उत्तराखंड में भी छठ महापर्व का उल्लास, श्रद्धालुओं ने की खरीदारी
उत्तराखंड के विकासनगर में छठ महापर्व की धूम है। श्रद्धालुओं ने नहाय खाय की तैयारी शुरू कर दी है। बाजारों में पूजा सामग्री की खरीदारी की जा रही है और घरों में प्रसाद बनाने के लिए मिट्टी के चूल्हे तैयार किए जा रहे हैं। यह पर्व शुद्धता और सूर्य देव की उपासना का प्रतीक है, जिसमें श्रद्धालु विशेष उत्साह से भाग ले रहे हैं।

शनिवार को नहाय खाय की परंपरा के साथ शुरू होगा सूर्योपासना का पर्व। आर्काइव
जागरण संवाददाता, विकासनगर । शनिवार को नहाय खाय की परंपरा के साथ सूर्यदेव की पूजा का छठ महापर्व शुरू हो जाएगा। शुक्रवार को पछवादून में श्रद्धालुओं ने घर की सफाई करने के अलावा बाजार में पूजा सामग्री की खरीदारी की। इसके चलते सेलाकुई व विकासनगर बाजारों में फल और पूजा सामग्री की दुकानों पर रौनक रही। श्रद्धालुओं ने प्रसाद बनाने के लिए मिट्टी का चूल्हा भी तैयार किया।
शनिवार को नहाय खाय के मौके पर श्रद्धालु व्रत की शुरुआत करेंगे। व्रत रखने से पूर्व भोजन के रूप में कद्दू-दाल, चावल, चने की दाल व लौकी बनाई जाएगी। भगवान सूर्य की उपासना के साथ शुरू होने वाले छठ पर्व को लेकर सभी श्रद्धालुओं में विशेष उत्साह देखा गया। पछवादून के विकासनगर, डाकपत्थर, सेलाकुई में छठ पर्व की विशेष धूम रहती है। श्रद्धालु सुबह गौतम ऋषि की तपस्थली गंगभेवा बावड़ी में स्नान करेंगे।
मान्यता है कि बाबड़ी में गंगा का स्रोत है। हालांकि पूरे पछवादून क्षेत्र में यमुना मुख्य नदी है। अशोक कुमार सिंह, केके गौतम, अभिषेक कुमार, संतोष कुमार आदि का मानना है कि छठ पर्व शुद्धता का प्रतीक है और हर काम गंगा के शुद्ध पानी से शुरू करना शुभ होता है। व्रतियों द्वारा गणेश जी और सूर्यदेव को भोग लगाकर प्रसाद का सेवन किया जाएगा। छठ पर्व साफ सफाई का पर्व है। चार दिन तक घरों में लहसुन व प्याज का सेवन भी नहीं किया जाता। व्रत रखने वाला श्रद्धालु शांत स्थान पर प्रभु का ध्यान लगाता है। छठ पूजा व्रत मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा किया जाता है।
मान्यता है कि महाभारत काल में जब पांडव अपना सारा राजपाट जुआ में हार गए थे, तब द्रोपदी ने यह व्रत रखा था। सबसे पहले सूर्यदेव की पूजा शुरू की। लंका विजय उपरांत माता सीता ने भी यह व्रत किया था। मान्यता के अनुसार कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्टी के सूर्यास्त व सप्तमी के सूर्योदय के मध्य वेदमाता गाय का जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन छठ व्रत किया जाता है।

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