Cyber Crime Alert: सावधान! साइबर ठग 30 ट्रिक से कर रहे हैं वार, इस तरीके को बनाया सबसे बड़ा हथियार
देहरादून में साइबर अपराधियों ने डिजिटल युग में ठगी का नया तरीका निकाला है। पिछले आठ महीनों में उन्होंने लोगों से 116 करोड़ रुपये लूटे हैं जिसमें सेक्सटॉर्शन के मामले सबसे ज्यादा हैं। वरिष्ठ नागरिक अक्सर इसका शिकार हो रहे हैं। पुलिस केवल 16.16 करोड़ रुपये ही बचा पाई है। साइबर ठगी होने पर तुरंत हेल्पलाइन नंबर 1930 पर शिकायत करने की सलाह दी जाती है।

सोबन सिंह गुसांई, देहरादून। डिजीटल युग में जहां इंटरनेट ने जिंदगी को आसान बनाया है वहीं साइबर अपराधियों ने इसे ठगी का जरिया बना दिया है। नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग (एनसीआरपी) के आंकड़ों के अनुसार साइबर ठग साइबर ठगी की घटनाओं को अंजाम देने के लिए 30 तरीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं।
इसमें सबसे अधिक मामले सेक्सटार्शन के सामने आ रहे हैं। सेक्सटार्शन के मामलों में वरिष्ठ नागरिक सबसे अधिक ठगी के शिकार बन रहे हैं। हालांकि बदनामी के डर से वह मुकदमा दर्ज नहीं करवाते।
साइबर सुरक्षा एजेंसियों की रिपोर्ट के अनुसार सबसे खतरनाक रूप से सेक्सटार्शन तेजी से बढ़ रहा है। इसमें ठग फेसबुक या वाट्सएप पर फर्जी अकाउंट बनाकर दोस्ती करते हैं। इसके लिए साइबर ठग वरिष्ठ नागरिकों को सबसे पहले निशाना बनाते हैं। कुछ दिन बातचीत कर वरिष्ठ नागरिकों का विश्वास हासिल करने के बाद वह वीडियो काल करते हैं।
वीडियो काल में एक नग्न युवती बातचीत करती दिखती है जोकि स्क्रीन रिकार्ड कर लेती है और उसके साथ पीड़ित की फोटो दिखती है। इसके बाद ठगी का सिलसिला शुरू होता है और साइबर ठग ब्लैकमेल कर पीड़ितों से मोटी रकम ऐंठते हैं। रकम न देने पर ठग वीडियो इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित करने की धमकी देते हैं, ऐसे में समाज में बदनामी के डर से पीड़ित रकम देने को तैयार हो जाते हैं।
हेल्पलाइन नंबर 1930 पर नजर डालें तो एक जनवरी से 26 अगस्त तक साइबर ठग प्रदेश के लोगों को साइबर ठगी का शिकार बनाते हुए 116 करोड़ रुपये ऐंठ चुके हैं। एक जनवरी से 31 मार्च के बीच साइबर ठगों ने 36 करोड़ रुपये ठगे जबकि एक अप्रैल से 26 अगस्त के बीच ठगी का आंकड़ा दोगुना से अधिक 80 करोड़ रुपये हो गया। पहली तिमाही में साइबर ठगी की कुल 6320 शिकायतें थी जबकि इसके बाद पांच महीनों में 10304 शिकायतें आईं।
116 करोड़ की ठगी में से 16.16 करोड़ ही बचाए
तमाम जागरुकता के बावजूद भी ठगी के शिकार पीड़ित पुलिस के पास शिकायत तब लेकर पहुंचते हैं जब साइबर ठग रकम को कई खातों में ट्रांसफर कर देते हैं, ऐसे में चाह कर भी साइबर थाना पुलिस रकम को बचा नहीं पाती। आठ माह में हुई 116 करोड़ की साइबर ठगी में से साइबर थाना पुलिस केवल 16.16 करोड़ यानि 7.17 प्रतिशत रकम ही बचा पाई है। रकम न बचा पाने का एक बड़ा कारण यही है कि लोग काफी देर बाद शिकायत दर्ज कराते हैं।
इन 30 तरीकों से की जा रही है साइबर ठगी
सेक्सटार्शन, निवेश का झांसा, फर्जी एसएमएस, फर्जी लोन एप, होटल बुकिंग, टेलीग्राम, क्रेडिट कार्ड, आनलाइन खरीदारी, ओटीपी, रिश्तेदार बनकर, ओएलएक्स, डिजीटल अरेस्ट, क्यूआर काेड, पार्सल, ट्रेडिंग, बिजली बिल, नौकरी संबंधी, गूगल सर्च, लिंक पर क्लिक, आनलाइन गेमिंग, वीडियो काल, ड्रीम-11, आनलाइन लाटरी, पालिसी, मैटरोमोनियल, फर्जी बिजनेस खाता, गिफ्ट भेजने, काइन, काइन रिडीम व केवाइसी अपडेट शामिल हैं।
साइबर ठगी हुई तत्काल 1930 पर करें शिकायत
एसएसपी एसटीएफ नवनीत भुल्लर ने बताया कि यदि किसी के साथ साइबर ठगी हुई है तो उसे तत्काल 1930 पर शिकायत करनी चाहिए, ताकि जिन खातों में यह धनराशि गई है उन्हें फ्रीज किया जा सके। अमूमन लोग ठगी के कई दिन बाद शिकायत लेकर आते हैं, जिसके चलते साइबर ठग कई खातों में छोटी-छोटी रकम ट्रांसफर करा चुके होते हैं, ऐसे में तत्काल बड़ी संख्या में खातों को फ्रीज करना मुश्किल है।
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