सीएम धामी ने उठाए कई कदम, चार साल में बना 26,500 युवाओं को रोजगार देने का रिकॉर्ड
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री धामी सरकार ने युवाओं को रोजगार देने के लिए कई कदम उठाए हैं। पिछले चार सालों में 26,500 युवाओं को रोजगार मिला, जो एक रिकॉर्ड है। सरकार ने कौशल विकास कार्यक्रमों, निवेश प्रोत्साहन और भर्ती प्रक्रियाओं में सुधार जैसे कई उपाय किए हैं, जिससे रोजगार के अवसर बढ़े हैं।

भर्ती परीक्षा पर दोबारा सवाल उठे तो भरोसे को बनाए रखने में सीएम ने झोंकी ताकत. Concept Photo
राज्य ब्यूरो, जागरण, देहरादून । उत्तराखंड में चार वर्ष की अवधि में 26,500 युवाओं को सरकारी क्षेत्र में रोजगार मिला। रोजगार का यह रिकॉर्ड अपने नाम करने वाले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को 1456 युवाओं को नियुक्ति पत्र सौंपे तो उनकी आंखों में चमक के साथ नमी भी तैर रही थी।
मात्र 24 दिन पहले जब, विगत 21 सितंबर को भर्ती परीक्षा को नकल माफिया और इसके पीछे सक्रिय तंत्र ने फिर निशाना बनाया तो मुख्यमंत्री धामी ने युवाओं की संवेदनाओं के साथ स्वयं को जोड़ा और भर्ती परीक्षाओं की शुचिता व गोपनीयता के साथ उनकी निरंतरता बनाए रखने के संकल्प को अपना हथियार बनाने में देर नहीं लगाई। नियुक्ति पत्र बांटने के दौरान आत्मविश्वास से भरे मुख्यमंत्री का भाजपा संगठन ने भी भरपूर साथ दिया।
चार वर्ष पहले जब युवा धामी ने मुख्यमंत्री पद संभाला था तो उन्हें पहली सबसे बड़ी चुनौती बेरोजगारी और भर्ती परीक्षाओं की शुचिता पर हमले से जूझना पड़ा। इससे धामी ने पार पाया, साथ में सरकारी विभागों में रिक्त पदों में भर्तियों का रिकॉर्ड भी बना डाला। सरकारी विभागों में रिक्त पदों पर भर्ती तेज हुईं तो भर्ती परीक्षाओं की शुचिता और गोपनीयता को भंग करने के मामले सामने आ गए। मुख्यमंत्री धामी ने कड़ा नकलरोधी कानून बनाकर भर्ती परीक्षाओं पर ढहते भरोसे को थामने पर ताकत झोंकी, साथ में भर्तियों का क्रम थमने नहीं दिया।
पिछले चार वर्षों में धामी सरकार ने युवाओं को सरकारी नौकरी का अवसर देकर यह संदेश दिया है कि राज्य सरकार युवाओं के भविष्य को लेकर पूरी तरह संवेदनशील, पारदर्शी और प्रतिबद्ध है। इन नियुक्तियों के पीछे मुख्यमंत्री धामी का गहन मंथन, स्पष्ट नीति और दिन-रात की मेहनत है। उन्होंने खुद भर्ती प्रक्रिया से जुड़ी मशीनरी के साथ बैठकर व्यापक रूपरेखा तैयार की, ताकि एक ऐसी व्यवस्था बने जिसमें केवल मेहनत और ईमानदारी ही सफलता की कुंजी हो।
जब उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूकेएसएसएससी) का पेपर प्रकरण सामने आया, तो विपक्ष ने सरकार को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की। इस कठिन समय में मुख्यमंत्री धामी ने युवाओं के बीच जाकर निष्पक्ष जांच का भरोसा दिया। युवाओं की मांग पर विवादित परीक्षा को रद्द कर मात्र तीन माह में पुनः परीक्षा आयोजित कराने के निर्देश देकर उन्होंने यह साबित किया कि उनके लिए राजनीति नहीं, युवाओं का भविष्य सर्वोपरि है।
मुख्यमंत्री के सामने भर्ती परीक्षाओं को लेकर प्रदेश में बन रहे नैरेटिव और भ्रम को तोड़ने की रही है। इस प्रकरण की सीबीआइ जांच कराने की संस्तुति, एकल सदस्यीय जांच आयोग और एसआइटी जांच के रूप में कई स्तरीय रणनीति के बूते जोर इस पर रहा है कि भर्ती परीक्षाओं को लेकर आमजन में गलत
धारणा पनपने नहीं पाए। मंगलवार को 1456 नियुक्तियों में 1347 नियुक्तियां यूकेएसएसएससी की भर्ती परीक्षा के माध्यम से हुई हैं। शेष युवाओं का चयन राज्य लोक सेवा आयोग की भर्ती परीक्षा से हुआ है। परीक्षाओं का क्रम किसी भी सूरत में रुकेगा नहीं और परीक्षाओं को प्रभावित करने के किसी भी प्रयास को सिरे नहीं चढ़ने दिया जाएगा, धामी ने यह भरोसा कायम रखने का संदेश भी दिया है।
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