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coronavirus: उत्तराखंड में पूल टेस्टिंग से रोका जाएगा कोरोना का सामुदायिक फैलाव, जानिए क्या है पूल टेस्टिंग

कोरोना वायरस का सामुदायिक फैलाव रोकने के लिए अब पूल टेस्टिंग की जाएगी। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) ने जांच की अनुमति दे दी है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Wed, 15 Apr 2020 05:05 PM (IST)Updated: Wed, 15 Apr 2020 10:18 PM (IST)
coronavirus: उत्तराखंड में पूल टेस्टिंग से रोका जाएगा कोरोना का सामुदायिक फैलाव, जानिए क्या है पूल टेस्टिंग

देहरादून, जेएनएन। उत्तराखंड में कोरोना वायरस का सामुदायिक फैलाव रोकने के लिए अब पूल टेस्टिंग की जाएगी। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) ने जांच की अनुमति दे दी है। पूल टेस्टिंग से कोरोना पॉजिटिव लोगों की स्क्रीनिंग करना बेहद आसान होगा। इससे जांच की क्षमता कई गुणा बढ़ जाएगी।

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कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए उत्तराखंड में लॉकडाउन किए गए मोहल्लों और कॉलोनियों की शत-प्रतिशत स्क्रीनिंग की जा रही है। कोरोना पॉजिटिव मामले सामने आने के बाद उनसे जुड़े इलाकों को सील भी किया गया है। यही नहीं, व्यापक स्तर पर सर्विलांस, सेनिटाइजेशन आदि का कार्य किया जा रहा है। सर्विलांस टीम सबसे पहले उन लोगों को ट्रेस कर रही है, जो कोरोना पॉजिटिव लोगों के संपर्क में आए हैं। यदि किसी व्यक्ति में कोरोना के लक्षण हैं तो तत्काल जांच और परीक्षण के बाद उन्हें क्वारंटाइन किया जा रहा है। जांच का दायरा बढ़ाने के लिए अब सरकार ने पूल टेस्टिंग का फैसला लिया है।

अपर सचिव स्वास्थ्य युगल किशोर पंत ने बताया कि पूल टेस्टिंग को लेकर दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं। उन्होंन बताया कि पूल टेस्टिंग में दस संदिग्ध मरीजों के सैंपल लेकर उसे एक सुपर सैंपल बना दिया जाता है। फिर एक साथ सुपर सैंपल की जांच शुरू की जाती है। दस-दस सैंपल वाले जिस सुपर सैंपल की जांच रिपोर्ट नेगेटिव आती है, उन्हें अलग कर दिया जाता है। नेगेटिव रिपोर्ट का मतलब यही है कि संबंधित मरीजों में कोरोना संक्रमण नहीं है। 

उधर, जिस दस नमूने वाले सुपर सैंपल की रिपोर्ट पॉजिटिव आती है, उसे अलग कर लिया जाता है और फिर सभी 10 नमूनों की दोबारा जांच कर यह कंफर्म कर लिया जाता है, कि सभी कोरोना वायरस से संक्रमित हैं, या नहीं। रियल टाइम पेरीमिरेज चेन रिएक्शन (पीसीआर) जांच के माध्यम से मरीज के नेगेटिव और पॉजिटिव होने का पता चलता है। फिलहाल मरीजों की स्क्रीनिंग के लिए यह तरीका बेहद कारगर साबित होगा।

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अभी कोरोना के संदिग्ध मरीजों के जो नमूने लैब भेजे जा रहे हैं, उन्हें एक-एक कर जांचा जा रहा है। हर जांच में पांच से आठ घंटे लग रहे हैं, जबकि पूल टेस्टिंग के तहत इतने ही समय में जांच किट पर एक साथ 10 से 25 तक नमूने रख कर जांचे जा सकेंगे। नेगेटिव रिपोर्ट पर पूल के सभी नमूनों को क्लीन चिट मिल जाएगी, जबकि पॉजिटिव रिपोर्ट पर अलग से सबकी जांच कर मरीज का पता लगाया जा सकेगा। इससे जांच का समय और खर्च, दोनों बचेंगे। प्राथमिकता के आधार पर यह काम शुरू किया जा रहा है।

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