कांग्रेस ने भरी हुंकार, उत्तराखंड में हरीश रावत हैं जरूरी, पढ़िए पूरी खबर
उत्तराखंड में कांग्रेस के लिए पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत यानी हरदा जरूरी हैं। हरीश रावत युवा जोश से भरपूर है और लगातार सक्रियता के बल पर सिर्फ कांग्रेस ही नहीं बल्कि राज्य की राजनीति के केंद्र में रहे हैं। चुनाव अभियान समिति की बागडोर पार्टी ने उन्हें ही सौंपी है।

रविंद्र बड़थ्वाल, देहरादून। उत्तराखंड में कांग्रेस के लिए पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत यानी हरदा जरूरी हैं। उम्र के 73 वसंत देख चुके हरीश रावत युवा जोश से भरपूर होकर लगातार सक्रियता के बल पर सिर्फ कांग्रेस ही नहीं, बल्कि राज्य की राजनीति के केंद्र में रहे हैं। यही वजह है कि पार्टी ने चुनाव अभियान समिति की बागडोर उन्हें ही सौंपी। हालांकि इस दौरान कई फैसलों में खुद को बंधा महसूस कर रहे रावत ने निर्णायक रुख अपनाया तो पार्टी ने भी यह तय करने में देर नहीं लगाई कि चुनाव में पार्टी का चेहरा वही होंगे।
राज्य बनने के बाद से ही छोटे राज्य उत्तराखंड की राजनीति जिन चुनिंदा चेहरों के इर्द-गिर्द घूमती रही है, उनमें हरीश रावत भी शामिल हैं। उत्तराखंड राज्य आंदोलन के दौरान से सक्रिय रहे रावत की भूमिका कांग्रेस संगठन को मजबूत करने से लेकर सत्ता में उसकी दावेदारी मजबूत करने में महत्वपूर्ण मानी जाती रही है। राज्य के पहले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को विजय हासिल हुई तो तब प्रदेश संगठन की कमान उनके हाथ में ही थी। अब तक हुए चार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की लड़ाई को धार देने में वह पीछे नहीं रहे।
लोकप्रियता में पार्टी में नहीं कोई सानी
लोकप्रियता के मामले में हरदा राज्य में पार्टी के भीतर अन्य क्षत्रपों पर भारी पड़ते रहे हैं तो इसकी खास वजह भी हैं। सत्तापक्ष में हों या विपक्ष, रावत ने हर वक्त राजनीतिक सक्रियता में वक्त और उम्र दोनों को ही कभी आड़े नहीं आने दिया। राज्य बनने के बाद कुमाऊं और गढ़वाल दोनों मंडलों में लगातार गतिविधियों और जनसंपर्क की उनकी राजनीति पार्टी के भीतर और बाहर विरोधियों को चुनौती देती रही, साथ में पूर्णकालिक राजनेता के रूप में उनकी पहचान बनाने में कारगर साबित हुई है। पिथौरागढ़ से ऊधमसिंहनगर तो चमोली से हरिद्वार तक कांग्रेस का कोई चिर-परिचित चेहरा है तो वह हरदा ही हैं।
बुरी हार के बाद तेजी से उबरे
2017 के चुनाव में बुरी तरह पराजय से उबरने में पार्टी ने भले ही वक्त लिया हो, लेकिन हरीश रावत ने सक्रिय होने में देर नहीं लगाई। उत्तराखंडियत की पहचान को मुद्दा बनाना हो या आंदोलनरत कार्मिकों व अन्य संगठनों के बीच पहुंचकर उनकी आवाज को बुलंद करना, हर मोर्चे पर डटे रहने का राजनीतिक अंदाज 2022 के विधानसभा चुनाव में भी हरीश रावत को कांग्रेस के लिए जरूरी बनाता दिख रहा है। चुनाव के ऐन वक्त पर नेतृत्व के मुद्दे पर कांग्रेस के भीतर निर्णायक लड़ाई छेड़कर चुनाव प्रचार की कमान हाथ में लेने में हरदा कामयाब रहे हैं।
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