करोड़ों की लागत से सुधारीकरण कार्य होने के बाद भी कालसी-चकराता राजमार्ग पर सफर खतरनाक
जनजाति क्षेत्र जौनसार बावर की लाइफ लाइन कहलाने वाले कालसी-चकराता राजमार्ग पर कई डेंजर प्वाइंट हैं लेकिन हादसे रोकने के लिए पर्याप्त इंतजाम नहीं किए गए हैं। कई जगह क्रश बेरियर या पैराफिट नहीं हैं। तीखे मोड पर पैराफिट न होने से लोगों को खतरेभरा सफर करना पड़ रहा है।
साहिया (देहरादून)। जनजाति क्षेत्र जौनसार बावर की लाइफ लाइन कहलाने वाले कालसी-चकराता राजमार्ग पर कई डेंजर प्वाइंट हैं, लेकिन हादसे रोकने के लिए पर्याप्त इंतजाम नहीं किए गए हैं। कई जगह क्रश बेरियर या पैराफिट नहीं हैं। तीखे मोड पर पैराफिट न होने से लोगों को खतरेभरा सफर करना पड़ रहा है।
कालसी से चकराता तक करीब एक दर्जन डेंजर प्वाइंट होने के बाद भी पैराफिट या क्रश बेरियर न होने से सवारियों को हमेशा हादसे का डर सताता रहता है। करीब साठ करोड़ रुपये की लागत से लोनिवि साहिया लाइफ लाइन का सुधारीकरण व डामरीकरण कार्य करीब पांच साल से करा रहा है, लेकिन विभाग ने कालसी चकराता रोड पर खाई किनारों पर अधिकांश डेंजर प्वाइंट पर अभी तक पैराफिट तक नहीं लगवाए हैं। जिससे अनियंत्रित हुए वाहन पैराफिट पर टकराकर रूक सकें और खाई में जाने से बच सकें। जौनसार बावर की लाइफ लाइन कालसी चकराता रोड के सुधारीकरण व डामरीकरण कार्य चल रहा है। जिसमें डामरीकरण, पुलों का निर्माण आदि कार्य किए जाने हैं। अभी तक न तो पुलों का निर्माण हुआ और न ही मार्ग किनारे अधिकांश स्थानों पर पैराफिट लगे हैं। मार्ग पर जजरेड पहाड़ी से भूस्खलन की समस्या ज्यों की त्यों है।
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साहिया में संकरे मार्ग का चौड़ीकरण तक नहीं किया गया। ग्रामीण विजय, मुकेश, सुरेश चौधरी, दयाराम, शिवम आदि का कहना है कि लोनिवि साहिया को कालसी से चकराता तक बने करीब एक दर्जन डेंजर प्वाइंट पर हादसे रोकने को खाई किनारे पैराफिट लगवाने चाहिए। मुंशीघाटी, शंभू की चौकी, जजरेड आदि ऐसे डेंजर प्वाइंट हैं, जहां रोड से गिरते ही वाहन सीधे तीन सौ मीटर गहरी खाई में समा जाता है। क्षेत्रीय लोगों ने लोनिवि के अधिशासी अभियंता डीपी सिंह से खाई किनारे पैराफिट या क्रश बेरियर बनवाने की मांग की।