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कार्बेट टाइगर रिजर्व के ढिकाला जोन में बंद होगा नाइट स्टे, पढ़िए पूरी खबर Dehradun News

भविष्य में कार्बेट टाइगर रिजर्व के ढिकाला जोन में टूरिस्ट जोन में सैलानी नाइट स्टे नहीं कर पाएंगे। सीटीआर के निदेशक संजीव चतुर्वेदी ने इसकी संस्तुति वन मुख्यालय को भेजी है।

By Edited By: Published: Sun, 23 Jun 2019 03:00 AM (IST)Updated: Sun, 23 Jun 2019 08:47 PM (IST)
कार्बेट टाइगर रिजर्व के ढिकाला जोन में बंद होगा नाइट स्टे, पढ़िए पूरी खबर Dehradun News

देहरादून, राज्य ब्यूरो। विश्व प्रसिद्ध कार्बेट टाइगर रिजर्व (सीटीआर) प्रशासन के प्रयास रंग लाए तो निकट भविष्य में ढिकाला टूरिस्ट जोन में सैलानी नाइट स्टे नहीं कर पाएंगे। सीटीआर के निदेशक संजीव चतुर्वेदी ने बाघों की सुरक्षा के मद्देनजर रिजर्व के इस कोर क्षेत्र में पर्यटकों के लिए रात्रि विश्राम व्यवस्था तत्काल समाप्त करने की संस्तुति वन मुख्यालय को भेजी है। उन्होंने यह सुविधा बंद होने से होने वाले नुकसान की भरपाई को ढिकाला जोन में डे-विजिट के लिए जिप्सियों व कैंटर की संख्या बढ़ाने का सुझाव दिया है।

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ढिकाला पर्यटक जोन कार्बेट के कोर क्षेत्र में है और यहां बाघों की अच्छी-खासी संख्या है। बता दें कि कार्बेट को छोड़ देश के अन्य टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में पर्यटकों को रात्रि विश्राम की अनुमति नहीं दी जाती। यही कारण है कि 140 पर्यटकों के ठहरने की व्यवस्था वाले ढिकाला जोन को लेकर मारामारी रहती है। सबसे अधिक वीआइपी ढिकाला जोन में ही ठहरते हैं। सूरतेहाल, वहां तैनात कर्मियों का अधिकांश वक्त वीआइपी आगंतुकों के आवास, भ्रमण समेत अन्य व्यवस्थाओं को सुचारू रखने में जाया हो रहा है।

इस सबके मद्देनजर कार्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक संजीव चतुर्वेदी ने अब ढिकाला जोन में पर्यटकों के लिए रात्रि विश्राम की व्यवस्था को खत्म करने की संस्तुति की है। प्रमुख मुख्य वन संरक्षक के अलावा प्रमुख वन संरक्षक वन्यजीव को भेजे प्रस्ताव में उन्होंने कहा है कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बाघ के अंगों की भारी मांग है। नतीजतन बाघों के शिकार के लिए अपराधी गिरोह हमेशा सक्रिय रहते हैं। शिकार के कारण ही पूर्व में देश के कुछ टाइगर रिजर्व में बाघ विलुप्त हो गए थे।

चतुर्वेदी ने कहा है कि बाघों की सुरक्षा के लिहाज से ढिकाला जोन में रात्रि विश्राम की अनुमति देना किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है। ढिकाला में वीआइपी समेत अन्य लोगों के दौरों के चलते कार्मिक इस कोर क्षेत्र में सुरक्षा, संरक्षण-संवद्र्धन, वासस्थल विकास समेत अपने अन्य दायित्वों पर ध्यान नहीं दे पाते। ऐसे में ढिकाला जोन में सिर्फ डे-विजिट की ही व्यवस्था रखी जानी चाहिए।

उन्होंने यह भी कहा है कि वर्तमान में ढिकाला जोन में करीब 35 जिप्सियां व चार कैंटर सफारी संचालित होते हैं। रात्रि विश्राम व्यवस्था खत्म होने से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए वहां 20 अतिरिक्त जिप्सियों व दो कैंटर की अनुमति दी जा सकती है। साथ ही चार घंटे की बजाए सुबह से शाम तक दिनभर सफारी की व्यवस्था को अमल में लाने पर भी जोर दिया है। उन्होंने वन मुख्यालय से प्रस्ताव पर अनुमति प्रदान करने का आग्रह किया है।

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