संकट की इस घड़ी में राज्य सरकार के बचाव उपायों का कांग्रेस ने किया समर्थन
कांग्रेस ने संकट की इस घड़ी में राज्य सरकार के बचाव उपायों का समर्थन किया साथ में रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर जनता कर्फ्यू को समर्थन दिया है।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। राष्ट्रीय आपदा और महामारी घोषित किए जा चुके कोरोना वायरस संक्रमण ने धुर विरोधी राजनीतिक दलों को सुर बदलने पर मजबूर कर दिया है। केंद्र और प्रदेश की भाजपा सरकारों पर हमले का कोई मौका नहीं चूकने वाली कांग्रेस ने संकट की इस घड़ी में राज्य सरकार के बचाव उपायों का समर्थन किया, साथ में रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर जनता कर्फ्यू को समर्थन दिया है। रविवार को प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय बंद रहेगा। हालांकि कांग्रेस को कोरोना संकट से बचाव में योगदान कर रहे स्वास्थ्य व अन्य सेवा कर्मियों के समर्थन में रविवार शाम घर से ही ताली या घंटी बजाने की प्रधानमंत्री की अपील पर सियासी पैंतरेबाजी भी दिखी। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ इंदिरा हृदयेश ने इस कदम से असहमति जता दी।
प्रमुख प्रतिपक्षी दल कांग्रेस ने कोरोना को लेकर सरकार की ओर से बरती जा रही सावधानी को जरूरी कदम बताया। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह और नेता विधानमंडल दल इंदिरा हृदयेश ने कोरोना मामले में केंद्र व राज्य की सरकारों का समर्थन करने के साथ ही सवाल भी दागे। प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि कोरोना से निपटने के लिए सरकार के बंदोबस्त नाकाफी हैं। वायरस से बचने के लिए गरीब लोगों को मास्क और सेनिटाइजर वितरित नहीं किए गए।मलिन बस्तियों को सेनिटाइज करने के लिए भी कदम नहीं उठाए गए हैं।
कोरोना की वजह से भुखमरी के कगार पर पहुंचने वाले श्रमिकों व गरीब लोगों की आजीविका का प्रबंध किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोरोना के खतरे को देखते हुए पार्टी किसी भी तरह सियासत के पक्ष में नहीं है, लेकिन इसकी तैयारी में खामी और नाकामी को छिपाया नहीं जा सकता। उन्होंने जनता कर्फ्यू का समर्थन किया, अलबत्ता रविवार शाम को कार्मिकों के उत्साहवर्धन की प्रधानमंत्री की अपील से उन्होंने असहमति जताई। उन्होंने कहा कि कोरोना से निपटने को सरकार की तैयारी गरीबों को ध्यान में रखकर नहीं की जा रही है।
नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने कहा कि कोरोना का खतरा बड़ा है। सभी को दलगत राजनीति से ऊपर उठकर एकजुट होने की जरूरत है। साथ ही उन्होंने सवाल दागा कि सिर्फ एक दिन के जनता कफ्यरू से क्या होगा। इस बारे में ठोस और साझा रणनीति के साथ कदम बढ़ाने पर सरकार का जोर होना चाहिए। रविवार शाम कोरोना से निपटने में योगदान करने वालों को समर्थन देने को ताली या घंटी बजाने के प्रधानमंत्री के आह्वान पर उन्होंने कहा कि अन्य देशों में इस तरह के उपाय किए जा रहे हैं। ऐसे उपायों का कोई ठोस आधार नहीं है, लिहाजा इससे सहमत नहीं हुआ जा सकता। उधर, शनिवार को भी सेनिटाइज कराने के बाद राजीव भवन बंद रहा। पार्टी ने यह कदम अनौपचारिक रूप से उठाया है, इस संबंध में विधिवत कोई आदेश या पत्र जारी नहीं किया गया।
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