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उत्‍तराखंड में महिला क्रिकेटरों की घर वापसी को कवायद शुरू, पढ़िए

महिला क्रिकेटर जिन्हें प्रदेश से प्लेटफॉर्म नहीं मिल तो वह भविष्य को संवारने के लिए दूसरे राज्यों का रुख कर गई। उनकी घर वापसी की कवायद शुरू हो गई है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Wed, 15 Apr 2020 08:46 AM (IST)Updated: Wed, 15 Apr 2020 10:20 PM (IST)
उत्‍तराखंड में महिला क्रिकेटरों की घर वापसी को कवायद शुरू, पढ़िए
उत्‍तराखंड में महिला क्रिकेटरों की घर वापसी को कवायद शुरू, पढ़िए

देहरादून, निशांत चौधरी। पलायन कोई खुशी में नहीं करता। इसके पीछे वजह छुपी होती हैं। कहीं भविष्य की चिंता तो कहीं कमाई का साधन। लेकिन महिला क्रिकेटर जिन्हें प्रदेश से प्लेटफॉर्म नहीं मिल तो वह भविष्य को संवारने के लिए दूसरे राज्यों का रुख कर गई। उनकी घर वापसी की कवायद शुरू हो गई है।

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क्रिकेट एसोसिएशन आफ उत्तराखंड ऐसी महिला क्रिकेटरों की सूची तैयार कर रहा है जो वर्तमान में दूसरे राज्यों से खेल रही हैं। एसोसिएशन इन खिलाड़ियों को घर बुलाने की तैयारी में जुट गया है। खिलाड़ी वापसी को तैयार है लेकिन जिस राज्य से खिलाड़ी खेल रही है वह से उन्हें एनओसी नहीं मिल रही है तो सीएयू उक्त राज्य से बात करने का भी तैयार है। ताकि उन्हें यह लौटने में दिक्कत न हो। क्योंकि उन्हें अपने राज्य में खेलने के ज्यादा मौके मिलेंगे। प्रदेश की प्रतिभाओं की घर वापसी को लेकर सीएयू की यह अच्छी पहल है।

महिला खिलाड़ियों के लिए लगेगा कैंप

महिला क्रिकेटरों के खेल का सुधारने के लिए सीएयू ठोस प्लानिंग कर रहा है। इस योजना के तहत सीएयू लॉकडाउन समाप्त होने के बाद महिला क्रिकेटरों के लिए कैंप संचालित करेगी। कैंप दो वर्गों में आयोजित किए जाएंगे। एक वर्ग में सीनियर व अंडर-23 और दूसरे वर्ग में अंडर -19 आयु वर्ग के खिलाड़ी शामिल होंगे। कैंप में इन खिलाड़ियों को बीसीसीआइ लेवल के कोच प्रशिक्षण देंगे। कैंप में शामिल खिलाड़ियों के बीच आपस में मैच कराए जाएगें। कैंप में प्रदर्शन के आधार पर महिला टीम के लिए संभावितों की सूची भी तय की जाएगी। कैंप का उद्देश्य है कि घरेलू सत्र से पहले खिलाड़ियों को बेहतरीन कोच से प्रशिक्षण दिया जाए ताकि वह अपने खेल की कमियों को दूर कर सकें। जब वह मैदान में किसी विपक्षी राज्य के खिलाफ उतरे तो उनका प्रदर्शन शानदार हो। जिससे उत्तराखंड के अन्य खिलाड़ियों को भी आगे बढ़ने की प्रेरणा मिले।

प्रशंसनीय है ओलंपिक संघ का सहयोग

कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए प्रधानमंत्री ने लोगों से सहयोग करने का आह्वान किया था। देश के तमाम लोगों ने अपनी क्षमता के अनुसार प्रधानमंत्री राहत कोष में सहयोग भी दिया है। ऐसा ही आर्थिक सहयोग राज्य ओलिंपिक संघ ने किया है। दरअसल भारतीय ओलंपिक संघ के आह्वान पर राज्य ओलंपिक संघ व राष्ट्रीय व राजकीय खेल संघों ने मिलकर करीब 10 करोड़ रुपये प्रधानमंत्री राहत कोष में जमा किए हैं। इस धनराशि में सबसे ज्यादा पांच लाख रुपये का योगदान उत्तराखंड राज्य ओलंपिक संघ ने दिया है। यह धनराशि अन्य राज्य के ओलंपिक संघों से दोगुनी हैं। उत्तराखंड राज्य ओलंपिक संघ से प्रदेश के अन्य खेल संघों को भी सीखना चाहिए कि इस विकट परिस्थितियों में सबका साथ जरूरी है तभी इस महामारी से पार पाया जा सकता है। इसलिए इस परिस्थिति में हाथ बांधने की बजाय जरूरतमंदों की मदद के लिए उन्हें आगे आना चाहिए।

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अपनी जिम्‍मेदारी निभाएं, सबका रखें ख्‍याल

वर्तमान समय में चल रहे लॉकडाउन में हजारों लोगों का रोजगार छीन गया है। प्रतिदिन मजदूरी करने वालों के समक्ष रोटी का संकट खड़ा हो गया है। हालांकि, जरूरतमंदों की मदद के लिए प्रशासन हरसंभव सहयोग कर रहा है। वहीं खेल मैदानों के रखरखाव में लगे कर्मियों का रोजगार रोजगार सुरक्षित है। साथ ही स्टेडियम प्रशासन और क्रिकेट ऐकेडमी के संचालक इन कर्मियों के घर जरूरत का सामान पहुंच रहे हैं। ताकि उन्हें दिक्कत न हो। इन परिस्थितियों में अपने कर्मियों का ख्याल रखने की सीख हमें सीखनी चाहिए। क्योंकि उनके साथ उनका पूरा परिवार जुड़ा है। अगर इस समय हम उनका साथ छोड़ देते है तो वह कहां जाएंगे। समय चाहे कितना भी विपरीत हो लेकिन हमें अपने कर्त्तव्य का निर्वाह ईमानदारी से करना चाहिए। अगर इस ध्येय के साथ हम सबका ध्यान रखेंगे तो यह विकट परिस्थिति भी हमें टूटने नहीं देगी। एकजुटता से जीत हमारी ही होगी।

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