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    मध्य प्रदेश-राजस्थान में बच्चों की मौत का मामला, उत्‍तराखंड में कोल्ड्रिफ और डेक्सामिथरफेन सिरप की बिक्री पर रोक

    Updated: Sun, 05 Oct 2025 06:48 PM (IST)

    उत्तराखंड सरकार ने बच्चों के लिए कोल्ड्रिफ और डेक्सामेथोरफान कफ सिरप की बिक्री पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। औषधि निरीक्षकों को मेडिकल स्टोरों से इन दवाओं को सील करने के निर्देश दिए गए हैं। यह निर्णय मध्य प्रदेश और राजस्थान में कफ सिरप से बच्चों की मौत के बाद लिया गया है। सरकार ने दवा कंपनियों से 49 सैंपल लिए हैं।

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    कोल्ड्रिफ और डेक्सामिथरफेन सिरप की बिक्री पर रोक। सोशल मीडिया

    जागरण संवाददाता, देहरादून। राज्य सरकार ने बच्चों की खांसी और जुकाम की दवाओं कोल्ड्रिफ और डेक्सामिथरफेन सिरप पर रोक लगा दी है। सभी जिलों के औषधि निरीक्षकों को आदेश दिए हैं कि वे मेडिकल स्टोरों में मौजूद इन दवाओं को तुरंत सील करें। इसके अलावा कंपनियों द्वारा इन दवाओं को वापस मंगाने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है।

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    मध्य प्रदेश और राजस्थान में कफ सिरप से बच्चों की मौत के मामलों के बाद केंद्र सरकार ने दो साल से कम उम्र के बच्चों को कफ सिरप न देने और चार साल से कम उम्र के बच्चों के मामलों में विशेष सावधानी बरतने की एडवाइजरी जारी की थी।

    राज्य सरकार ने भी इसी संदर्भ में एडवाइजरी जारी की है। एफडीए के अपर आयुक्त एवं औषधि नियंत्रक ताजबर सिंह जग्गी ने बताया कि अब तक कफ सिरप बनाने वाली कंपनियों की फैक्ट्रियों, मेडिकल स्टोर और सरकारी अस्पतालों से कुल 49 सैंपल लेकर जांच के लिए भेजे गए हैं।

    उन्होंने कहा कि सभी सैंपल की जांच की जा रही है और प्रयोगशालाओं को प्राथमिकता के आधार पर रिपोर्ट उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि जांच के दौरान किसी भी सैंपल में गड़बड़ी पाए जाने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा, भविष्य में बच्चों की सुरक्षा के लिए सभी कफ सिरप कंपनियों को सख्त मानक और दिशानिर्देश का पालन करना अनिवार्य होगा।

    खांसी-जुकाम की दवाओं में चेतावनी अनिवार्य

    एफडीए ने राज्य की सभी दवा कंपनियों को निर्देश दिए हैं कि वे क्लोरफेनिरामिन मालीएट और फिनाइलएफ्रिन हाइड्रोक्लोराइड ड्राप्स की पैकेजिंग और प्रचार सामग्री में स्पष्ट चेतावनी अंकित करें।

    औषधि नियंत्रक ताजबर सिंह ने सभी निर्माताओं को रिमाइंडर भेजते हुए कहा कि पैकेज और पैकेज इनसर्ट पर स्पष्ट रूप से लिखा होना चाहिए कि यह दवा चार साल से कम उम्र के बच्चों को नहीं दी जानी चाहिए विशेषज्ञों के अनुसार, छोटे बच्चों में इन दवाओं का सेवन करने पर नींद आना, चक्कर, मुंह सूखना, थकान, सिरदर्द, दिल की धड़कन बढ़ना और ब्लड प्रेशर में बदलाव जैसी समस्याएं हो सकती हैं। कुछ मामलों में बेचैनी या नींद न आने की शिकायतें भी देखी गई हैं।

    बच्चों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता

    एफडीए ने कहा कि यह कदम केंद्र सरकार के निर्देशों के तहत बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है। राज्य में सभी जिलों में इस अभियान को तेज कर दिया गया है ताकि कोई भी मेडिकल स्टोर या अस्पताल इन दवाओं को छोटे बच्चों को न दें। अपर आयुक्त जग्गी ने आम नागरिकों से भी अपील की है कि वे दो साल से कम उम्र के बच्चों को कफ सिरप न दें और चार साल से कम उम्र के बच्चों के मामलों में विशेष सावधानी बरतें।