उत्तराखंड में बंद पड़ी 20 हजार इकाइयों के खुलेंगे ताले, पढ़िए पूरी खबर
देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए एमएसएमई सेक्टर से रास्ता तलाशा जा रहा है। केंद्र ने इसे उबारने के लिए तीन लाख करोड़ रुपये खर्च करने का रोडमैप तैयार किया है।
देहरादून, जेएनएन। कोविड-19 संक्रमण से घिरी देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए एमएसएमई सेक्टर से रास्ता तलाशा जा रहा है। केंद्र सरकार ने इसे उबारने के लिए तीन लाख करोड़ रुपये खर्च करने का रोडमैप तैयार किया है।
इससे यह उम्मीद बलवती हो गई है कि गंभीर आर्थिक मंदी के दलदल में फंसा एमएसएमई सेक्टर निकट भविष्य में रफ्तार पकड़ेगा। उत्तराखंड में पिछले दो वर्षो में करीब 20 हजार एमएसएमई सेक्टर के उद्योग आर्थिक तंगी व बैंक ऋण के चलते बंद हो गए। लेकिन अब कोरोना लॉकडाउन के बाद बदली परिस्थितियों में केंद्र सरकार ने सबसे अधिक फोकस सूक्ष्म, लघु, मध्यम उद्योगों पर किया है। उम्मीद की जा रही है कि आर्थिक व अन्य कारणों से बंद हो चुके या बीमारू एमएसएमई उद्योग न केवल पुनर्जीवित होंगे, बल्कि तेजी से विकास भी करेंगे।
50 हजार युवाओं को नहीं करना होगा पलायन
उद्योग विशेषज्ञों व उद्यमियों के मानना है कि केंद्र सरकार की ओर से एमएसएमई सेक्टर के उद्योगों के उत्थान के लिए जो समग्र विकास योजना बनाई है, यदि उसे उत्तराखंड में नौकरशाह, सरकारी व निजी क्षेत्र के बैंक व धरातल पर काम करने वाली एजेंसियां गंभीरता से लेती हैं तो उत्तराखंड के सात पहाड़ी जिलों में अगले एक साल के भीतर 30 हजार एमएसएमई उद्योग कारोबार शुरू कर सकते हैं। इससे करीब 50 हजार युवाओं को रोजगार भी मिलेगा। केंद्र सरकार बिना गारंटी के ऋण सुविधा और इसे ई-मार्केट से जोड़ने जा रही है। यह ग्रामीण इलाकों में एमएसएमई के लिए वरदान साबित हो सकती है।
- पंकज गुप्ता (अध्यक्ष, उत्तराखंड इंडस्ट्रीज एसोसिएशन) का कहना है कि केंद्र सरकार ने एमएसएमई के लिए बड़ी राहत दी है। जो तीन लाख करोड़ का पैकेज दिया गया है, उससे एक लाख एमएसएमई को लाभ मिलेगा। बीमार व बंद पड़े एमएसएमई को पुनर्जीवित करने के लिये यह बेहद जरूरी था। 45 दिन में एमएसएमई का सरकारी बकाया भुगतान का निर्णय भी स्वागत योग्य है। उत्तराखंड में इससे पलायन थमने की उम्मीद है।
- अशोक विंडलास (अध्यक्ष राज्य परिषद, सीआइआइ) का कहना है कि ऐसे समय में केंद्र सरकार ने एमएसएमई सेक्टर के उद्योगों को आगे बढ़ाने के लिए जो तीन लाख करोड़ की मदद का एलान किया है, उससे उत्तराखंड के उद्योगों को भी लाभ मिलेगा। इससे उत्पादन गति पकड़ेगा। जो इकाई बीमार हैं या आर्थिक परेशानी के चलते उत्पादन नहीं कर रही हैं, वह ऋण योजना का लाभ भी ले सकती हैं।
- राकेश भाटिया (राज्य अध्यक्ष, इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन) का कहना है कि नुकसान के भरपाई की केंद्र सरकार ने बेहतर पहल की है। अब देखना है कि राज्य में एमएसएमई उद्योगों को आगे बढ़ाने के लिए नौकरशाही कितनी रुचि लेती है। यदि केंद्र ने बीमार एमएसएमई को दोबारा चालू करने के लिए 20 हजार करोड़ का प्रावधान किया है तो हमें देखना है कि जोशीमठ व हर्षलि जैसे दूरस्थ स्थानों में बंद उद्योग शुरू हुए भी, या नहीं।
- संजय गुप्ता (ज्वाइक लाइफ साइंस, देहरादून) का कहना है कि केंद्र सरकार ने कोरोना महामारी से उबारने के लिए उद्योग जगत को बहुत बड़ी राहत दी है। विशेषकर एमएसएमई उद्योगों को बंद होने से बचा लिया गया है। लॉकडाउन ने एमएसएमई उद्योगों को सर्वाधिक प्रभावित किया है। यहां काम करने वाले ऐसे कर्मचारियों का तीन महीने का ईपीएफ केंद्र सरकार भरेगी, जिनका वेतन 15 हजार से कम है।
- अनिल मारवाह (समन्वयक, फूड प्रोसेसिंग इकाई, उत्तराखंड) का कहना है कि हम प्रधानमंत्री के आर्थिक पैकेज के एलान का हृदय से स्वागत करते हैं। उनका फोकस पूरी तरह से एमएसएमई सेक्टर के उद्योगों व डिमांड व सप्लाई के अंतर को कैसे कम किया जाए पर भी था। इस आर्थिक पैकेज से एमएसएमई में आत्मविश्वास जाग्रत होगा। आज के वितमंत्री के एमएसएमई के लिए छह आर्थिक एलान उद्योगों के लिए उत्साहवर्धक हैं। अब कार्यदायी संस्थाओं को सक्रिय भूमिका निभानी होगी। प्राइवेट बैंक सरकार के आर्थिक पैकेज के आदेशों की अवहेलना करते हैं। सरकारी स्तर पर इसकी नियमित साप्ताहिक समीक्षा हो।
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- संजय जैन (राज्य अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व सदस्य व प्रमुख बारूमल टी कंपनी) का कहना है कि केंद्रीय वित्तमंत्री की ओर से एमएसएमई सेक्टर के बारे में की गई घोषणाएं नाकाफी हैं। छोटे उद्योगों को केंद्र सरकार द्वारा झुनझुना थमाने का काम किया गया है। सरकार द्वारा की गई घोषणाएं मुख्यत: केवल सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग को ऋण प्रदान करने संबंधी हैं और वह भी 31 अक्टूबर से लागू की जानी प्रस्तावित हैं। इन घोषणाओं से व्यापारी वर्ग जो कि देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान करता है, सिरे से गायब है। बेहतर होता कि वित्त मंत्री सूक्ष्म, लघु उद्योग, लघु व्यापार संगठित क्षेत्र और असंगठित क्षेत्र के कर्मचारियों को सीधी आर्थिक सहायता पहुंचाने से संबंधित घोषणा करतीं। जिससे कि बाजार में मांग पैदा होती।
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