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शिक्षा विभाग के निरीक्षण में खुलासा, तीन-तीन सालों से नहीं आ रहे गुरुजी

उत्तराखंड में शिक्षा के हालात क्या है इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है की गुरुजी तीन-तीन सालों से स्कूल से लापता हैं।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Wed, 04 Jul 2018 09:30 AM (IST)Updated: Wed, 04 Jul 2018 09:11 PM (IST)
शिक्षा विभाग के निरीक्षण में खुलासा, तीन-तीन सालों से नहीं आ रहे गुरुजी
शिक्षा विभाग के निरीक्षण में खुलासा, तीन-तीन सालों से नहीं आ रहे गुरुजी

देहरादून, [जेएनएन]: शिक्षा विभाग की व्यवस्थाओं को र्ढे पर लाने की तमाम कोशिशों को खुद शिक्षक ही पलीता लगा रहे हैं। यह हम नहीं, मंगलवार को विभाग के औचक निरीक्षण के आंकड़े कह रहे हैं। हालात यह है कि कई शिक्षक दो या तीन दिन नहीं बल्कि तीन-तीन वर्षो से अनुपस्थित चल रहे हैं। विभाग अब ऐसे शिक्षकों पर कार्रवाई की तैयारी कर रहा है।

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मंगलवार को प्रदेशभर के 474 विद्यालयों का निरीक्षण किया गया। जहां विभाग ने छात्रों की संख्या, उपस्थिति के साथ ही बायोमेटिक उपस्थिति से लेकर बिना अनुमति गैरहाजिर रहने वाले शिक्षकों की जानकारी ली गई। निरीक्षण में शिक्षकों की उपस्थिति 91.8 फीसद पाई गई। जबकि छात्रों की महज 49.5 ही मिली। भले ही शिक्षकों की उपस्थिति औसत से बेहतर रही, लेकिन गैरहाजिर रहने वाले शिक्षकों पर गौर करें तो कई ऐसे शिक्षक पाए गए जो हफ्तों या महीनों से नहीं, बल्कि कई सालों से विद्यालय नहीं गए हैं। आलम यह है कि गैरहाजिर शिक्षकों में दो ऐसे भी मिले जिन्होंने साल 2015 से स्कूलों की शक्ल तक नहीं देखी है। निरीक्षण के दौरान बिना अवकाश स्वीकृत किए गैरहाजिर रहने वाले सात शिक्षकों को विभाग ने नोटिस भी भेजा है। 

कई ऐसे स्कूल भी सामने आए जहां सरकार की योजनाओं तक को ठेंगा दिखाया जा रहा है। हरिद्वार जिले के रुड़की स्थित दो राजकीय प्राथमिक विद्यालयों में मिड-डे मील तक नहीं बनाया जा रहा है। इनमें राजकीय प्राथमिक विद्यालय सधीपुर व राजकीय प्राथमिक विद्यालय नगर क्षेत्र-3 शामिल है। सवाल उठता है कि इस तरह की अव्यवस्थाओं से सरकार पर्वतीय क्षेत्रों में शिक्षा व्यवस्था सुदृढ़ करने के दावे कर रही है।

गैरहाजिर मिले शिक्षकों को जारी किए नोटिस

एक ओर जहां एक दिन गायब रहने पर भी विभाग शिक्षकों से स्पष्टीकरण मांग रहा है, वहीं दूसरी ऐसे शिक्षक भी निरीक्षण में सामने आए जिन्हें न प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था से सरोकार है और न ही बच्चों के भविष्य से। निरीक्षण में ऐसे ही दो शिक्षकों की जानकारी ली गई तो पता चला कि वह साल 2015 से अनुपस्थित चल रहे हैं। इनमें हरिद्वार के राइंका, सलेमपुर की सहायक अध्यापक प्रीती 18 जनवरी 2015 के बाद से स्कूल नहीं गईं। जबकि पौड़ी जिले राइंका पाबो के सहायक अध्यापक राजेंद्र सिंह ने 27 मई 2015 से अनुपस्थित हैं।

इसके अलावा बिना अवकाश स्वीकृत कराए अनुपस्थित अध्यापकों में बागेश्वर के राजकीय इंटर कॉलेज कपकोट के सहायक अध्यापक गंगा सिंह दानू, नैनीताल पटरानी के राजकीय प्राथमिक विद्यालय की शिक्षामित्र हरिप्रिया मनराल व शिक्षा मित्र उमा, उधमसिंह नगर के राजकीय प्राथमिक विद्यालय मलपुरी के सहायक अध्यापक सुरेंद्र कुमार और पिथौरागढ़ राजकीय इंटर कॉलेज बेरीनाग की सहायक अध्यापक एकता कोटनाला को भी विभाग ने गैरहाजिरी को लेकर नोटिस भेजा है।

निरीक्षण का सूरतेहाल

474 विद्यालयों का किया निरीक्षण 

7 शिक्षक बिना अवकाश स्वीकृत कराए गैरहाजिर 

91.8 प्रतिशत मिली शिक्षकों की हाजिरी 

49.5 प्रतिशत छात्र मिले उपस्थित 

22.8 प्रतिशत विद्यालयों में बायोमेटिक मशीन

उत्तरा भी दस महीने से स्कूल से गैरहाजिर

कुछ दिनों पहले देहरादून में सीएम दरबार में शिक्षिका उत्तरा अपने तबादले की सिफारिश को लेकर सीएम से मिली थीं। इस दौरान शिक्षिका उत्तरा पंत और सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के बीच नोकझोंक हुई थी। इस मामले पर भी गौर करें तो पिछले दस माह से शिक्षिका उत्तरा भी स्कूल नहीं गई थीं। उत्तरा 14 अगस्त से स्कूल में अनुपस्थित चल रही हैं। सोमवार को भी निरीक्षण में एक शिक्षिका गत वर्ष अगस्त माह से अनुपस्थित बताई गई थी।

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