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    Uttarakhand में अपंजीकृत नशा मुक्ति केंद्र होंगे सील, जुर्माना तय; सभी जिलों के लिए निर्देश

    Updated: Fri, 11 Jul 2025 08:26 PM (IST)

    उत्तराखंड में नशा मुक्ति अभियान को और सख्त किया जाएगा। स्वास्थ्य सचिव ने सभी जिलों में निरीक्षण टीम गठित करने के निर्देश दिए हैं। अपंजीकृत और मानकों से कमतर नशा मुक्ति केंद्रों को सील किया जाएगा और उन पर जुर्माना लगाया जाएगा। सरकार ने जनता से भी ऐसे केंद्रों की सूचना देने की अपील की है ताकि नशे के खिलाफ इस अभियान को सफल बनाया जा सके।

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    उत्तराखंड में अवैध नशा मुक्ति केंद्रों पर कड़ी कार्रवाई। प्रतीकात्‍मक

    जागरण संवाददाता, देहरादून। धामी सरकार ने 'नशा मुक्त उत्तराखंड' अभियान को और अधिक सख्ती से लागू करने का फैसला लिया है। शुक्रवार को स्वास्थ्य सचिव डा. आर राजेश कुमार की अध्यक्षता में आयोजित राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण की बैठक में इस संबंध में कई अहम निर्णय लिए गए।

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    सभी जिलों में निरीक्षण टीम गठित की जाएंगी। हर नशा मुक्ति केंद्र की गहन जांच होगी और जो संस्थान पंजीकरण के बिना या निर्धारित मानकों के विपरीत संचालित होते मिलेंगे, उन पर आर्थिक दंड सहित तत्काल बंदी की कार्रवाई की जाएगी।

    सचिवालय में आयोजित बैठक में स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि 'नशा मुक्त उत्तराखंड' एक नीतिगत योजना से आगे बढ़कर जन आंदोलन का रूप ले चुका है। उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य केवल केंद्रों पर अंकुश लगाना नहीं, बल्कि समाज को जागरूक कर नशे की प्रवृत्तियों को जड़ से समाप्त करना है। उन्होंने सभी विभागों को निर्देशित किया कि ग्राम स्तर से लेकर शहरी क्षेत्रों तक जन-जागरूकता अभियान चलाया जाए।

    आम जनता से भी अपील की गई कि वे ऐसे किसी भी संदिग्ध या अवैध केंद्र की जानकारी प्रशासन को दें और अभियान का हिस्सा बनें। इस दौरान स्वास्थ्य महानिदेशक डा. सुनीता टम्टा, मुख्य कार्यकारी अधिकारी डा. शिखा जंगपांगी, संयुक्त निदेशक डा. सुमित बरमन, सहायक निदेशक डा. पंकज सिंह सहित प्राधिकरण और संबंधित विभागों के कई अधिकारी उपस्थित रहे।

    मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं के सुदृढ़ीकरण की योजना भी हुई प्रस्तुत

    बैठक में राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण की वर्तमान गतिविधियों की समीक्षा की गई और भावी कार्ययोजना पर चर्चा हुई। इसमें बताया गया कि मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता, पारदर्शिता और पहुंच को और बेहतर बनाया जाएगा, ताकि राज्य में पुनर्वास और उपचार व्यवस्था का भरोसा बढ़े।

    तीन अहम निर्देश, तीन मोर्चों पर कार्रवाई

    • सभी जिलों में गठित होंगी टीमें: स्वास्थ्य सचिव डा. आर. राजेश कुमार ने निर्देश दिए कि मानसिक स्वास्थ्य देखरेख अधिनियम-2017 के तहत प्रत्येक जिले में जिला स्तरीय निरीक्षण टीमें तुरंत गठित की जाएं। इन टीमों को अधिकार होगा कि वे नियमित रूप से नशा मुक्ति केंद्रों का निरीक्षण करें और अनुपालन की स्थिति की रिपोर्ट तैयार करें।
    • प्रत्येक नशा मुक्ति केंद्र की गहन जांच होगी : प्राधिकरण यह सुनिश्चित करेगा कि हर केंद्र की गहन और तथ्यात्मक जांच हो। यह परखा जाएगा कि क्या केंद्र में पर्याप्त चिकित्सकीय स्टाफ है, क्या पुनर्वास सेवाएं उपलब्ध हैं और क्या उपचार की प्रक्रिया मानवीय और वैज्ञानिक है।
    • अपंजीकृत और मानकों से कमतर केंद्रों पर आर्थिक दंड व बंदी : जिन केंद्रों का संचालन बिना वैध पंजीकरण हो रहा है, या जो मूलभूत मानकों को पूरा नहीं कर रहे हैं, उन्हें तुरंत बंद किया जाएगा। ऐसे केंद्रों पर कड़ा आर्थिक जुर्माना लगाया जाएगा और कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी। स्वास्थ्य सचिव ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि राज्य में अवैध या कमजोर सेवाओं वाले नशा मुक्ति केंद्र अब नहीं चलेंगे।