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Chardham Yatra: गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुले, यात्रा व्यवस्थाएं दुरुस्त करने की रहेगी चुनौती

गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ ही चारधाम यात्रा का विधिवत शुभारंभ हो गया। इस दौरान यात्रा व्यवस्थाएं दुरुस्त करने की चुनौती रहेगी।

By Sunil NegiEdited By: Published: Tue, 07 May 2019 02:54 PM (IST)Updated: Tue, 07 May 2019 08:27 PM (IST)
Chardham Yatra: गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुले, यात्रा व्यवस्थाएं दुरुस्त करने की रहेगी चुनौती
Chardham Yatra: गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुले, यात्रा व्यवस्थाएं दुरुस्त करने की रहेगी चुनौती

देहरादून, जेएनएन। विश्व प्रसिद्ध गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ ही चारधाम यात्रा का विधिवत शुभारंभ हो गया। केदारनाथ धाम के कपाट नौ मई, जबकि बदरीनाथ धाम के कपाट 10 मई को खोले जाएंगे। चारधाम यात्रा को लेकर देश विदेश के तीर्थयात्रियों में खासा उत्‍साह है। यात्री सुविधाओं की बात करें तो इस बार केदारनाथ में 3000 से अधिक यात्री ठहर सकेंगे। वहीं, गंगोत्री और यमुनोत्री में संचार, स्वास्थ्य, घोड़ा-खच्चर, डांडी-कंडी, सड़क व पैदल मार्ग से लेकर धाम में घाट, पुलिया व स्नान कुंड तक यात्रा व्यवस्थाएं दुरुस्त होने के दावों की कलई खोल रहे हैं।

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मंगलवार को अक्षय तृतीय के पावन पर्व पर गंगोत्री धाम में विधिवत हवन, पूजा-अर्चना, वैदिक मंत्रोच्चारण एवं धार्मिक रीति-रिवाजों साथ गंगोत्री के कपाट दोपहर 11.30 बजे खोले गए। वहीं, यमुनोत्री धाम के कपाट भी दोपहर 1.15 बजे श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए।  कपाट खुलने के अवसर पर श्रद्धालुओं ने गंगोत्री में गंगा के जयकारे लगाए। साथ ही गंगा स्नान किया तथा गंगोत्री के दर्शन किए। वहीं, केंद्रीय मंत्री उमा भारती बर्नीगाड़ पहुंची। यहां यमुना में उमा भारती ने स्नान किया। इसके बाद उमा भारती गंगोत्री पहुंचेगी।

यमुनोत्री में समस्याओं से पार पाने की चुनौती

विश्व प्रसिद्ध यमुनोत्री धाम के कपाट खुल गए हैं। इसी के साथ चारधाम यात्रा भी विधिवत शुरुआत हो गई है। लेकिन, विडंबना देखिए कि धाम में चुनौतियां ज्यों की त्यों बरकरार हैं। संचार, स्वास्थ्य, घोड़ा-खच्चर, डांडी-कंडी, सड़क व पैदल मार्ग से लेकर धाम में घाट, पुलिया व स्नान कुंड तक यात्रा व्यवस्थाएं दुरुस्त होने के दावों की कलई खोल रहे हैं। जानकीचट्टी में मंगलवार को एक तीर्थयात्री की हृदयगति रुकने मौत हो गई। बावजूद इसके अभी तक जानकीचट्टी व बड़कोट में हृदय रोग विशेषज्ञ की तैनाती नहीं हुई है। यात्रा मार्ग पर भी स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति अभी नहीं सुधरी है। वहीं, यमुनोत्री हाइवे पर नासूर बन चुके डाबरकोट डेंजर जोन का साया यात्रा पर लगातार मंडरा रहा है।

यमुना पथ पर भी मुश्किलें 

जानकीचट्टी से लेकर यमुनोत्री तक पांच किमी लंबे पैदल रास्ते को प्रशासन ने यमुना पथ का नाम दिया है। लेकिन, इस पैदल मार्ग पर अव्यवस्थाओं के चलते इस बार भी यात्रियों को खासी मुश्किलें झेलनी पड़ेंगी। कई स्थानों पर यह मार्ग खस्ताहाल स्थिति में है। मार्ग संकरा होने के कारण यात्रा सीजन पर यहां जाम के झाम से भी यात्रियों को जूझना पड़ेगा। बावजूद इसके प्रशासन ने यात्रियों को यमुना पथ पर सुविधाएं देने के लिए कोई ठोस इंतजाम नहीं किए हैं।

