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उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों में ज्यादा पिरुल वाले दो-दो ब्लॉक होंगे चिह्नित, जानिए क्यों

उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों में ऐसे दो-दो ब्लॉक चिह्नित किए जाएंगे जहां पिरुल (चीड़ की पत्तियां) ज्यादा है।

By Edited By: Published: Mon, 10 Aug 2020 09:28 PM (IST)Updated: Tue, 11 Aug 2020 10:24 PM (IST)
उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों में ज्यादा पिरुल वाले दो-दो ब्लॉक होंगे चिह्नित, जानिए क्यों

देहरादून, राज्य ब्यूरो। पर्वतीय जिलों में ऐसे दो-दो ब्लॉक चिह्नित किए जाएंगे, जहां पिरुल (चीड़ की पत्तियां) ज्यादा है। पिरुल से बिजली उत्पादन को प्रोत्साहित करने को इनमें मॉडल ब्लॉक के रूप में काम किया जाएगा। प्रदेश के सभी जिलों में केंद्रपोषित योजना के तहत 90 फीसद अनुदान पर 19655 स्ट्रीट लाइट की स्थापना के कार्य को मार्च, 2021 तक पूरा किया जाएगा। 

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मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सोमवार को सचिवालय में नवीकरणीय ऊर्जा विकास अभिकरण (उरेडा) के अंतर्गत संचालित योजनाओं की समीक्षा की। उन्होंने पिरूल इकट्ठा करने को महिला स्वयं सहायता समूहों को सक्रिय करने और इसके जिला स्तर पर प्रभागीय वनाधिकारी को नोडल अधिकारी बनाने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वयं सहायता समूहों की ओर से बनाए गए उपकरणों की मार्केटिंग की जानी चाहिए। विशेष उत्सवों और पर्वों पर सरकारी कार्यालयों में स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा दिया जाए। उन्होंने मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना के लिए ग्राम प्रधानों व अन्य जन प्रतिनिधियों के साथ समन्वय स्थापित कर रोडमैप तैयार करने को कहा। 

सौर ऊर्जा के 272 मेगावाट के संयंत्र लगे ऊर्जा सचिव राधिका झा ने कहा कि प्रदेश में सौर ऊर्जा के 272 मेगावाट के संयंत्र स्थापित हो चुके हैं। 2019-20 में 283 विकासकर्ताओं को 203 मेगावाट सौर परियोजनाएं आवंटित की गई हैं। इनका कार्य मार्च, 2021 तक पूरा होगा। लघु जलविद्युत के 202 मेगावाट के कार्य पूर्ण हो चुके हैं व 1099 मेगावाट के कार्य प्रगति पर हैं। बायोमास और को-जेनरेशन के 131 मेगावाट के कार्य पूरे और 39 मेगावाट के कार्य प्रगति पर हैं। नगरीय कूड़े-करकट से विद्युत उत्पादन के लिए वेस्ट टू एनर्जी नीति तैयार की गई है। शहरी विकास विभाग इसके लिए निविदा की प्रक्रिया प्रारंभ कर चुका है। 

203 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजनाएं प्रदेश के स्थायी निवासियों को आवंटित की गईं थी। कोविड-19 की वजह से इन परियोजनाओं को स्थापित होने में और समय लगेगा। दिसंबर तक हर जिले में एक गांव ऊर्जा दक्ष उरेडा निदेशक कैप्टन आलोक शेखर तिवारी ने कहा कि पिरूल से ऊर्जा उत्पादन को 1060 किलोवाट क्षमता की परियोजनाएं 36 विकासकर्ताओं को आवंटित की गई हैं। प्रदेश में वैकल्पिक योजनाओं के क्रियान्वयन को ग्रीन सेस एक्ट पारित किया गया है। सरकारी आवासीय विद्यालयों में 50500 लीटर प्रतिदिन क्षमता के सोलर वाटर हीटिंग संयंत्र स्थापित किए गए हैं। सभी जिलों में एक-एक ऊर्जा दक्ष गांव विकसित करने का कार्य आगामी दिसंबर तक पूरा होगा।

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7991 ग्राम पंचायतों में स्ट्रीट लाइट 

बैठक में बताया गया कि एलईडी ग्राम योजना के तहत 7991 ग्राम पंचायतों में स्ट्रीट लाइट लगाने की योजना तैयार की जा रही है। सभी सरकारी विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में विद्युत खपत में कमी करने को 1.89 पैसा प्रति यूनिट की दर पर सोलर पावर प्लांट लगेगा। चयनित फर्म इसके लिए सर्वे कर रही हैं। बैठक में कई अधिकारी उपस्थित थे।

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