कार्बेट टाइगर रिजर्व घोटाला: पूर्व निदेशक राहुल की बढ़ी मुश्किलें, सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार
उत्तराखंड वन विभाग में अनियमितताओं के मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाई है। कार्बेट टाइगर रिजर्व घोटाले में पूर्व निदेशक राहुल को बचाने की कोशिश पर कोर्ट ने नाराजगी जताई है। अदालत ने सरकार को 17 सितंबर तक रुख स्पष्ट करने का आदेश दिया है अन्यथा मुख्य सचिव को पेश होना होगा। सीबीआई जांच में कई अधिकारियों के नाम सामने आए हैं।

जागरण संवाददाता, देहरादून। उत्तराखंड वन विभाग की परेशानियां खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं। जंगलों के बीच पेड़ कटान, अवैध निर्माण, सीमांकन पिलर गायब, और फंड के दुरुपयोग जैसी अनियमितताओं के मामले में वन विभाग में आम हो चुके हैं। पूर्व से लेकर वर्तमान अधिकारियों की भूमिका की जांच की जा रही हैं। कई पर तो गाज भी गिर चुकी है।
वहीं, कार्बेट टाइगर रिज़र्व घोटाला भी राज्य सरकार और वन विभाग दोनों के लिए गले की हड्डी बन चुका है। इस प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद पूर्व पार्क निदेशक राहुल की भी मुश्किलें बढ़ गई हैं।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने बीते सोमवार को ही कार्बेट टाइगर रिज़र्व में टाइगर सफारी प्रोजेक्ट से जुड़ी गंभीर अनियमितताओं के मामले में राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई। अदालत ने नाराजगी जताते हुए कहा कि राज्य सरकार पूर्व निदेशक राहुल को बचाने की कोशिश कर रही है। पीठ ने स्पष्ट चेतावनी दी कि आगामी 17 सितंबर तक इस मामले पर अपना स्पष्ट रुख करें अन्यथा मुख्य सचिव को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होना होगा।
अगर किसी अधिकारी को बचाने की कोशिश की गई, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। मार्च 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने कार्बेट टाइगर रिज़र्व में बिना अनुमति के पेड़ कटान और अवैध निर्माण के आरोपों की जांच के लिए सीबीआइ को आदेश दिए थे। सीबीआइ की रिपोर्ट में आठ अधिकारियों के नाम सामने आए, जिनमें सबसे वरिष्ठ पूर्व निदेशक राहुल थे।
रिपोर्ट में दो अन्य आइएफएस अधिकारियों अखिलेश तिवारी और किशन चंद के नाम भी शामिल हैं। हालांकि, पिछले महीने राज्य सरकार ने दोनों पूर्व डीएफओ के खिलाफ अभियोजन की अनुमति दे दी, लेकिन आइएफएस राहुल के खिलाफ अनुमति देने से इनकार कर दिया था।
राज्य सरकार ने सीबीआइ को लिखा था पत्र
बीते चार अगस्त को राज्य सरकार ने सीबीआइ को पत्र भेजकर कहा था कि विधि विभाग से विचार-विमर्श के बाद अभियोजन की अनुमति देने का कोई आधार नहीं पाया गया। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के रुख पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह साफ है कि आप इस अधिकारी को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। अब एक सप्ताह में आइएफएस अधिकारी राहुल के विरुद्ध भी जांच की संस्तुति हो सकती है।
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