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    जेवर एयरपोर्ट से सारस क्रेन और ब्लैकबक के वासस्थल पर संकट

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Sun, 09 Feb 2020 08:08 PM (IST)

    एयरपोर्ट से उत्तर प्रदेश के राज्य पक्षी सारस क्रेन समेत ब्लैकबक (कृष्ण मृग) का प्राकृतिक वासस्थल काफी हद तक समाप्त हो जाएगा।

    जेवर एयरपोर्ट से सारस क्रेन और ब्लैकबक के वासस्थल पर संकट

    देहरादून, सुमन सेमवाल। उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर में बनने जा रहे जेवर एयरपोर्ट से उत्तर प्रदेश के राज्य पक्षी सारस क्रेन समेत ब्लैकबक (कृष्ण मृग) का प्राकृतिक वासस्थल काफी हद तक समाप्त हो जाएगा। हालांकि, अच्छी बात यह है कि दूसरी जगह पर इनका वासस्थल आसानी से विकसित किया जा सकता है। देहरादून स्थित भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआइआइ) ने इस पर काम शुरू कर दिया है और प्रारंभिक रिपोर्ट उम्मीद भी जगाती है।

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    भारतीय वन्यजीव संस्थान के निदेशक व पक्षी विशेषज्ञ डॉ. धनंजय मोहन के मुताबिक जेवर एयरपोर्ट करीब 1300 हेक्टेयर भूमि पर बन रहा है। राहत की बात है कि यह भूमि वन क्षेत्र नहीं है, बल्कि निजी काश्त की भूमि है। फिर भी यह पूरा इलाका प्रमुख रूप से सारस क्रेन व ब्लैकबक का प्राकृतिक वासस्थल है। एयरपोर्ट निर्माण से इस पूरे भूक्षेत्र में वन्यजीवों का वासस्थल समाप्त हो जाएगा। इसी चिंता को लेकर पिछले साल केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु मंत्रालय ने डब्ल्यूआइआइ को एक एक्शन प्लान तैयार करने को कहा था। ताकि इसमें वन्यजीवों के वासस्थल को पहुंचने वाली क्षति के आकलन के साथ संरक्षण की दिशा में भी काम किया जा सके।

    डॉ. धनंजय मोहन के मुताबिक प्रारंभिक रिपोर्ट पर्यावरण मंत्रालय व एयरपोर्ट का निर्माण करने वाली संस्था यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी को भेज दी है। इसमें सुझाव दिया गया है कि जेवर एयरपोर्ट से 10 किमी दूर वन्यजीवों के लिए नया प्राकृतिक वासस्थल विकसित किया जा सकता है। यह क्षेत्र कितना बड़ा होगा और पूर्व के वासस्थल पर कितनी संख्या में वन्यजीव प्रभावित होंगे, इस पर अभी काम चल रही है। जल्द विस्तृत एक्शन प्लान केंद्र सरकार को भेज दिया जाएगा।

    यमुना एक्सप्रेसवे एक्शन प्लान पर करेगी काम

    निदेशक डॉ. धनंजय मोहन के अनुसार कुछ दिन पहले ही एयरपोर्ट का निर्माण करने वाली संस्था यमुना एक्सप्रेसवे अथॉरिटी के अधिकारियों के साथ बैठक की गई थी। बैठक में अधिकारियों ने कहा था कि एक्शन प्लान के अनुरूप उन्हें संरक्षण संबंधी जो भी काम करना पड़ेगा, वह उससे पीछे नहीं हटेंगे। इस काम में जितनी भी धनराशि की जरूरत होगी, उसे पूरा वहन किया जाएगा।

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    ओखला पक्षी विहार पर नहीं पड़ेगा असर

    डॉ. धनंजय मोहन का कहना है कि जेवर एयरपोर्ट के निर्माण से ओखला पक्षी विहार के वासस्थल पर कोई असर नहीं पड़ेगा। दोनों के बीच की दूरी अधिक होने के चलते पक्षी विहार के वन्यजीव महफूज रहेंगे। 

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