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    राजस्थान व MP की घटनाओं के बाद उत्तराखंड में एफडीए का बड़ा कदम, डॉक्टर के पर्चे पर ही मिलेगी बच्चों की कफ सिरप

    Updated: Sat, 04 Oct 2025 05:51 PM (IST)

    उत्तराखंड एफडीए ने बच्चों में खांसी और जुकाम की दवाओं के सुरक्षित उपयोग के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। दो साल से कम उम्र के बच्चों को ये दवाएं नहीं दी जानी चाहिए। बिना चिकित्सक के पर्चे के कफ सिरप बेचने पर रोक लगाई गई है। यह कदम राजस्थान में कफ सिरप पीने से हुई बच्चे की मौत के बाद उठाया गया है।

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    स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा जारी सलाह के अनुरूप उठाया गया कदम। प्रतीकात्‍मक

    जागरण संवाददाता, देहरादून। उत्तराखंड के खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने बच्चों में खांसी और जुकाम की दवाओं के सही और सुरक्षित उपयोग के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। यह कदम स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा जारी सलाह के अनुरूप उठाया गया है।

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    एफडीए ने स्पष्ट किया है कि दो साल से कम उम्र के बच्चों को खांसी और जुकाम की दवाएं नहीं दी जानी चाहिए। पांच साल से कम उम्र में ये दवाएं आमतौर पर सुरक्षित नहीं मानी जातीं। पांच साल से अधिक उम्र के बच्चों में भी इन दवाओं का उपयोग केवल चिकित्सक की सावधानीपूर्वक जांच, उचित खुराक, न्यूनतम अवधि और सुरक्षित दवा संयोजन का पालन करते हुए किया जाना चाहिए।

    सभी दवा विक्रेताओं और चिकित्सकों को निर्देश दिया गया है कि बिना पंजीकृत चिकित्सक की वैध पर्ची के कोई भी खांसी की दवा न बेची या वितरित की जाए। इसके अलावा, खांसी की सिरप की गुणवत्ता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नियमित सैंपलिंग भी अनिवार्य होगी।

    औषधि नियंत्रक ताजबर सिंह ने बताया कि यह कदम बच्चों की सुरक्षा और दवाओं के विवेकपूर्ण उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है। सावधानी की आवश्यकता इसलिए और बढ़ गई है क्योंकि हाल ही में राजस्थान के सीकर में पांच वर्षीय बच्चे की मौत कफ सिरप (डेक्सट्रोमेथारफन हाइड्रोब्रोमाइड) पीने के बाद हुई थी। इसके अलावा, राजस्थान और मध्य प्रदेश के कई अन्य जिलों में भी बच्चों के बीमार होने के मामले सामने आए हैं, जिसके बाद राज्य का औषधि नियंत्रण विभाग भी सतर्क हो गया है।

    केंद्र की एडवाइजरी पर तुरंत कार्रवाई

    स्वास्थ्य सचिव एवं एफडीए आयुक्त डा. आर. राजेश कुमार ने सभी मुख्य चिकित्साधिकारियों को आदेश दिए कि भारत सरकार की एडवाइजरी का तत्काल प्रभाव से पालन किया जाए। उन्होंने निर्देश दिए कि औषधि निरीक्षक कफ सिरप के नमूने एकत्र करें और उनकी प्रयोगशाला जांच कराएं, ताकि किसी भी दोषपूर्ण या हानिकारक दवा को बाजार से तुरंत हटाया जा सके।

    बच्चों के लिए प्रतिबंधित सिरप न लिखें डाक्टर

    आयुक्त ने प्रदेश के सभी चिकित्सकों से आग्रह किया है कि वे केंद्र सरकार की एडवाइजरी का संज्ञान लेते हुए प्रतिबंधित कफ सिरप न लिखें। यदि चिकित्सक इन सिरप को लिखेंगे तो मेडिकल स्टोर भी उन्हें बेचेंगे। इसलिए जरूरी है कि डाक्टर स्वयं जिम्मेदारी दिखाएं और प्रतिबंधित दवाओं से परहेज करें।

    प्रदेशभर में छापेमारी और सैंपलिंग अभियान

    मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और स्वास्थ्य मंत्री डा. धन सिंह रावत के निर्देश पर औषधि नियंत्रक ताजबर सिंह जग्गी के नेतृत्व में राज्यभर में वृहद स्तर पर छापेमारी और सैंपलिंग अभियान चलाया जा रहा है। औषधि नियंत्रक ने स्वयं देहरादून के जोगीवाला, मोहकमपुर समेत कई क्षेत्रों में औषधि दुकानों का निरीक्षण किया।

    सभी जिलों में औषधि निरीक्षकों को निर्देश दिए गए हैं कि वे सरकारी अस्पतालों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और खुदरा दुकानों से सिरप के नमूने लेकर प्रयोगशाला परीक्षण करवाएं। औषधि नियंत्रक ने कहा कि एफडीए की टीमें पूरे प्रदेश में सक्रिय हैं। किसी भी कमी पाए जाने पर संबंधित कंपनी या विक्रेता के विरुद्ध सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

    बच्चों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता

    बच्चों की सुरक्षा और जनस्वास्थ्य से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि प्रदेश में बिकने वाली हर दवा सुरक्षित और मानक गुणवत्ता वाली हो। सरकार औषधि गुणवत्ता निगरानी प्रणाली को और मजबूत बनाने पर भी काम कर रही है।

    पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री

    राज्य सरकार केंद्र की एडवाइजरी का पूरी गंभीरता से पालन कर रही है। बच्चों की दवाओं से जुड़ी किसी भी लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सभी चिकित्सकों और औषधि विक्रेताओं को निर्देश दिए गए हैं कि वे प्रतिबंधित सिरप न लिखें और न बेचें। - डा धन सिंह रावत,स्वास्थ्य मंत्री