सेलाकुई व गंगभेवा बावड़ी में छठ महापर्व पर उमड़ेंगे श्रद्धालु, नदी तट और घाट की कराई गई सफाई
सेलाकुई और गंगभेवा बावड़ी में छठ महापर्व के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ने की संभावना है। पर्व को देखते हुए नदी तटों और घाटों की सफाई करा दी गई है। छठ पर्व की तैयारी पूरी हो चुकी है और श्रद्धालुओं के स्वागत के लिए स्थान तैयार हैं।

जागरण संवाददाता, विकासनगर। छठ महापर्व को देखते हुए सेलाकुई में नदी किनारे व विकासनगर क्षेत्र में गौतम ऋषि की तपोस्थली गंगभेवा बावड़ी में तैयारियां शुरू करा दी गई हैं। सेलाकुई व गंगभेवा बावड़ी में छठ महापर्व पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु उमड़ेंगे। इसकी तैयारी के तहत सेलाकुई में नदी तट की सफाई करा दी गई है।
इसी प्रकार गंगभेवा बावड़ी में घाट की सफाई कराने के बाद समिति के पदाधिकारी झालरों से सजावट करा रहे हैं। इस बार छठ महापर्व 25 अक्टूबर को नहाय खाय से शुरू होगा। इसे देखते हुए गंगभेवा बावड़ी मंदिर प्रबंधन समिति के अध्यक्ष रविंद्र चौहान ने बताया कि शुक्रवार को बावड़ी क्षेत्र को झालरों से सजा दिया जाएगा।
हर वर्ष छठ महापर्व पर इन दोनों ही स्थानों पर अच्छी खासी भीड़ जुटती है। पूर्वांचल समाज के अध्यक्ष पूर्व शिक्षक अशोक सिंह ने बताया कि चार दिन तक चलने वाले इस महापर्व का वर्णन वेदों में मिलता है। पर्व के दौरान की गई पूजा अर्चना से धार्मिक अनुष्ठान पूरा होने के साथ ही मानव शरीर से कई रोगों का नाश भी होता है।
संतोष कुमार का कहना है कि सेलाकुई में यह पर्व नदी तट पर मनाया जाता है। षष्ठी के दिन सायंकाल सूर्य की पहली पत्नी प्रत्यूषा की पूजा करने का विधान है। जबकि सप्तमी के दिन प्रात: उषा की अराधना करते हैं। नहाय खाय से पर्व की शुरुआत होती है।
पहले दिन श्रद्धालु विशेष रूप से लौकी भात का सेवन करते हैं। खरना में पूरे समय व्रत रखा जाता है। शाम के समय घाट किनारे जाकर विधि विधान से पूजा करने के बाद विशेष दीपक प्रज्जवलित करते हैं। छठ पूजा के चौथे दिन उगते हुए सूर्य को अर्ध्य देकर इस व्रत का पारण किया जाता है।
पर्व की तिथिवार परंपराएं
- 25 अक्टूबर : नहाय-खाय
- 26 अक्टूबर : खरना
- 27 अक्टूबर : संध्या अर्ध्य षष्ठी
- 28 अक्टूबर : उषा अर्घ्य, पारण का दिन।

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