ई-शिक्षा पूर्व तैयारी की मिसाल, ऑनलाइन दिया जा रहा स्टडी मटीरियल
घर पर बच्चे खाली रहने के बजाय ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाई करें इसकी पूरी व्यवस्था एचआरडी मंत्रालय ने की है। छात्रों को प्रतिदिन के स्टडी मटीरियल ऑनलाइन दिया जा रहा है।
देहरादून, अशोक केडियाल। कोरोना संक्रमण रोकने की मुहिम जारी है। लॉकडाउन को सफल बनाने में हर वर्ग जुटा है। घर पर आपके बच्चे खाली रहने के बजाय ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाई करें, इसकी पूरी व्यवस्था एचआरडी मंत्रालय ने की है। स्कूल, कॉलेज व विवि की ओर से छात्रों को प्रतिदिन के हिसाब से स्टडी मटीरियल ऑनलाइन दिया जा रहा है। जिससे इस बात को बल मिलता है कि ई-शिक्षा को लेकर पहले से की गई तैयारी काम आई। कुछ निजी विवि ने ऑनलाइन ही नए दाखिलों के लिए आवेदन भी शुरू कर दिए हैं। मानव संसाधन विकास मंत्रालय पिछले कुछ सालों से लगातार ऑनलाइन प्लेटफार्म को प्रोत्साहित कर रहा था, उसके प्रयास अब काफी सफल होते दिख रहे हैं। आज स्कूलों से लेकर विवि तक सभी के लिए पोर्टल और मोबाइल एप्लीकेशन बने हैं। यह भविष्य की नई ई-शिक्षा की दिशा भी तय करेंगे। उम्मीद है, इस तकनीक से शिक्षा और सुलभ होगी।
कल का भविष्य ऑनलाइन शिक्षा
देश में अब लॉकडाउन तीन मई तक बढ़ा किया गया है। यदि कुछ चल रहा है तो वह है ऑनलाइन कार्य। जिसमें स्कूल से लेकर विवि स्तर तक की पढ़ाई कराई जा रही है। ऐसी विषम परिस्थितियों में वह शिक्षा संस्थान राहत महसूस कर रहे हैं, जिनके यहां पढ़ाई ऑनलाइन चल रही है। जिन विवि व कॉलेजों में पहले ऑनलाइन पढाई की व्यवस्था नहीं थी, उन्होंने अब इसे अपना लिया है। जो संस्थान पहले से ही ठीक स्थिति में हैं, उनके छात्र हर रोज ऑनलाइन स्टडी कर रहे हैं। अगर कोरोना संक्रमण लंबे समय तक नहीं थमा तो ऑनलाइन पढ़ाई नहीं करवाने वाले संस्थानों की मुश्किल बढ़ सकती है। अब समय रहते ऐसे संस्थानों को ई-शिक्षा की दिशा में पहल करनी होगी और उसका नियमित संचालन भी करना होगा। ताकि कॉलेज न आ पाने की सूरत में छात्र-छात्राएं घर बैठकर पढ़ाई कर सकें। इससे छात्रों व संस्थान को लाभ मिलेगा।
टेलीमेडिसिन भविष्य की स्वस्थ्य सेवा
विश्वभर में कोरोना वायरस संक्रमण को करीब चार महीने होने को हैं। मगर अभी तक इसकी कोई वैक्सीन नहीं बनी है। ऐसे समय शारीरिक दूरी ही इसका सबसे बेहतर उपचार माना जा रहा है। भविष्य में चिकित्सक भी अपने पास मरीजों की भीड़ लगने नहीं देंगे। ऐसे समय में टेलीमेडिसिन बेहद कारगर चिकित्सा पद्धति साबित हो सकती है। इस आधुनिक चिकित्सा पद्धति में चिकित्सकों को रोगी की सीधी जांच के बजाय रिपोर्ट ऑनलाइन देखनी होगी। किसी भी रोग से ग्रसित व्यक्ति की प्रयोगशाला में खून, रक्त व स्टूल की जांच होती है। जांच रिपोर्ट के बाद ही चिकित्सक रोगी को दवा से लेकर ऑपरेशन तक करवाने की सलाह देते हैं। टेलीमेडिसिन के जरिये रोगी को चिकित्सक के पास आने की जरूरत नहीं है। वह मोबाइल व अन्य ऑनलाइन माध्यम से अपनी रिपोर्ट चिकित्सक को दिखा सकते हैं। शारीरिक दूरी बनाए रखने का यह बेहतर माध्यम भी है। इसे अपनाना चाहिए।
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नहीं है डर का अहसास
देखने में आ रहा है कि युवा लॉकडाउन के उल्लंघन में सबसे आगे हैं। वह कुछ न कुछ बहाना बनाकर सैर-सपाटे को निकल रहे हैं। कई युवक तो ऐसे भी देखे गए जो गली के लावारिस कुत्ते को पालतू बताते हैं और बीमारी के बहाना बनाकर उसे डाक्टर को दिखाने चल पड़ते हैं। पुलिस ऐसे युवाओं से बस यह कहती है कि यार बहाना तो जरा ढंग का हो, कुत्ते को कुछ हुआ नहीं है। दून के चौक-चौराहों पर ऐसे युवाओं को पुलिस से यूं ही उलझते देखा जा सकता है। कॉलेज व विवि में जितनी संख्या छात्रों की है, उतनी ही छात्रएं भी हैं, लेकिन लॉकडाउन के दौरान सड़कों पर छात्रएं नहीं दिखाई देतीं। बहुत जरूरी कार्य या आवश्यक सेवा से जुड़ी महिलाएं व छात्राएं ही घर से निकलती हैं। युवाओं को इन छात्राओं से प्रेरणा लेनी चाहिए। कोरोना का शारीरिक दूरी ही अभी तक सबसे बड़ा इलाज है।