उत्तराखंड में निजी कॉलेजों को जमानत राशि में राहत देने पर विचार, जानिए
प्रदेश में निजी उच्च व व्यावसायिक शिक्षण संस्थाओं में व्यावसायिक और सामान्य पाठ्यक्रमों के लिए जमानत राशि को कम करने पर सरकार विचार करेगी।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। प्रदेश में निजी उच्च व व्यावसायिक शिक्षण संस्थाओं में व्यावसायिक और सामान्य पाठ्यक्रमों के लिए जमानत के तौर पर रखी जाने वाली एफडीआर की धनराशि को कम करने पर सरकार विचार करेगी। इसके लिए कमेटी का गठन किया जाएगा। वहीं सरकार ने साफ कर दिया है कि 15 नवंबर तक अंब्रेला एक्ट के ड्राफ्ट पर निजी विश्वविद्यालयों ने अपने सुझाव नहीं दिए तो इसे उनकी सहमति माना जाएगा। उच्च शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ धन सिंह रावत ने कहा कि सरकारी डिग्री कॉलेजों व विश्वविद्यालयों में स्नातक स्तर पर सेमेस्टर प्रणाली खत्म की जाएगी। इस संबंध में विश्वविद्यालय कार्य परिषद में फैसला लिया जाएगा।
उच्च शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ धन सिंह रावत की अध्यक्षता में गुरुवार को विधानसभा सभाकक्ष में निजी उच्च व व्यावसायिक शिक्षण संस्थानों के प्रतिनिधियों और उच्च शिक्षा महकमे के आला अधिकारियों की बैठक हुई। बैठक में निजी कॉलेजों की ओर से व्यावसायिक पाठ्यक्रम के लिए 35 लाख और सामान्य पाठ्यक्रम के लिए 15 लाख की एफडीआर को कम करने पर जोर दिया। बैठक में मौजूद शासन के अधिकारियों ने कहा कि यूजीसी के प्रावधान के मुताबिक उक्त व्यवस्था लागू की गई है। यूजीसी के प्रावधानों में अपने स्तर पर ढील देने में सरकार को दिक्कतें पेश आती हैं। उच्च शिक्षा राज्यमंत्री ने निजी कॉलेजों के सुझावों पर गौर करने का भरोसा दिया। साथ ही कहा कि इस मामले में कमेटी बनाई जा सकती है।
यह भी पढ़ें: दून में तैनात 102 शिक्षक चढ़ेंगे पहाड़, ऐसे शिक्षकों की सूची जारी
भूमि मानक में ढील मुमकिन नहीं
बैठक में निजी कॉलेजों ने भूमि के मानकों में ढील देने की पैरवी की, लेकिन इसमें यूजीसी के मानकों को नजरअंदाज किए जाने पर सहमति नहीं बनी। बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में उच्च शिक्षा राज्यमंत्री डॉ धन सिंह रावत ने कहा कि निजी विश्वविद्यालयों से अंब्रेला एक्ट के ड्राफ्ट पर 15 नवंबर तक सुझाव देने को कहा गया है। अभी तक सिर्फ पंतजलि विश्वविद्यालय की ओर से ही सुझाव राज्य सरकार को मिला है। उन्होंने कहा कि निजी विश्वविद्यालयों की फीस नियंत्रण को अलग से रेग्युलेटरी अथॉरिटी का गठन नहीं किया जाएगा। प्रवेश एवं शुल्क नियामक समिति इस मामले में फैसले लेने को सक्षम है। उन्होंने कहा कि स्नातक स्तर पर सेमेस्टर प्रणाली को समाप्त करने के निर्देश विश्वविद्यालयों को दिए गए हैं। सरकारी डिग्री कॉलेजों के लिए भी यह व्यवस्था समाप्त की जाएगी।
यह भी पढ़ें: तीन नहीं पांच साल हो अनिवार्य सेवानिवृत्ति का मानक