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केदारनाथ में पूर्व सीएम त्रिवेंद्र, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष कौशिक व कैबिनेट मंत्री धन सिंह का विरोध; देवस्थानम बोर्ड को लेकर रोष में तीर्थ पुरोहित

Chardham Devasthanam Board पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत रुद्रप्रयाग के दौरे पर हैं। केदारनाथ धाम पहुंचने पर तीर्थ पुरोहितों ने उनका भारी विरोध किया। इसके चलते पूर्व सीएम बाबा केदार के दर्शनों के बिना ही वापस लौट गए।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Mon, 01 Nov 2021 10:54 AM (IST)Updated: Mon, 01 Nov 2021 10:51 PM (IST)
केदारनाथ में पूर्व सीएम त्रिवेंद्र, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष कौशिक व कैबिनेट मंत्री धन सिंह का विरोध; देवस्थानम बोर्ड को लेकर रोष में तीर्थ पुरोहित
पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत ने भारी विरोध के बीच ही किए बाबा केदार के दर्शन।

जागरण संवाददाता, रुद्रप्रयाग। Chardham Devasthanam Board उत्तराखंड चार धाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड भंग करने की मांग कर रहे तीर्थ पुरोहितों ने केदारनाथ पहुंचे भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक, पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और कैबिनेट मंत्री धन सिंह का जबरदस्त विरोध किया। एक घंटे तक तीनों नेताओं का घेराव किया और खरी-खोटी सुनाई। इसके चलते त्रिवेंद्र सिंह रावत मंदिर तक नहीं पहुंच पाए। इसके बाद कुछ देर गढ़वाल मंडल विकास निगम के विश्राम गृह में ठहरने के बाद वह लौट गए। वहीं मदन कौशिक और धन सिंह विरोध से पहले बाबा केदार के दर्शन कर चुके थे। तीर्थ पुरोहितों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के केदारनाथ दौरे के विरोध की भी घोषणा की है। प्रधानमंत्री के पांच नवंबर को प्रस्तावित केदारनाथ दौरे के ऐन पहले हुए इस घटनाक्रम से सरकार और पार्टी भी असहज महसूस कर रही है।

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बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री में तीर्थ पुरोहित लंबे समय से आंदोलन कर रहे हैं। तीर्थ पुरोहितों का आरोप है कि पिछले दिनों मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उन्हें आश्वस्त किया था कि 30 अक्तूबर तक इस मामले में कोई न कोई निर्णय कर लिया जाएगा, लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया है। गौरतलब है कि बोर्ड का गठन त्रिवेंद्र सिंह रावत के मुख्यमंत्रित्व काल में हुआ था।

सोमवार को पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत सुबह करीब आठ बजे हेलीकाप्टर से केदारनाथ पहुंचे। वह हेलीपैड से मंदिर की ओर रवाना हुए। जैसे ही इसकी सूचना तीर्थ पुरोहितों को मिली, वे मंदाकिनी और सरस्वती नदी के संगम पर बने पुल के पास एकत्रित हो गए। उन्होंने त्रिवेंद्र को यहां से आगे नहीं बढ़ने दिया। नारेबाजी करते हुए तीर्थ पुरोहितों ने आरोप लगाया कि उन्होंने हक-हकूकधारियों को विश्वास में लिया बिना ही बोर्ड का गठन किया है। हालांकि पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों ने पूर्व मुख्यमंत्री को मंदिर तक ले जाने का प्रयास किया, लेकिन विरोध के चलते वे भी सफल नहीं हो पाए। बाद में त्रिवेंद विश्राम गृह लौट आए और दोपहर बाद दो बजे वहां से लौट गए। त्रिवेंद्र ने ट्वीट किया कि 'बाबा केदार के अंतर्दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त किया।'

दूसरी ओर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक व कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत भी सुबह लगभग साढ़े दस बजे केदारनाथ धाम पहुंचे। वीवीआइपी हेलीपैड पर उतरने के बाद दोनों सीधे मंदिर पहुंचे और बाबा केदार के दर्शन किए। जब ये लोग मंदिर से बाहर आए तो तीर्थपुरोहित मंदिर परिसर में पहुंच गए और दोनों को घेर लिया। करीब डेढ़ घंटे तक दोनों नेता वहां से नहीं निकल पाए। बाद में कौशिक ने तीर्थ पुरोहितों को आश्वस्त किया कि उनकी बात मुख्यमंत्री तक पहुंचाई जाएगी। इसके बाद मामला शांत हुआ। केदारनाथ में तीर्थ पुरोहितों के संगठन केदार सभा के अध्यक्ष विनोद शुक्ला ने कहा कि देवस्थानम बोर्ड भंग करने के लिए अब अंतिम लड़ाई लड़ी जाएगी। कहा कि केदारनाथ आने वाले सभी भाजपा नेताओं का विरोध किया जाएगा, फिर चाहे प्रधानमंत्री ही क्यों न हों। तीर्थ पुरोहितों ने आरोप लगाया कि कैबिनेट मंत्री धन सिंह ने एक तीर्थ पुरोहित के साथ अभद्रता भी की है।

गंगोत्री व यमुनोत्री में तीर्थ पुरोहितों ने घाटों पर नहीं की पूजा

चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के विरोध का असर गंगोत्री और यमुनोत्री धाम में भी दिखा। गंगोत्री और यमुनोत्री धाम में व्यापारियों ने बाजार बंद रखा। इससे यात्रियों को गंगा जल के लिए पात्र तक नहीं मिल पाया। गंगोत्री व यमुनोत्री मंदिर में तो नियमित पूजा की गई, लेकिन तीर्थ पुरोहित श्रद्धालु के आग्रह पर होने वाली गंगा घाट पूजा व विशेष पूजा पाठ से विरत रहे। गंगोत्री मंदिर समिति के अध्यक्ष सुरेश सेमवाल ने आरोप लगाया कि सरकार अब तीर्थ पुरोहितों को भ्रमित कर रही है।

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