शौचालय और चेंजिंग रूम की परेशानी

यमुनोत्री धाम में यात्रियों के लिए पर्याप्त शौचालय नहीं हैं। घोड़ा पार्किंग के पास जिला पंचायत की ओर से बनवाया गया शौचालय तो यात्रा की दृष्टि से पर्याप्त नहीं है। यहां यात्रियों, घोड़ा-खच्चर व डंडी-कंडी संचालकों को खुले में शौच के लिए जाना पड़ता है। इसके अलावा यमुनोत्री में गर्म कुंड के पास महिलाओं के लिए न तो चेंजिंग रूम है और न वाश रूम की ही व्यवस्था है।

रोपवे की योजना केवल कागजों में 

यमुनोत्री धाम जाने के लिए वर्ष 2011 में पर्यटन विभाग ने रोपवे की योजना बनाई थी, जिसकी शासन से स्वीकृति भी मिल गई। लेकिन, 70 करोड़ का यह प्रोजेक्ट एक इंच भी आगे नहीं बढ़ पाया। ऐसे में यात्रियों के सामने पैदल मार्ग की चुनौतियां बरकरार रहेंगी।

पुनर्निर्माण की बाट जो रहा है यमुनोत्री धाम 

समुद्रतल से 3235 मीटर (10610 फीट) की ऊंचाई पर स्थित यमुनोत्री धाम में समय-समय पर आई छोटी-छोटी आपदाओं से बड़ा नुकसान हुआ है। बीते 15 वर्षों में यमुनोत्री धाम में चार आपदाएं आ चुकी हैं, जिनका दंश यह धाम अब तक झेल रहा है। बीते वर्ष जुलाई में आई आपदा ने तो यमुनोत्री का ही भूगोल ही बदल डाला। बावजूद इसके अभी तक धाम के पुनर्निर्माण को कोई मास्टर प्लान नहीं बना है। यात्रियों से लेकर तीर्थ पुरोहितों तक की मांग है कि जिस तरह से केदारनाथ धाम में पुनर्निर्माण कार्य हुए हैं, वैसे ही यहां भी किए जाने चाहिएं। बीते वर्ष जुलाई में यमुनोत्री धाम के पास यमुना नदी पर बनी मुख्य पैदल पुलिया, शौचालय, चेंजिंग रूम, काली कमली धर्मशाला की कैंटीन व चार कमरे, यमुनोत्री मंदिर समिति का कार्यालय, दो गेस्ट रूम, एक वीआइपी कक्ष और भंडार कक्ष यमुना की बाढ़ में समा गए थे। इसके बाद यमुनोत्री मंदिर परिसर में इतना स्थान नहीं बचा कि सौ श्रद्धालु वहां खड़े हो सकें।

सड़क की हालत भी खराब 

धरासू से लेकर सिलक्यारा और जंगलचट्टी के पास सुरंग व हाइवे चौड़ीकरण का कार्य चल रहा है। जो इस बार यात्रा में परेशानी का सबब बनेगा। ब्रह्मखाल क्षेत्र में यमुनोत्री हाइवे की स्थिति सबसे अधिक बदहाल है। यहां पैदल चलने वालों को भी खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। यात्रा शुरू होने पर तो इस मार्ग की स्थिति और अधिक खराब हो जाएगी। फूलचट्टी से लेकर जानकीचट्टी तक सड़क पूरी तरह कच्ची है और इस पर दलदल जैसी स्थिति बनी हुई है। जिससे आए दिन वाहन यहां फंस रहे हैं।

 

