उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में चीनी सैनिकों की घुसपैठ, शासन-प्रशासन कर रहा इन्कार
लद्दाख में चीनी सेना की घुसपैठ के बाद अब उत्तराखंड के उत्तरकाशी में भी चीनी सैनिकों के घुसपैठ की चर्चा है। शासन और स्थानीय प्रशासन ने ऐसी किसी जानकारी से इन्कार किया है।
देहरादून, जेएनएन। लद्दाख में चीनी सेना की घुसपैठ के बाद अब उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में भी चीनी सैनिकों के घुसपैठ की चर्चा है। हालांकि, शासन और स्थानीय प्रशासन ने ऐसी किसी जानकारी से इन्कार किया है।
पूर्व में चीन की सेना चमोली जिले के बाड़ाहोती में घुसपैठ करती रही है, लेकिन उत्तरकाशी में वर्ष 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद घुसपैठ का कोई मामला नहीं आया है। उत्तराखंड के मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने इस तरह की कोई जानकारी होने से इन्कार किया है। वहीं, सरकार के प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि उत्तरकाशी के जिलाधिकारी ने सरकार को ऐसी कोई सूचना नहीं दी है। यदि ऐसा कुछ होता तो सरकार को जानकारी अवश्य दी जाती।
घटना उत्तरकाशी जिले के हर्षिल सेक्टर की बताई जा रही है। चर्चा है कि करीब सप्ताह भर पहले चीन के सैनिकों ने हर्षिल से 85 किलोमीटर दूर मुलिंगला, थांगला-1 और थांगला-2 क्षेत्र में घुसपैठ की कोशिश की। इस दौरान भारतीय सेना के जवानों से उनकी धक्का-मुक्की भी हुई। जवानों ने चीनी सेना के मंसूबों को नाकाम कर दिया। हर्षिल के आसपास के गांवों में इस मामले को लेकर सुगबुगाहट है, लेकिन ग्रामीण भी इस बारे में कुछ बोलने से बच रहे हैं।
गौरतलब है कि बीते गुरुवार 21 मई को मध्य कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग ईएस घुमन हर्षिल पहुंचे थे और उन्होंने सीमावर्ती चौकियों का निरीक्षण किया। इसके बाद वह चमोली में भी अग्रिम चौकियों तक गए।
संवेदनशील है बाड़ाहोती
चमोली के जोशीमठ से 105 किलोमीटर दूर चीन से जुड़ी भारतीय सीमा घुसपैठ की दृष्टि से काफी संवेदनशील मानी जाती है। खासकर 80 वर्ग किलोमीटर में फैला बाड़ाहोती चारागाह। यहां स्थानीय लोग अपने मवेश्यिों को लेकर आते हैं। वर्ष में चार बार प्रशासन की टीम बाड़ाहोती का जायजा लेने जाती है।
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