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Chardham Devasthanam Board: उत्तराखंड सरकार को ध्यानी समिति की अंतिम रिपोर्ट का इंतजार

Chardham Devasthanam Board बोर्ड के मामले में चल रहे गतिरोध को दूर करने के संबंध में प्रदेश सरकार दीपावली के बाद कोई निर्णय ले सकती है। इसके लिए राज्यसभा के पूर्व सदस्य मनोहरकांत ध्यानी की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति की अंतिम रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Tue, 02 Nov 2021 08:44 AM (IST)Updated: Tue, 02 Nov 2021 08:44 AM (IST)
उत्तराखंड सरकार को ध्यानी समिति की अंतिम रिपोर्ट का इंतजार।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। Chardham Devasthanam Board चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के मामले में चल रहे गतिरोध को दूर करने के संबंध में प्रदेश सरकार दीपावली के बाद कोई निर्णय ले सकती है। इसके लिए राज्यसभा के पूर्व सदस्य मनोहरकांत ध्यानी की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति की अंतिम रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है। साथ ही सरकार पूर्व में साफ कर चुकी है कि चारधाम के तीर्थ पुरोहितों और हक-हकूकधारियों के हितों पर कहीं कोई आंच नहीं आने दी जाएगी। देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को भी फिलहाल बदरीनाथ और केदारनाथ तक ही सीमित किया गया है।

त्रिवेंद्र सरकार के कार्यकाल में अस्तित्व में आए उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम और फिर इसके तहत गठित चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड का बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री के तीर्थ पुरोहित लगातार विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह चारधाम के हक-हकूकधारियों के हितों पर कुठाराघात है, लिहाजा बोर्ड को तत्काल भंग किया जाए। इसे देखते हुए समस्या के निदान के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पंडा पुरोहित समाज से आने वाले राज्यसभा के पूर्व सदस्य मनोहरकांत ध्यानी की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति गठित की। समिति को सभी पहलुओं का अध्ययन कर तीन माह में रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा गया। समिति ने दो माह पूरे होने पर हाल में अपनी अंतरिम रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपी थी।

सूत्रों के मुताबिक प्रदेश में आई आपदा और अब प्रधानमंत्री के केदारनाथ दौरे के मद्देनजर व्यस्तता के चलते अंतरिम रिपोर्ट के संबंध में उच्च स्तर पर गहन विमर्श नहीं हो पाया है। इसे देखते हुए समिति से अपेक्षा की गई कि वह जल्द ही अंतिम रिपोर्ट सरकार के समक्ष प्रस्तुत करे। इसके बाद सरकार सभी पहलुओं पर विमर्श कर निर्णय लेगी, ताकि देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को लेकर चला आ रहा गतिरोध दूर हो सके।

बीकेटीसी वाले कार्य कर रहा बोर्ड

देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के गठन से पहले बदरीनाथ व केदारनाथ धामों की व्यवस्था श्री बदरी-केदार मंदिर समिति (बीकेटीसी) संभालती थी। बोर्ड को लेकर तीर्थ पुरोहितों के बीच से उठ रहे विरोध के सुरों को देखते हुए सरकार ने बोर्ड को बदरीनाथ व केदारनाथ तक ही सीमित किया है। दोनों धामों में बोर्ड वही कार्य कर रहा है, जो पहले बीकेटीसी करता था। उसके जिम्मे धामों की साफ-सफाई, कार्मिकों के वेतन की व्यवस्था संबंधी कार्य हैं। गंगोत्री व यमुनोत्री धामों की व्यवस्था में बोर्ड का कोई दखल नहीं है। देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के सीईओ रविनाथ रमन के अनुसार गंगोत्री व यमुनोत्री में उपजिलाधिकारी के नियंत्रण में ही व्यवस्था है।

मुख्यमंत्री तक पहुंचाएंगे तीर्थ पुरोहितों की भावनाएं

सोमवार को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक, कैबिनेट मंत्री डा धन सिंह रावत और पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का अचानक केदारनाथ पहुंचना चर्चा का विषय बना रहा। उन्हें केदारनाथ में तीर्थ पुरोहितों के आक्रोश का सामना करना पड़ा। हालांकि, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष कौशिक ने बताया कि प्रधानमंत्री के पांच नवंबर के केदारनाथ दौरे को देखते हुए वह और कैबिनेट मंत्री डा धन सिंह रावत तैयारियों का जायजा लेने केदारनाथ गए थे। जब वह मंदिर में दर्शन कर लौट रहे थे, तब पूर्व मुख्यमंत्री रावत वहां पहुंचे। कौशिक ने बताया कि तीर्थ पुरोहितों व हक-हकूकधारियों ने उनके समक्ष अपनी बात रखी। उन्होंने तीर्थ पुरोहितों को विश्वास दिलाया कि वह उनकी भावनाओं को मुख्यमंत्री तक पहुंचाएंगे।

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