केदारनाथ मंदिर परिसर से पूरी तरह से हटाई गई बर्फ, नौ मई को खुलेंगे कपाट

केदारपुरी में व्यवस्थाएं तेजी से पटरी पर लौट रही हैं। श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के 30 श्रमिकों ने मंदिर के मुख्य परिसर और मंदिर के सामने वाले पैदल मार्ग से बर्फ पूरी तरह हटा दी है। इससे अब बाबा केदार के दर्शनों को आने वाले यात्रियों को परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा। केदारनाथ धाम के कपाट नौ मई सुबह 5.35 बजे खोले जाएंगे। केदारपुरी में मंदिर समिति की 43-सदस्यीय टीम गत 19 अप्रैल से यात्रा तैयारियों में जुटी हुई है। मंदिर परिसर में विद्युत आपूर्ति सुचारू करने के साथ ही पेयजल आपूर्ति भी बहाल हो चुकी है। चार मई तक मंदिर परिसर के सामने लगभग 1400 वर्ग मीटर क्षेत्र और मंदिर के आगे पैदल मार्ग से बर्फ पूरी तरह हटाई जा चुकी थी। इस कार्य में 15 दिन का समय लगा। हालांकि, अभी भी केदारपुरी का अधिकांश हिस्सा बर्फ से आच्छादित है और वहां तीन से चार फीट बर्फ मौजूद है। बावजूद इसके मंदिर समिति के कार्याधिकारी एनपी जमलोकी ने दावा किया कि यात्रा शुरू होने से पूर्व धाम में सारी व्यवस्थाएं दुरुस्त कर ली जाएंगी। इसके लिए युद्धस्तर पर कार्य चल रहा है।

यात्रियों को किराये पर 30 रुपये में मिलेगा रेनकोट

जिलाधिकारी रुद्रप्रयाग मंगेश घिल्डियाल ने बताया कि बरसाती पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के बाद प्रशासन के सहयोग से गौरीकुंड में व्यापारियों ने ईको डेवलपमेंट सोसायटी का गठन किया है। इसमें गौरीकुंड ग्रामसभा के नौ सदस्य शामिल हैं। यह समिति सात हजार रेनकोट खरीदेगी, जिन्हें 30 रुपये प्रति रेनकोट के हिसाब से यात्रियों को किराये पर दिया जाएगा। इससे जहां केदारपुरी साफ-सुधरी रहेगी, वहीं पर्यावरण को भी नुकसान से बचाया जा सकेगा।

इस बार केदारनाथ में ठहर सकेंगे 3000 से अधिक यात्री, बनेगी टैंट कॉलोनी

केदारनाथ धाम में इस बार तीन हजार से अधिक यात्री रात्रि विश्राम कर सकेंगे। इसके लिए गढ़वाल मंडल विकास निगम (जीएमवीएन) धाम में 200 अतिरिक्त टेंट लगा रहा है और 15 मई तक टेंट कॉलोनी बनकर तैयार हो जाएगी। निगम की पांच टीम टेंट कॉलोनी तैयार करने में जुटी हैं। विश्व प्रसिद्ध धाम केदारनाथ के कपाट नौ मई को देश-विदेश के श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोले जाएंगे। शीतकाल के दौरान हुई भारी बर्फबारी से केदारनाथ धाम में जीएमवीएन के 17 हट्स और 50 से ज्यादा टेंट क्षतिग्रस्त हुए हैं। इसके अलावा कई हट्स और टेंट अभी भी बर्फ के नीचे दबे हुए हैं। जीएमवीएन के महाप्रबंधक पर्यटन बीएल राणा ने बताया कि बीते वर्ष निगम की ओर से धाम में 2800 यात्रियों के ठहरने की व्यवस्था की गई थी। 

मगर, इस बार सौ पीवीसी, 20 कैनवास, 50 एसडीआरएफ व 30 निम (नेहरू पर्वतारोहरण संस्थान) के टेंट निगम यात्रा से पहले ही तैयार कर लेगा। ताकि, अतिरिक्त यात्रियों को भी धाम में किसी तरह की परेशानी न उठानी पड़े। इसके अलावा 50 टेंट रिजर्व में रखे जाएंगे, जिनका उपयोग यात्रियों की आमद बढ़ने पर किया जाएगा।

