सीएम धामी ने जनजाति कल्याण पर दिया जोर, शिक्षकों को सौंपा नियुक्ति पत्र
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जनजाति कल्याण विभाग के अंतर्गत चयनित सहायक अध्यापकों को नियुक्ति पत्र दिए। उन्होंने 15 करोड़ से अधिक की योजनाओं का लोकार्पण किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार जनजातीय समाज के विकास के लिए प्रतिबद्ध है। केंद्र सरकार ने जनजातीय विकास का बजट बढ़ाया है। राज्य सरकार छात्रों को छात्रवृत्ति दे रही है और जनजातीय परंपराओं को संरक्षित करने के लिए काम कर रही है।

राज्य ब्यूरो, जागरण, देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को मुख्यमंत्री आवास स्थित मुख्य सेवक सदन में आयोजित कार्यक्रम में जनजाति कल्याण विभाग के अंतर्गत संचालित राजकीय आश्रम पद्धति विद्यालयों में चयनित 15 सहायक अध्यापकों को नियुक्ति पत्र प्रदान किए। इस अवसर पर उन्होंने 15 करोड़ रुपये से अधिक लागत की विभिन्न योजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास भी किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह परियोजनाएं न केवल जनजातीय समाज की आधारभूत सुविधाओं को सुदृढ़ बनाएंगी, बल्कि नागरिकों को बेहतर सुविधाएं भी उपलब्ध कराएंगी। चयनित शिक्षकों को बधाई देते हुए उन्होंने विश्वास जताया कि युवा अध्यापक नई पीढ़ी के सर्वांगीण विकास में अहम भूमिका निभाएंगे।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में जनजातीय समाज के उत्थान के लिए अनेक ऐतिहासिक कदम उठाए जा रहे हैं। भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाना केंद्र सरकार का बड़ा निर्णय है।
पूर्ववर्ती सरकारें केवल घोषणाओं तक सीमित रहीं, जबकि वर्तमान सरकार धरातल पर काम कर रही है। केंद्र ने जनजातीय विकास का बजट तीन गुना बढ़ाया है और एकलव्य माडल स्कूल, प्रधानमंत्री जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान, वन धन योजना एवं प्रधानमंत्री जनजातीय विकास मिशन जैसी योजनाएं लागू की हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा से प्रेरणा लेकर राज्य सरकार सांस्कृतिक मूल्यों व जनजातीय परंपराओं को संरक्षित करने के लिए कटिबद्ध है। इसी कड़ी में सख्त मतांतरण कानून लागू किया गया है। कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी, विधायक खजान दास, उमेश शर्मा काऊ, सविता कपूर, दलीप सिंह रावत, जनजाति आयोग की अध्यक्ष लीलावती राणा आदि मौजूद रहे।
राज्य में 128 प्रधानमंत्री जनजातीय उन्नत ग्राम
मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रधानमंत्री जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान के अंतर्गत उत्तराखंड के 128 जनजातीय गांवों का चयन हुआ है। राज्य में कालसी, मेहरावना, बाजपुर और खटीमा में चार एकलव्य आवासीय विद्यालय संचालित हैं, जहां जनजातीय छात्रों को निशुल्क शिक्षा और आवास की सुविधा मिल रही है। पिथौरागढ़ में भोटिया और राजी जनजाति के लिए भी एकलव्य विद्यालय खोलने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा गया है।
16 राजकीय आश्रम पद्धति विद्यालय संचालित
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार जनजातीय विद्यार्थियों को प्राथमिक से लेकर स्नातकोत्तर स्तर तक छात्रवृत्ति दे रही है। वर्तमान में 16 राजकीय आश्रम पद्धति विद्यालय और तीन आइटीआइ संस्थान संचालित हैं, जहां जनजातीय युवाओं को तकनीकी शिक्षा दी जा रही है। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए कोचिंग और छात्रवृत्ति की सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है।
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नौ हजार एकड़ सरकारी भूमि अतिक्रमण मुक्त की
उन्होंने कहा कि राज्य में नौ हजार एकड़ से अधिक सरकारी भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कराया गया है। राज्य में समान नागरिक संहिता लागू की गई है, जिसमें जनजातियों की परंपराओं को संरक्षण देने के लिए उन्हें इसके दायरे से बाहर रखा गया है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने जनजातीय शोध संस्थान में सुंदरीकरण, बालिकाओं के लिए हाईटेक शौचालय ब्लाक और आदि लक्ष्य संस्थान में डाइनिंग हाल निर्माण की घोषणा की।
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