Uttarakhand Lockdown: सास-बहू की खटपट से घर के मर्द भी परेशान, नौकरी पर चले जाने से नहीं पता चलते थे हालात
लॉकडाउन के चलते घर में सास-बहू कि किचकिच से अब मर्द भी परेशान हो गए हैं। पहले नौकरी के चक्कर में इसका पता नहीं लग पता था लेकिन अब सब सामने है।
देहरादून, अंकुर अग्रवाल। यूं तो सास-बहू के बीच कहासुनी के किस्से नए नहीं हैं, लेकिन अक्सर घर के मर्दो को इनकी किचकिच कभी-कभार ही सुनने को मिलती है। दरअसल, मर्द नौकरी या व्यापार के चलते पूरा दिन बाहर रहते हैं और रात को घर पहुंचने पर अक्सर घर का माहौल ठीक ही मिलता है। मगर, आजकल ऐसा नहीं।लॉकडाउन के चलते गुजरे बीस दिन से मर्द भी घर में ही हैं, तो पूरे दिन वे इस किचकिच से दो-चार हो रहे। अब बात इतवार की ही है। अपने पड़ोसी भाटिया जी के घर में दोपहर में जमकर क्लेश हो गया। यूं तो मैं भी भाटिया जी के घर की बातों पर ज्यादा गौर नहीं करता था, लेकिन बात कुछ ज्यादा बढ़ी तो भाटिया जी के यहां पहुंचकर पूछ ही लिया। वे रुंधे गले से बोले कि यार पैसे कमाने के चक्कर में हमने कभी देखा ही नहीं कि घर के अंदर क्या चल रहा।
लॉकडाउन ने बचाया रिश्ता
बात यहां भी सास-बहू की कहासुनी से ही शुरू हुई और पहुंच गई तलाक तक। गनीमत है कि 'बेचारे' कोरोना ने लॉकडाउन दिया हुआ है, वरना कई जिंदगी बिखर जातीं। अभी तीन दिन पहले ही एक करीबी रिश्तेदार का फोन आया। उस समय मैं आफिस में ही था। उसने पूछा कि अगर फ्री हो तो कुछ बात करनी है। उसने बताया कि मम्मी और पत्नी की सुबह जमकर बहस हो गई और बात इतनी बढ़ी कि उसने पत्नी को दो-चार थप्पड़ रसीद कर दिए।
भई, मां के साथ बहू ने बेटे के सामने अपशब्द कुछ ज्यादा बोल दिए थे। पत्नी भी आपा खोकर तलाक की बात कहकर मायके जाने निकल पड़ी। मायका हरियाणा में है, जहां जाने का फिलहाल कोई साधन नहीं। फिर क्या, उल्टे पांव ससुराल ही लौट आई। दूधमुंही बच्ची को देख मन पिघल गया और गुस्सा खत्म हुआ। तब बोली कि 'हाय, क्या करने चली थी मैं।'
घर में हेयर कटिंग
लॉकडाउन में लोगों की बड़ी चिंता बालों को लेकर है। महिलाओं के लिए तो यह सौंदर्य का प्रतीक हैं। वहीं, कुछ पुरुष तो ऐसे हैं, जो हर पंद्रह दिन में अपने बालों की सेटिंग कराने हेयर ड्रेसर के पास जाते थे। बच्चों के बाल भी बढ़ते जा रहे। गर्मी बढ़ने से चिंता और सताने लगी है। आजकल शहर के कई घरों में हेयर कटिंग का काम शुरू हो गया है। जरा रुकिये, ये हेयर कटिंग किसी बाहरी व्यक्ति के लिए नहीं, ना ही कोई स्पेशलिस्ट बुलाया जा रहा है। किसी घर में पुरुष बच्चों की खुद हेयर कटिंग कर रहे तो कहीं महिलाएं। यही नहीं जिन घरों में दो-तीन महिलाएं हैं, वे आपस में ही एक-दूसरे के बालों को न सिर्फ कैंची से सेट कर रहीं, बल्कि थ्रेडिंग भी खुद कर रही हैं। परेशानी भी हल हो रही और खर्चा भी बच रहा। यानी 'हींग लगे न फिटकरी, रंग चोखा'।
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पढ़ाई का सामान नहीं
लॉकडाउन में स्कूल-कालेजों को ऑनलाइन पढ़ाई कराने की इजाजत तो दे दी, लेकिन अभिभावकों और बच्चों के सामने सबसे बड़ी समस्या स्टेशनरी की आ रही। छोटे बच्चों के साथ यह समस्या बड़ी है। लॉकडाउन में सरकार ने जरूरी सेवा की दुकानों को ही खोलने की इजाजत दी है और स्टेशनरी की दुकानें इनमें शामिल नहीं हैं। ऐसे में बच्चे पढ़ें तो कैसे। स्कूल वाली मैडम रोजाना नई आर्ट, क्रॉफ्ट जैसे न-जाने कितने टॉस्क दे रहीं और बच्चों के पास जो पिछली क्लास की बची कॉपियां और ड्राइंग बुक आदि थीं, वे सब फुल हो चुकी हैं। कुछ बच्चों की तो रबर और पैंसिल भी खत्म हो चुकी हैं। ऐसे में वे बेहद परेशान हो रहे। अभिभावक जो दूसरे कागज और डॉयरी के पेज आदि दे रहे हैं, उस पर छोटे बच्चे काम करने को राजी नहीं। इस स्थिति में बच्चों को पढ़ाना किसी टेढ़ी खीर से कम नहीं दिख रहा।
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