अब प्रदेश में भ्रष्टाचार पर कसेगी नकेल, CM धामी ने विजिलेंस को दी बड़ी सौगात
मुख्यमंत्री धामी ने विजिलेंस विभाग को नई सौगातें दी हैं, जिससे प्रदेश में भ्रष्टाचार पर नकेल कसने में मदद मिलेगी। विभाग को लंबे समय से खाली चल रहे सर्विलांस, तकनीकी व वित्तीय विशेषज्ञों के 21 पद भरने के लिए शासन ने मंजूरी दे दी है।
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सोबन सिंह गुसांई,देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस नीति के तहत विजिलेंस के हाथ और मजबूत होने जा रहे हैं। लंबे समय से खाली चल रहे सर्विलांस, तकनीकी व वित्तीय विशेषज्ञों के 21 पद भरने के लिए शासन ने मंजूरी दे दी है।
जल्द ही इन पदों पर नियुक्ति की जाएगी। यह सभी तकनीकी विशेषज्ञ के पद हैं, इन पदों के भरे जाने के बाद जहां भ्रष्टाचारियों का समय पर रिकार्ड खंगाला जाएगा वहीं वित्तीय लेनदेन की रिपोर्ट समय पर मिलने से विजिलेंस समय पर भ्रष्टाचारी पर शिकंजा कस सकेगी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भ्रष्टाचार पर वार करने और विजिलेंस को और मजबूत करने के लिए सर्विलांस, तकनीकी व वित्तीय विशेषज्ञों की घोषणा की थी। मुख्यमंत्री के आदेश मिलने के बाद शासन ने पद भरने के लिए मंजूरी दे दी है। जल्द ही पुलिस मुख्यालय की ओर से इन पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। मौजूदा समय में विजिलेंस के पास तकनीकी विशेषज्ञ न होने के चलते भ्रष्टाचार के बड़े आरोपित पर कार्रवाई करने के लिए बाहर से एक्सपर्ट बुलाने पड़ते हैं।
अभी विजिलेंस के पास नहीं हैं तकनीकी विशेषज्ञ
मौजूदा समय में विजिलेंस सर्विलांस से लेकर वित्तीय विशेषज्ञों की कमी से जूझ रहा है। यदि किसी आरोपित की गिरफ्तारी करने के लिए उसकी काल डिटेल, लैपटाप व कंप्यूटर की जांच के लिए कोई विशेषज्ञ नहीं है। ऐसे में विजिलेंस को जिला पुलिस पर निर्भर रहना पड़ता है। जिला पुलिस के पास पहले ही बड़ी संख्या में केस रहते हैं, ऐसे में रिपोर्ट मिलने में देरी हो जाती है।
इसी तरह तकनीकी विशेषज्ञ न होने के कारण भ्रष्टाचारियों पर समय पर शिकंजा नहीं कस पा रहा है। विजिलेंस जब किसी के विरुद्ध खुली जांच करती है तो पता लगता है कि भ्रष्टाचारी ने धनराशि विभिन्न जगह निवेश की हुई होती है। इसकी पूरी रिपोर्ट तैयार करने के लिए विजिलेंस को बाहर से चार्टेड अकाउंटेंट बुलाने पड़ते हैं। यदि विजिलेंस के पास तकनीकी विशेष रहेंगे तो समय पर जांच पूरी होने पर भ्रष्टाचारी के विरुद्ध तत्काल कार्रवाई हो सकेगी।
इन केसों में लंबी जांच के बाद भी नहीं हुई कार्रवाई
केस 1-
नमामि गंगे परियोजना के तहत उत्तराखंड के गढ़वाल परिक्षेत्र में आठ एसटीपी बनाए गए। इनमें हरिद्वार के अलावा जोशीमठ, मुनिकीरेती, ऋषिकेश, कर्णप्रयाग, गोपेश्वर, नंदप्रयाग व बद्रीनाथ शामिल हैं। एसटीपी के निर्माण में करीब 400 करोड़ रुपये की धनराशि खर्च हुई है। लंबे समय से एसटीपी में वित्तीय अनियमितताएं के आरोप लग रहे थे। अक्टूबर 2024 में विजिलेंस ने इस मामले की जांच शुरू की, लेकिन अब तक कार्रवाई आगे नहीं बढ़ पाई।
केस 2-
उत्तराखंड परिवहन निगम के उप महाप्रबंधक (वित्त) भूपेंद्र कुमार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। लंबी जांच के बाद विजिलेंस ने उनके विरुद्ध अगस्त 2025 में मुकदमा दर्ज किया और इसके बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया। मुख्यमंत्री ने वित्तीय अनियमितता और पद के दुरुपयोग की शिकायतों के बाद खुली विजिलेंस जांच के आदेश दिए थे। मुकदमा दर्ज होने के दो माह बाद भी विजिलेंस की कार्रवाई आगे नहीं बढ़ पाई है।
विजिलेंस में तकनीकी विशेषज्ञ के पद भरने के लिए मुख्यमंत्री की ओर से घोषणा की गई थी। अब शासन की ओर से इन पदों को भरने के लिए मंजूरी मिल गई है। जल्द ही पदों को भरने के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
- डा. वी मुरुगेशन, निदेशक, विजिलेंस
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