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पोर्टल में समाया उत्तराखंड, एक क्लिक में मिलेगी जानकारी; जानिए कैसे

उत्तराखंड पर तैयार एटलस को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने लॉन्च कर दिया है। उनका कहना है कि विकास के लिए सैटेलाइट आधारित तकनीक का प्रयोग बेहद जरूरी है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Tue, 15 Jan 2019 05:48 PM (IST)Updated: Tue, 15 Jan 2019 07:18 PM (IST)
पोर्टल में समाया उत्तराखंड, एक क्लिक में मिलेगी जानकारी; जानिए कैसे
पोर्टल में समाया उत्तराखंड, एक क्लिक में मिलेगी जानकारी; जानिए कैसे

देहरादून, जेएनएन। अब उत्तराखंड की समस्त जानकारी एक क्लिक पर होगी। यह सब हो सकेगा 'उत्तराखंड जियोस्पाशियल सर्विसेज पोर्टल' के जरिए। मंगलवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (यूसैक) की ओर से तैयार किए गए इस पोर्टल को लॉन्च किया।

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जीएमएस रोड स्थित एक होटल में 'अंतरिक्ष आधारित विकेंद्रीकृत नियोजन के लिए सूचना समर्थन' विषय पर आयोजित कार्यशाला का शुभारंभ मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने किया। इस अवसर पर पोर्टल को लॉन्च करने के साथ ही मुख्यमंत्री ने 'कैलास सैक्रेड लैंडस्केप एटलस', एसआइएसडीपी रिपोर्ट को भी जारी किया। कार्यशाला में मुख्यमंत्री ने कहा कि अंतरिक्ष आधारित तकनीक की दिशा में उत्तराखंड तेजी से काम कर रहा है। यूसैक ने तमाम परियोजनाओं को पूरा कर साबित किया है कि किस तरह प्रदेश के विकास में अंतरिक्ष तकनीक का उपयोग किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि टेलीमेडिसिन और टेलीरेडियोलॉजी की दिशा में तमाम गांवों को जोड़ने वाला उत्तराखंड पहला राज्य बना है। वहीं, उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि यूसैक विश्वविद्यालयों के छात्रों और शोधार्थियों के लिए क्षमता विकास की दिशा में तकनीकी जानकारी मुहैया करा रहा है। उन्होंने अपने हालिया तेलंगाना दौरे का अनुभव बयां करते हुए कहा कि किसानों को 10 हजार रुपये अनुदान देने के लिए सभी की जियो-टैगिंग की गई। कुछ ऐसे ही प्रयास यहां भी किए जाने चाहिए।

इससे पूर्व यूसैक के निदेशक डॉ. एमपीएस बिष्ट ने बताया कि राज्य के 32 हजार स्कूलों की मैपिंग की गई है। शिक्षा विभाग को इसके माध्यम से सुगम-दुर्गम के निर्धारण में खासा सहयोग मिला है। देहरादून में अतिक्रमण हटाओ अभियान में तहत पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर रिस्पना पुल से प्रिंस चौक तक मार्ग वर्ष 2000 के बाद सभी निर्माण की सेटेलाइट मैपिंग कराई गई है। 

दूसरी तरफ पंचायतीराज की सेवाओं को सशक्त बनाने के लिए 20 हजार से अधिक परिसंपत्तियों का मानचित्रीकरण किया गया है और पवित्र कैलास भूक्षेत्र में 40 से अधिक भूस्थानिक मानचित्र भी तैयार किए गए हैं। इस अवसर पर इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग के निदेशक डॉ. प्रकाश चौहान, वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के निदेशक डॉ. कलाचंद्र,एनआरएससी हैदराबाद के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. राजीव कुमार, वरिष्ठ विज्ञानी डॉ. डीपी डोभाल, डॉ. पीएस नेगी, सुधाकर भट्ट आदि उपस्थित रहे।

डाटा को किया जाएगा साझा

कार्यशाला के तकनीकी सत्र की अध्यक्षता करते हुए यूकॉस्ट के महानिदेशक डॉ. राजेंद्र डोभाल ने कहा कि उत्तराखंड में डाटा को साझा किए जाने को लेकर काफी दिक्कतें सामने आती हैं। तय किया गया कि सभी विभाग डाटा को यूसैक को उपलब्ध कराएं और फिर यह डाटा सभी के लिए उपलब्ध हो सके।  

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