करे।
इसी प्रेरणा से यूटीयू ने योजना बनाई और चैटबाट का प्रारूप तैयार किया। इसके बाद राष्ट्रीय स्तर पर प्रतियोगिता प्रारंभ हुई, जिसमें देशभर के इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी संस्थानों के स्नातक व स्नातकोत्तर छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। प्रतिभागी टीमों को कृषि, पर्यटन या स्वास्थ्य सेवा में से किसी एक क्षेत्र का चयन कर एआई आधारित चैटबाट विकसित करना था।
प्रतियोगिता का मूल्यांकन शिक्षा एवं उद्योग जगत के विशेषज्ञों की देखरेख में विभिन्न चरणों में किया जा रहा है। प्रतियोगिता के पहले चरण में 46 प्रतिभागियों का चयन दूसरे चरण के लिए किया गया है। अंत में प्रत्येक टीम को अपना चैटबाट माडल प्रस्तुत करना होगा।
विजेता टीमों को क्रमशः पांच लाख रुपये का पहला पुरस्कार, तीन लाख रुपये का दूसरा पुरस्कार और दो लाख रुपये का तीसरा पुरस्कार मिलेगा। एआई चैटबाट ऐसे करता है कार्य एआई आधारित चैटबाट साधारण चैटबाट से अलग होता है।
सामान्य चैटबाट केवल तयशुदा उत्तर देता है, जबकि एआई चैटबाट उपयोगकर्ता की भाषा और प्रश्न की परिस्थिति को समझकर तार्किक और उपयुक्त उत्तर देता है। यह इंसान की तरह बातचीत करने, समझने और सही उत्तर देने में सक्षम होता है।
डीपशिवा न केवल यूटीयू के नवाचार का उदाहरण है, बल्कि यह पहल भारतीय भाषाओं और देशज जरूरतों पर आधारित तकनीकी समाधान प्रस्तुत कर रही है। इस परियोजना से युवा शोधकर्ताओं को नई दिशा मिलेगी और कृषि व पर्यटन जैसे क्षेत्रों में डिजिटल क्रांति का मार्ग प्रशस्त होगा।
-प्रो.ओंकार सिंह, कुलपति यूटीयू
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