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उत्तराखंड में बांधों की सेहत जांचेगा 'डैम सेफ्टी रिव्यू पैनल', पढ़िए पूरी खबर

उत्तराखंड में डैम सेफ्टी रिव्यू पैनल बांधों की सेहत की जांच करेगा। विधानसभा के विशेष सत्र में सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने सदन को यह जानकारी दी।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Wed, 08 Jan 2020 06:35 PM (IST)Updated: Wed, 08 Jan 2020 06:35 PM (IST)
उत्तराखंड में बांधों की सेहत जांचेगा 'डैम सेफ्टी रिव्यू पैनल', पढ़िए पूरी खबर
उत्तराखंड में बांधों की सेहत जांचेगा 'डैम सेफ्टी रिव्यू पैनल', पढ़िए पूरी खबर

देहरादून, राज्य ब्यूरो। उत्तराखंड में नदियों, झीलों पर बने बांध कितने साल पुराने हैं, मौजूदा स्थिति क्या है, कहीं ये जनसामान्य के लिए खतरनाक तो नहीं, ऐसे तमाम बिंदुओं की जांच को सरकार डैम सेफ्टी रिव्यू पैनल बनाने जा रही है। विधानसभा के विशेष सत्र में प्रश्नकाल के दौरान उठे सवाल के जवाब में सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने सदन को यह जानकारी दी। उन्होंने यह भी माना कि कुमाऊं में भीमताल झील पर बने बांध से जल रिसाव हो रहा है। 

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प्रदेश में आजादी से पहले झीलों, नदियों पर कई बांध बने, लेकिन ये कब बने और इनकी आयु कितनी है, इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। भीमताल झील का बांध भी इनमें एक है। सौ साल से ज्यादा पुराने इस बांध की सेहत ठीक नहीं है। इससे जल रिसाव हो रहा है। विधायक राम सिंह कैड़ा ने विस के विशेष सत्र में तारांकित प्रश्न के जरिये यह मसला उठाया। 

विधायक कैड़ा ने कहा कि भीमताल झील का बांध जीर्ण-शीर्ण स्थिति में है। इसके टूटने से न सिर्फ झील के विलुप्त होने बल्कि आसपास के लोगों को भी खतरा हो सकता है। उन्होंने झील के रखरखाव और बांध पुननिर्माण के संबंध में सरकार से जानना चाहा। विधायक करन माहरा, प्रीतम सिंह ने भी इसके साथ ही अन्य बांधों को लेकर अनुपूरक प्रश्न उठाए। 

सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि सरकार के पास यही जानकारी है कि भीमताल झील का बांध सौ साल से ज्यादा पुराना है। बांध से जल रिसाव हो रहा है, मगर बांध किनारे बसे लोगों को कोई खतरा नहीं है। समस्या के निदान को राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान के जरिए कार्रवाई चल रही है। इस कड़ी में गोल्डन आइसोटोप मुहैया कराने को भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र से संपर्क किया गया है। 

उन्होंने बताया कि भीमताल समेत सभी बांधों को लेकर डैम सेफ्टी रिव्यू पैनल बनाया जा रहा है। इसमें राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान के साथ ही अन्य संस्थानों के विशेषज्ञ शामिल रहेंगे। यह पैनल बांधों का अध्ययन कर उनकी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगा। 

24 हाइड्रो प्रोजेक्ट पर 1500 करोड़ का जलकर 

जल संसाधनों की प्रचुरता वाले उत्तराखंड में अब जल विद्युत उत्पादन को पानी के उपयोग पर संबंधित कंपनियों को जलकर देना होगा। सरकार ने पांच मेगावाट व इससे कम क्षमता के हाइड्रो प्रोजेक्ट को छोड़कर शेष जल विद्युत परियोजनाओं से जलकर वसूलने का निर्णय लिया है। इसके लिए दर निर्धारण के साथ ही 24 परियोजनाओं पर 1577.41 करोड़ का जलकर अधिरोपित किया गया है। 

विधानसभा के विशेष सत्र में मंगलवार को विधायक धन सिंह नेगी ओर से पूछे गए अतारांकित प्रश्न के जवाब में सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने उक्त जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि दो माह पहले जलविद्युत उत्पादन को जल के उपयोग पर जलकर लगाने के संबंध में अधिसूचना जारी की गई। जलकर से राज्य में स्थित पांच मेगावाट और उससे कम क्षमता की जल विद्युत परियोजनाओं को छूट दी गई है। शेष सभी पर जलकर अधिरोपित किया जा रहा है। 

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सिंचाई मंत्री ने बताया कि राज्य में जलविद्युत उत्पादनरत सभी चिह्नित 24 जल विद्युत परियोजनाओं पर जल उपयोग के आंकड़ों के आधार पर 1577.41 करोड़ का जलकर लगाया गया है। इसके सापेक्ष जलकर के रूप में राज्य को नवंबर 2019 तक 392.34 करोड़ रुपये मिल चुके हैं। शेष राशि भी जल्द प्राप्त हो जाएगी।  

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जलकर का निर्धारण 

उपलब्ध हेड, दर (प्रति घन मीटर) 

30 मीटर तक,  दो पैसे 

31-60 मीटर, पांच पैसे 

61-90 मीटर, सात पैसे 

90 मीटर से ज्यादा, 10 पैसे 

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