जान के दुश्मन बन रहे देहरादून में पल रहे खूंखार कुत्ते, हजारों में संख्या
देहरादून में 98 पिटबुल समेत 4097 खूंखार कुत्ते खुलेआम घूम रहे हैं, जिससे लोगों में दहशत है। भारत सरकार ने इन नस्लों पर प्रतिबंध लगाया है, लेकिन नगर निगम कार्रवाई करने में विफल रहा है। पिछले कुछ महीनों में कुत्तों के हमले बढ़े हैं, और कई लोग बिना लाइसेंस के ही खतरनाक कुत्ते पाल रहे हैं। पालतू कुत्ते के काटने पर मालिक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई का प्रावधान है, लेकिन समस्या का समाधान अभी भी दूर है।

शहर में बेरोकटोक पल रहे 41 देशों में प्रतिबंधित 98 पिटबुल। प्रतीकात्मक
अंकुर अग्रवाल, जागरण देहरादून। 98 पिटबुल, 148 राटविलर व 656 जर्मन शेफर्ड व 22 बाक्सर समेत 4097 खूंखार कुत्ते अब शहर में आप पर हमला कर दें या आपकी जान के दुश्मन बन जाएं, कहा नहीं जा सकता। अमेरिका, ब्रिटेन, डेनमार्क, जर्मनी, स्पेन, कनाडा, इटली और फ्रांस जैसे 41 देशों में प्रतिबंधित होने के बावजूद उत्तराखंड की राजधानी दून में खूंखार नस्ल का पिटबुल कुत्ता बेरोकटोक पाला जा रहा है। भारत सरकार ने भी मार्च 2024 में लोगों पर बढ़ते जानलेवा हमलों को देखते हुए पिटबुल समेत 23 खतरनाक नस्ल के कुत्तों की बिक्री व प्रजनन पर रोक लगा दी थी, लेकिन इसके बावजूद स्थानीय निकाय निष्क्रिय बने हुए हैं। खासकर दून नगर निगम खतरनाक कुत्तों और आवारा कुत्तों के आतंक को लेकर नियम बनाने से आगे नहीं बढ़ पा रहा।
दून में खतरनाक पिटबुल और राटविलर जैसे कुत्तों का आतंक पिछले कुछ माह में लगातार बढ़ा है। वहीं, बात अगर विदेशों की करें तो कई देशों में इस नस्ल के कुत्ते को रिहायशी इलाकों में रखना वर्जित किया जा चुका है। दरअसल, पिटबुल जब एक बार किसी को अपने शिकंजे में लेता है तो उसके जबड़े एक तरह से लाक हो जाते हैं और फिर उससे छुड़ाना बेहद मुश्किल होता है। इसके बावजूद दून शहर में वर्तमान में 4097 खूंखार नस्ल के कुत्ते पल रहे हैं, जिनमें 98 पिटबुल हैं। दून में पिछले तीन दिन में कुत्ते के काटने व कुत्ते को लेकर किसी व्यक्ति पर जानलेवा हमले के दो मामले सामने आने के बाद शहर में बेरोकटोक पल रहे खूंखार कुत्तों को लेकर नगर निगम पर सवाल उठने लगे हैं। नगर निगम देहरादून से जारी लाइसेंस के आंकड़ों पर गौर करें तो शहर में देशी व विदेशी प्रजाति के कुल 4097 कुत्ते हैं। इसमें सबसे खतरनाक पिटबुल 98 घरों में जबकि 148 घरों में राटविलर और 22 घरों में बाक्सर पल रहे है। वहीं, 22 डाबरमैन, 656 जर्मन शेफर्ड और 346 भोटिया कुत्ते भी दून में पाले जा रहे हैं। यह संख्या लाइसेंस लेने वालों की है, जबकि बिना लाइसेंस भी कई घरों में खूंखार कुत्ते पल रहे हैं।
नगर निगम के नियमानुसार शहर में कुत्ता पालने के लिए गृहस्वामी का नगर निगम से लाइसेंस लेना अनिवार्य है, लेकिन बड़ी संख्या में लोग बिना लाइसेंस लिए ही आम प्रजाति से लेकर खूंखार नस्ल कुत्तों का पालन कर रहे हैं।यह स्थिति तब है जब पिटबुल समेत राटविलर व अन्य खूंखार नस्ल के कुत्ते की लोगों को काटने की घटना बीते कुछ दिनों में लगातार बढ़ी हैं। इसके बावजूद दून में खूंखार कुत्तों को पालने का शौंक कम नहीं हो रहा।
