देवशयनी एकादशी के साथ रविवार से चातुर्मास शुरू, जानिए इसका महत्व और इस दौरान क्या करें?
देवशयनी एकादशी से चातुर्मास शुरू हो गया है जिसमें भगवान विष्णु पाताल लोक में शयन करते हैं। इस दौरान विवाह जैसे मांगलिक कार्य नहीं होंगे पर पूजा-पाठ जारी रहेंगे। जैन समाज का चातुर्मास 9 जुलाई से शुरू होगा जिसमें मुनि धार्मिक प्रवचन देंगे और विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। श्रद्धालु इस अवधि में धर्म-कर्म में विशेष ध्यान देते हैं।

जागरण संवाददाता, देहरादून। देवशयनी एकादशी के साथ रविवार से चातुर्मास शुरू हो जाएगा। चार महीने तक कथा, पूजा, पाठ, हवन आदि किए जा सकते हैं। नवंबर में देवउठानी एकादशी के साथ ही सभी मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे।
हिंदू धर्म में मान्यता के अनुसार वर्षाकाल के इस महीने में भगवान विष्णु सभी देवी देवताओं के साथ पाताल लोक में शयन करते हैं। जो देवउठनी एकादशी पर शयन से जागते हैं। इसी अवधि को चातुर्मास अथवा चौमासा भी कहते हैं।
उत्तराखंड विद्वत सभा के अध्यक्ष विजेंद्र प्रसाद ममगाईं के अनुसार, आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी से चातुर्मास शुरू होता है। इस बार चातुर्मास अथवा देवशयनी एकादशी रविवार से शुरू हो रही है। जो दो नवंबर को देवउठनी एकादशी तक रहेगा। इस दौरान विधिवत चूड़ा कर्म व विवाह के कार्यों पर विराम रहेगा। हालांकि कथा, पूजा, पाठ आदि किए जा सकते हैं। संत, आम लोग धर्म, कर्म, पूजा पाठ, आराधना में समय बिताते हैं। देवशयनी एकादशी व्रत के अलावा चातुर्मास में भगवान विष्णु की पूजा विशेष फलदायी रहता है। चातुर्मास व्रत को श्रद्धालु अनुशासन में रहकर करते हैं तो भगवान कृपा बरसाते हैं।
जैन समाज का चातुर्मास नौ से
दिगंबर जैन समाज का चातुर्मास नौ जुलाई से कलश यात्रा के साथ शुरू होगा। अगले चार महीने तक जैन मुनि विचरण नहीं करेंगे। एक ही जगह पर पूजा व धार्मिक प्रवचन देंगे।
वहीं सामूहिक अभिषेक, शांतिधारा, प्रवचन, सामूहिक आरती, कीर्तन, अनुष्ठान, सांस्कृतिक कार्यक्रम व प्रतियोगिताएं जैसे बड़े आयोजन होंगे। जैन मिलन के कार्यकारी अध्यक्ष एनसी जैन ने बताया कि रविवार को जैन मुनि नगर प्रवेश करेंगे। नौ से चातुर्मास शुरू होगा।
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