उत्तरकाशी में कांग्रेस को खनन के मुद्दे पर होना पड़ा असहज, पढ़िए पूरी खबर
उत्तराखंड की राजनीति में खनन का मुद्दा गर्माया रहा। कांग्रेस ने सरकार पर तंज कसे और उसे घेरने की कोशिश की। लेकिन जब कांग्रेस को खनन पट्टे की स्वीकृति पता चली और भागीरथी में अवैध रूप से सड़क बनाने पर कार्रवाई हुई तो विपक्ष खुद ही बैकफुट पर आ गया।

जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी: उत्तराखंड की राजनीति में बीते सप्ताह बागेश्वर से लेकर उत्तरकाशी तक खनन का मुद्दा गर्माया रहा। कांग्रेस ने सरकार पर खूब तंज कसे और उसे घेरने की भरपूर कोशिश की। लेकिन, जब कांग्रेस को खनन पट्टे की स्वीकृति पता चली और भागीरथी में अवैध रूप से सड़क बनाने पर कार्रवाई हुई तो विपक्ष खुद ही बैकफुट पर आ गया। यही नहीं उत्तरकाशी में कांग्रेस को खनन के मुद्दे पर असहज होना पड़ा है। इसके कारण कांग्रेस इसे प्रमुख मुद्दा नहीं बना पा रही है।
दरअसल, उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से करीब 15 किमी दूर डुंडा तहसील क्षेत्र के कच्चडू देवता मंदिर के निकट एक खनन माफिया ने बिना अनुमति और एनजीटी के नियमों का उल्लंघन करते हुए भागीरथी नदी पर सड़क बनाई। जिस सड़क से वह अपने खनन पट्टे से रेत-बजरी पत्थर का ढुलान कर सके। प्रदेश स्तर पर कांग्रेस ने इस मामले को झट से लपक लिया और सरकार को घेरने के लिए मुद्दा बनाया। कांग्रेस के दिग्गज नेता हरीश रावत ने ट्वीट में भाजपा सरकार को आड़े हाथों लेते हुए लिखा कि 'माननीय मुख्यमंत्री जी खनन प्रेम की भी इंतहा होनी चाहिए। आपने उत्तरकाशी में खनन के लिए भागीरथी का प्रवाह ही रोक लिया, वाह राज्य का मोटो बना दिया, बजरी बालू की लूट है लूट सको तो लूट।'
पूर्व सीएम ने ट्वीट में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को भी टैग किया था। मामले में जिला प्रशासन ने खनन माफिया के खिलाफ कार्रवाई की और 2.80 लाख रुपये का जुर्माना लगाया। इस पर कांग्रेस को पता चला कि संबंधित खनन पट्टा तो वर्ष 2018 में आवंटित हो चुका है और पट्टा स्वामी भी प्रदेश कांग्रेस कमेटी में पदाधिकारी है। इसके बाद मुख्य विपक्ष कांग्रेस ने खनन पर चुप्पी साध ली। उत्तरकाशी में भी पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के ट्वीट पर किसी भी कांग्रेसी ने कोई प्रतिक्रिया जाहिर नहीं की है। अवैध खनन को लेकर कांग्रेस के किसी पदाधिकारी या बड़े नेता ने भी राय नहीं रखी।
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