दून शहर में पंजीकृत कुत्ते
- नस्ल, संख्या
- पिटबुल, 98
- जर्मन शेफर्ड, 656
- लेब्राडोर, 735
- मिक्स, 860
- गोल्डन रोटवेयर, 261
- पामेरेनियन, 334
- भोटिया, 346
- बीगल, 155
- राटविलर, 148
- पग, 145
- हस्की, 74
- डेसहंड, 66
- काकर स्पेनियल, 48
- डालमेटियन, 12
- तिब्बतन मसटिफ, 18
- डाबरमैन, 22
- ल्यासा एप्सो, 84
- बाक्सर, 22
- चाऊ, चाऊ, 13
शिकायत पर होती है निगरानी
नगर निगम के वरिष्ठ पशु चिकित्साधिकारी डा. वरुण अग्रवाल ने बताया कि अगर कोई कुत्ता खूंखार हो जाता है और लोगों को काटने लगता है तो उसकी निगरानी का प्रविधान है। शर्त यह है कि इस सबंध में नगर निगम को शिकायत दी जानी चाहिए। निगम की पशु चिकित्सा अनुभाग की टीम कुत्ते की रेबीज जांच करती है। जब कुत्ते का व्यवहार ठीक हो जाता है तो उसे उसी स्थान पर छोड़ दिया जाता है। हाईकोर्ट के आदेश हैं कि एनिमल बर्थ कंट्रोल रूल के अनुसार कुत्तों को उनके ही स्थान पर वापस छोड़ा जाएगा। नगर निगम की ओर से पंजीकरण न कराने वालों के विरुद्ध कार्रवाई की जाती है। साथ ही लावारिस कुत्तों के बंध्याकरण का कार्य भी तेजी से किया जा रहा है।
45400 कुत्तों का हो चुका है बंध्याकरण
शहर में कुत्तों का आतंक रोकने के लिए दून नगर निगम की ओर से वर्ष 2016 में एबीसी (एनीमन बर्थ कंट्रोल) सेंटर की शुरुआत की गई थी। इसके बाद से यहां लावारिस कुत्तों की संख्या नियंत्रित करने के लिए बंध्याकरण किया जा रहा है। जगह-जगह से कुत्तों को पकड़कर उनका बंध्याकरण किया जाता है और फिर उसी स्थान पर छोड़ दिया जाता है। अब तक दून में 45400 कुत्तों का बंध्याकरण किया जा चुका है।
पालतू कुत्तों के पंजीकरण में वृद्धि
दून में करीब छह हजार पालतू कुत्तों का पंजीकरण किया जा चुका है। जिनमें विभिन्न प्रजाति के कुत्ते शामिल हैं। कुछ ऐसे भी कुत्ते पूर्व से पाले जाते रहे हैं, जो कि खतरनाक की श्रेणी में आते हैं। पिछले वर्ष मार्च में केंद्र सरकार की नई गाइडलाइन के अनुसार 23 प्रजाति के खूंखार कुत्तों के प्रजनन व बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के बाद दून में इनकी खुलेआम बिक्री भले नहीं हो रही, लेकिन चोरी-छुपे लोग बाहर से इन कुत्तों को लाकर यहां पाल जरूर रहे हैं। इनमें रोटविलर, पिटबुल, अमेरिकन बुली जैसी नस्ल के कुत्ते शामिल हैं।
पालतू कुत्ते के काटने पर सजा का प्रविधान
कई बार पालतू कुत्ते घर के बाहर या आसपास बुजुर्ग, बच्चे और महिलाओं पर हमला कर देते हैं। गंभीर काटने के मामलों में व्यक्ति की मौत भी हो जाती है। सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता राजीव कुमार गुप्ता ने बताया कि यदि किसी का पालतू कुत्ता किसी इंसान को काट लेता है तो भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा-291 के तहत आता है, जिसमें मालिक को छह महीने तक की सजा का प्रविधान है। इसके अलावा इसमें पांच हजार रुपये जुर्माने का प्रविधान भी है। पालतू कुत्ते के काटने पर किसी की मौत होने पर गैर-इरादतन हत्या के अंतर्गत मामला दर्ज किए जाने का प्रविधान है।

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