बदरीनाथ और केदारनाथ में स्‍थापित होंगे हाइपरबेरिक ऑक्सीजन चैंबर

बदरीनाथ-केदारनाथ की ऊंचाई साढ़े 11 हजार फीट से अधिक है। ऐसे में यहां अक्सर ही ऑक्सीजन की कमी बनी रहती है। उन लोगों को परेशानी होती है, जिनको हृदय या सांस संबंधी रोग होते हैं। आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2017 में चारधाम यात्रा के दौरान तकरीबन 112 यात्रियों की जान गई, जबकि 2018 में 106 लोगों की मौत हुई। इनमें न केवल दुर्घटनाओं बल्कि ब्लडप्रेशर, हार्ट अटैक, दमे की बीमारियों के कारण लोगों को जान गंवानी पड़ी थी। स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. रविंद्र थपिलयाल ने बताया कि किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए बदरीनाथ और केदारनाथ में हाइपरबेरिक ऑक्सीजन चैंबर बनवाए जा रहे हैं। इसमें ऑक्सीजन का प्रेशर मेंटेन रखा जाएगा। यहां पर जाकर इस तरह के लक्षण वाले व्यक्ति सामान्य महसूस कर सकेंगे।

बदरीनाथ धाम में साफ-सफाई का काम पूरा, थाने का संचालन भी शुरू

शीतकाल में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद थाने को भी यहां से 15 किलोमीटर दूर हनुमानचट्टी में स्थानांतरित कर दिया जाता है। चमोली के पुलिस अधीक्षक यशवंत सिंह चौहान ने बताया कि श्रमदान कर थाने से बर्फ हटाने के साथ ही साफ-सफाई की गई और पूजा पाठ के बाद यहां काम शुरू कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि यात्रियों की सहायता के लिए थाने में चार उप निरीक्षक, एक हेड कॉन्स्टेबल और चार कॉन्स्टेबल तैनात किए गए हैं। दूसरी ओर श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ ने बताया कि धाम में साफ-सफाई का काम पूरा कर लिया गया है। अब मंदिर के साथ ही होटल, धर्मशाला और गेस्ट हाऊस में रंग रोग का कार्य किया जा रहा है।

बदरीनाथ में भारी पड़ सकती है यात्रा व्यवस्थाओं की धीमी चाल

बदरीनाथ धाम की यात्रा शुरू होने में अब सिर्फ दो दिन बचे हैं, लेकिन यात्रा तैयारियां अभी भी आधी-अधूरी हैं। ऐसे में यदि कपाट खुलने के मौके पर यात्रियों की संख्या में इजाफा होता है तो उनके ठहरने की व्यवस्था चरमरा सकती है। हालांकि, श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति का दावा है कि यात्रियों को किसी तरह की दिक्कत पेश नहीं आने दी जाएगी। धाम में यात्रा तैयारियों पर नजर डालें तो मंदिर की साफ-सफाई के साथ रंग-रोगन भी कर दिया गया है। मंदिर समिति की आधी से अधिक धर्मशालाएं भी यात्रियों के स्वागत को तैयार हैं। उम्मीद है कि इस बार कपाट खुलने के मौके पर 15 हजार से अधिक यात्री धाम में मौजूद रहेंगे, जिन्हें ठहराना किसी चुनौती से कम नहीं होगा। कारण, अधिकतर धर्मशालाओं के संचालक अभी तक बदरीनाथ धाम नहीं पहुंचे हैं। 

रोटेशन चिकित्सकों के भरोसे यात्रा व्यवस्था 

इस बार स्वास्थ्य विभाग बदरीनाथ यात्रा रूट पर आधुनिक चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराने जा रहा है। इसके तहत यात्रा रूट पर 13 विशेषज्ञ चिकित्सकों समेत कुल 30 चिकित्सक तैनात करने की मांग की गई है, जो रोटेशन के आधार पर सेवाएं देंगे। जबकि, हकीकत यह है कि चमोली जिले में अब तक सिर्फ तीन चिकित्सकों की ही रोटेशन के आधार आमद हुई है। हालांकि, बदरीनाथ धाम स्थित चिकित्सालय में एक विशेषज्ञ चिकित्सक समेत दो चिकित्सकों की तैनाती कर दी गई है। चिकित्सा विभाग हृदय रोग जांच के लिए जिले में ऑटोमेटिक ईसीजी मशीन भी उपलब्ध करा रहा है। इन्हें बदरीनाथ, गोविंदघाट, जोशीमठ, पीपलकोटी, नंदप्रयाग, कर्णप्रयाग, गौचर व गोपेश्वर में तैनात चिकित्सक भी संचालित कर सकते हैं। अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. दिनेश चौहान ने बताया कि फिलहाल विभाग दस मशीनों की खरीद कर चुका है। साथ ही यात्रा रूट पर चिकित्सा स्टाफ की भी तैनाती की जा रही है।

