coronavirus: उत्तराखंड में 31 मार्च के बाद छोड़े जाएंगे कैदी, पढ़िए पूरी खबर
कोरोना के संक्रमण से बचाव के लिए जेल में भी कैदियों के बीच सुरक्षित शारीरिक दूरी बनाए रखने की कवायद शुरू हो गई है
देहरादून, राज्य ब्यूरो। जेल में कोरोना के संक्रमण से बचाव के लिए यहां भी कैदियों के बीच सुरक्षित शारीरिक दूरी बनाए रखने की कवायद शुरू हो गई है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर गठित कमेटी की बैठक में 855 कैदियों की रिहाई पर गंभीरता से मंथन चल रहा है। अब इनके दस्तावेज आदि तैयार करने के बाद 31 मार्च के बाद छोड़ने का काम शुरू किया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने जेल में बंद कैदियों की कोरोना से सुरक्षा के मामले का स्वत: संज्ञान लिया लिया था। कोर्ट का कहना कि कैदियों के बीच सुरक्षित शारीरिक दूरी रखनी सुनिश्चित करनी होगी। इस मामले की सुनवाई 23 मार्च को हुई थी, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने उच्च स्तरीय समिति बनाने के निर्देश जारी करते हुए कैदियों की रिहाई पर शीघ्र निर्णय लेने को कहा गया। उत्तराखंड में 11 जेल हैं। जिनमें 3420 कैदी रखने की क्षमता है, लेकिन यहां पांच हजार से अधिक कैदी बंद हैं। इसलिए कैदियों के बीच सुरक्षित शारीरिक दूरी बनाने पर जोर दिया गया।
समिति ने शुक्रवार को हुई बैठक् में पाया कि राज्य में सात साल और उससे कम सजा पाने वाले क्रमश: 264 और 627 विचाराधीन कैदी बंदी हैं। ऐसे में इन सभी को उनके आचरण और अपराध के हिसाब से पैरोल अथवा अंतरिम जमानत देने के संबंध में चर्चा की गई। अब इन्हें रिहा करने की तैयारी चल रही है। महानिदेशक कारागार एडीजी डॉ. पीवीके प्रसाद ने कहा कि अभी इनके दस्तावेज तैयार किए जा रहे हैं। मंगलवार एक अप्रैल से इनकी रिहाई करनी शुरू कर दी जाएगी।
सोशल मीडिया से भय फैलाने की कोशिश, धरा
कोरोना संक्रमित व्यक्ति को पकड़ने संबंधी उत्तर प्रदेश पुलिस की मॉक ड्रिल को एक युवक ने ऋषिकेश का बताकर सोशल मीडिया में वायरल किया। पुलिस ने इस युवक को संबंधित धाराओं में गिरफ्तार कर लिया। ऋषिकेश और आसपास क्षेत्र के वॉट्सएप ग्रुप में शनिवार को एक वीडियो बड़ी तेजी के साथ वायरल हुई, जिसमें यह बताया गया कि पुलिस ने ऋषिकेश के नटराज चौक पर एक कोरोना पीड़ित को पकड़कर चिकित्सालय में पहुंचाया है। वीडियो के वायरल होते ही इस पर तरह-तरह के कमेंट आने शुरू हो गए। मामला कोतवाली पुलिस के संज्ञान में आया तो वीडियो वायरल करने वाले युवक को गिरफ्तार कर लिया।
कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक रितेश शाह ने बताया कि सोशल मीडिया में जो वीडियो शेयर की गई वह उत्तर प्रदेश की एक मॉक ड्रिल थी। परंतु मनोज कुमार निवासी नेहरू ग्राम इंदिरा नगर ऋषिकेश ने इसे ऋषिकेश के नटराज चौक का बताया और सोशल मीडिया में कहा कि पुलिस ने यहां से एक कोरोना पीड़ित को पकड़ा है। उन्होंने बताया कि यह पूरी तरह से झूठी सूचना थी।
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इस पर संज्ञान लिया गया। मनोज को संबंधित धाराओं में गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस अधिकारियों ने कहा कि इस तरह की वीडियो को कोई भी सोशल मीडिया में फैलाकर भय का माहौल बनाता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी। इससे पूर्व पुलिस ने शुक्रवार को यात्र अड्डे पर कोरोना संबंधी फर्जी वीडियो बनाने वाले सात लोगों को गिरफ्तार किया था।
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