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उत्तराखंड सरकार ने एमवी एक्ट के तहत जुर्माने में दी राहत

उत्तराखंड सरकार ने संशोधित मोटर यान अधिनियम में केंद्र द्वारा तय जुर्माने के सापेक्ष नियमों के उल्लंघन के मामले में खासी राहत दे दी है। कई मामलों में जुर्मानेे की राशि आधी कर दी।

By Edited By: Published: Wed, 11 Sep 2019 09:45 PM (IST)Updated: Thu, 12 Sep 2019 09:20 PM (IST)
उत्तराखंड सरकार ने एमवी एक्ट के तहत जुर्माने में दी राहत
उत्तराखंड सरकार ने एमवी एक्ट के तहत जुर्माने में दी राहत

देहरादून, राज्य ब्यूरो। उत्तराखंड सरकार ने संशोधित मोटर यान अधिनियम में केंद्र द्वारा से जुर्माने के सापेक्ष नियमों के उल्लंघन के मामले में खासी राहत दे दी है। सरकार ने कई मामलों में कंपाउंडिंग फीस केंद्र द्वारा तय जुर्माने से आधी कर दी है। हालांकि, ये कंपाउंडिंग दरें अभी तक प्रचलित दरों के मुकाबले दो गुना से लेकर पांच गुना अधिक हैं। 

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कैबिनेट ने सड़क दुर्घटना की वजह बनने वाले बिना लाइसेंस, बिना हेलमेट, ओवर स्पीडिंग व दुपहिया वाहन में ट्रिपल राइडिंग जैसे नियमों के उल्लंघन के लिए तय जुर्माने में कोई बदलाव नहीं किया है। ट्रिपल राइडिंग व हेलमेट न पहनने पर 1000 रुपये के जुर्माने के साथ ही तीन माह तक लाइसेंस निलंबित करने की संस्तुति की गई है। 

गुजरात के बाद उत्तराखंड दूसरा भाजपाशासित राज्य है, जिसने केंद्रीय मोटरयान अधिनियम एक्ट के कुछ प्रावधानों में छूट दी है। नई दरें नोटिफिकेशन जारी होने के बाद लागू की जाएंगी। 

बुधवार देर सायं सचिवालय में हुई कैबिनेट की बैठक के फैसलों को सरकार के प्रवक्ता व काबीना मंत्री मदन कौशिक ने ब्रीफ किया। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने मोटरयान अधिनियम के कुछ प्रावधानों में ढील देने की इजाजत राज्यों को दी है। 

उन्होंने कहा कि कैबिनेट ने नए मोटर यान अधिनियम के तहत यातायात नियमों की विभिन्न धाराओं का उल्लंघन करने पर केंद्र द्वारा तय जुर्माने की दरों के सापेक्ष राज्य में कंपाउंडिंग फीस की दरों पर मुहर लगा दी है। उन्होंने कहा कि नई दरें किस तिथि से लागू होंगी, इसका जिक्र नोटिफिकेशन में किया जाएगा और आम जनता को इसकी जानकारी सार्वजनिक रूप से दी जाएगी।

सरकार ने व्यावसायिक वाहन संचालकों पर कोई खास नरमी नहीं दिखाई है। यात्रियों को न बिठाने, परिवहन अधिकारी के कार्य में बाधा डालने, जानबूझ कर सूचना न देने जैसे छह तरह के नियमों के उल्लंघन के लिए केंद्र के समान ही शुल्क रखा गया है। 

यात्री व वाहन चालकों द्वारा नियमों का उल्लंघन करने पर केंद्र द्वारा तय दरों में सरकार ने राहत देते हुए अनेक मामलों में कंपाउंडिंग की दरों को आधा कर दिया है। यानी, इन जुर्मानों को विभाग में ही भुगतने पर उन्हें राहत मिलेगी। अगर जुर्माना कोर्ट में भुगता जाएगा तो केंद्र द्वारा तय दरों का ही संज्ञान लिया जाएगा।

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कैबिनेट के अन्य अहम फैसले

-उत्तराखंड भवन निर्माण विकास उपनिधि के तहत गु्रप हाउसिंग बहुमंजिली भवन के पहले टॉवर को पूरा करने पर मिलेगा कंपलीशन सर्टिफिकेट, इससे बिल्डरों को राहत, बिक्री की मिलेगी अनुमति, अलबत्ता पूरे प्रोजेक्ट के आधार पर अवस्थापना सुविधाओं का पहले ही करना होगा निर्माण।

-एकल आवास भवनों के लिए एकमुश्त सेटलमेंट कंपाउंडिंग पुरानी दर पर अब 31 दिसंबर, 2019 तक हो सकेगी, इससे पहले वसूल किए गए बढ़ी दर पर शुल्क को वापस करने का निर्णय।

-महात्मा गांधी रोजगार गारंटी कार्यक्रम में संविदा के राज्य व जिला स्तर के कंप्यूटर प्रोग्रामर के मानदेय में पांच फीसद की वृद्धि।

-कैंपा का वार्षिक लेखा 2010-11, 2011-12, 2012-13 को विधानमंडल के पटल पर रखने की अनुमति। 

-उत्तराखंड राज्य संपत्ति संपत्ति समूह-ग सेवा नियमावली में संशोधन पर मुहर। 

-31 मार्च, 2019 के बाद पूर्व मुख्यमंत्री को दी जाने वाली सुविधाएं अब नहीं दी जाएंगी, अध्यादेश संशोधन पर मुहर।

-उत्तराखंड विशेष शिक्षा प्रवक्ता अधीनस्थ सेवा नियमावली 2019 में संशोधन। 

-उत्तराखंड अधीनस्थ शिक्षा एलटी ग्रेड सेवा नियमावली में संशोधन। 

-जौलीग्रांट को अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा बनाने पर सहमति। 

-जिलास्तरीय विकास प्राधिकरण चंपावत में पूर्णागिरी विकास प्राधिकरण के हिस्से जोडऩे को स्वीकृति।  

-ऋषिकेश अब एमडीडीए, स्वर्गाश्रम पौड़ी और मुनिकीरेती टिहरी जिला विकास प्राधिकरण का बने हिस्सा, एक जिले का हिस्सा उसी जिला विकास प्राधिकरण होगा भाग।

-गंगोत्री विशेष क्षेत्र प्राधिकरण को जनपद स्तरीय उत्तरकाशी विकास प्राधिकरण में शामिल करने का निर्णय।

-जल नीति पर चर्चा, अगली कैबिनेट में निर्णय लेने की सहमति। 

-भागीरथी नदी विकास प्राधिकरण के  मुख्य कार्यपालक अधिकारी का पद सचिव नियोजन के स्थान पर अपर सचिव आवास को, अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी का दायित्व संयुक्त सचिव आवास को देने पर मुहर।  

-देहरादून जिले के कांसवाली कोठारी में 948 वर्ग फुट के हॉस्टल भवन निर्माण के लिए सड़क 12 मीटर के स्थान पर 11 मीटर की रखने की अनुमति। 

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