बदरीनाथ के आधे हिस्से में पानी की सप्लाई शुरू 

धाम में ज्यादातर पेयजल लाइन सुचारू कर दी गई हैं। लेकिन, बदरीनाथ मुख्य मार्ग को छोड़कर कई अन्य स्थानों पर पानी की आपूर्ति की जानी बाकी है। जल संस्थान के अधिशासी अभियंता प्रवीन कुमार सैनी ने बताया कि हाइवे पर स्थित सार्वजनिक पेयजल टंकियों में भी आपूर्ति सुचारू कर दी गई है। साथ ही संस्थान के श्रमिक और तकनीकी फिटर भी धाम में तैनात हैं। अब विभाग को कनेक्शन लेने वाले उपभोक्ताओं का इंतजार है। 

ऊर्जा निगम ने बहाल की विद्युत आपूर्ति 

ऊर्जा निगम की ओर से धाम में मुख्य लाइन सहित प्रमुख स्थानों पर विद्युत आपूर्ति बहाल कर दी गई है। हालांकि, उपभोक्ताओं ने अभी कनेक्शन सुचारू नहीं किए हैं। निगम के अधिशासी अभियंता कैलाश कुमार ने बताया कि यात्रा रूट पर सभी जगह आपूर्ति सुचारू है।

बर्फबारी ने बढ़ाई मुश्किलें 

बदरीनाथ धाम में शीतकाल के दौरान हुई भारी बर्फबारी से परिसंपत्तियों को काफी नुकसान पहुंचा है, जिनकी मरम्मत में समय लग सकता है। लेकिन, जिस तरह अब तक रुक-रुककर बर्फबारी हो रही है, उससे यात्रियों के सामने मुश्किलें पेश आ सकती हैं। मौसम की इसी बेरुखी के चलते अभी तक अधिकतर व्यवसायी बदरीनाथ धाम नहीं पहुंचे हैं। इसके अलावा हनुमानचट्टी से बदरीनाथ धाम के बीच कई स्थानों पर यात्रियों को हिमखंडों के बीच से गुजरना पड़ेगा। 

संचार सेवाएं बहाल 

बदरीनाथ धाम में बीएसएनएल की मोबाइल सेवा सुचारू रहने से लोगों को काफी मदद मिली है। लेकिन, अभी निजी क्षेत्र की मोबाइल कंपनियों ने अपनी सेवाएं शुरू नहीं की हैं। 

परेशानी का सबब बनेंगे हाइवे के डेंजर जोन

बदरीनाथ हाइवे के चौड़ीकरण के कार्य से कई स्थानों पर भूस्खलन जोन उभर आए हैं। दशकों से परेशानी का सबब बने लामबगड़ भूस्खलन जोन का भी 98 करोड़ की लागत से हो रहा स्थायी ट्रीटमेंट कार्य भी अभी पूरा नहीं हो पाया है। ऐसे में बारिश के दौरान हाइवे पर आवाजाही अवरुद्ध होने के प्रबल आसार बने हुए हैं।

बीडी सिंह (सीईओ, श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति) का कहना है कि इस बार बदरीनाथ धाम में यात्रियों की संख्या में इजाफा होने की उम्मीद है। कपाट खुलने के उत्सव में भाग लेने के लिए यात्री खासे उत्साहित हैं। मंदिर समिति की ओर से कपाट खोलने की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। सिर्फ कुछ ही धर्मशालाओं में रंग-रोगन होना बाकी है।

स्वाति एस.भदौरिया (जिलाधिकारी चमोली) का कहना है कि बदरीनाथ धाम के अधिकतर हिस्सों में पेयजल व विद्युत आपूर्ति सुचारू है। प्रशासन ने समय से यात्रा व्यवस्थाएं जुटाने का कार्य पूरा कर लिया है। यात्रियों को कोई दिक्कत न हो, इसके लिए मूलभूत सुविधाओं को और बेहतर किया जा रहा है।

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