कांग्रेस और भाजपा के बीच सियासी घमासान का मुद्दा बना चारधाम
उत्तराखंड में आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा को सत्तारूढ़ कांग्रेस की काट के लिए एक बड़ा सियासी हथियार मिल गया। दिलचस्प बात यह कि यह मुद्दा सियासत नहीं, अपितु तीर्थाटन से जुड़ा है।
देहरादून, [विकास धूलिया]: उत्तराखंड में स्थित चार धाम की महत्ता यूं तो हिंदू धर्मावलंबियों के लिए पहले से ही है लेकिन अब यह कांग्रेस और भाजपा के बीच सियासी घमासान का भी मुद्दा बन गया है। जून 2013 की भयावह प्राकृतिक आपदा के बाद चारधाम, खासकर केदारनाथ में पुनर्निर्माण कार्यों और पर्यटन-तीर्थाटन को पटरी पर लाने के लिए मुख्यमंत्री की मशक्कत ने वाहवाही बटोरी तो अब प्रधानमंत्री ने चारधाम को जोड़ने के लिए 12 हजार करोड़ की महत्वाकांक्षी ऑल वेदर रोड का शिलान्यास कर भाजपा को इस मोर्चे पर बढ़त दिला दी।
देवभूमि उत्तराखंड में आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा को सत्तारूढ़ कांग्रेस की काट के लिए एक बड़ा सियासी हथियार मिल गया। दिलचस्प बात यह कि यह मुद्दा सियासत नहीं, अपितु तीर्थाटन से जुड़ा है। साढ़े तीन साल पहले, जून 2013 में उत्तराखंड केदारनाथ में भीषण प्राकृतिक त्रासदी से रूबरू हुआ और इसके निशान आज भी बाकी हैं। पर्यटन और तीर्थाटन उत्तराखंड की आर्थिकी की रीढ़ माने जाते हैं और इस त्रासदी ने सबसे ज्यादा असर इसी क्षेत्र पर किया। आपदा के भय से चार धाम यात्रा तो प्रभावित हुई ही, पर्यटन उद्योग भी लगभग चौपट होकर रह गया।
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प्रदेश सरकार और खासकर मुख्यमंत्री हरीश रावत की पहल के बाद न केवल तीन साल में उत्तराखंड इस सदमे से उबर गया, बल्कि पर्यटन और तीर्थाटन पूरी तरह पटरी पर लौट आया। केदारनाथ में पुनर्निर्माण कार्यों और आपदा प्रभावितों के पुनर्वास के प्रयासों को लेकर प्रदेश की रावत सरकार सफल रही और इसके लिए उसे सराहना भी मिली। स्वयं मुख्यमंत्री हरीश रावत अपने लगभग पौने तीन साल के कार्यकाल में तीस से ज्यादा दौरे केदारनाथ के कर चुके हैं। अपनी इस सफलता को मुख्यमंत्री सुनियोजित तरीके से कैश भी करते रहे हैं और कांग्रेस आगामी विधानसभा चुनाव में इसे अपनी एक बड़ी उपलब्धि के रूप में प्रचारित करने की तैयारी में भी है।
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इस मोर्चे पर अब तक आगे नजर आ रही कांग्रेस को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक झटके से बैकफुट पर ला दिया। मंगलवार को देहरादून में चारधाम ऑल वेदर रोड के शिलान्यास के बाद भाजपा की परिवर्तन महारैली में उन्होंने इसे केदारनाथ आपदा में जान गंवाने वाले लोगों को समर्पित करते हुए इसे उनके प्रति श्रद्धांजलि बताया। सुरक्षित चारधाम यात्रा के लिए इस परियोजना की तैयारियों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि अब श्रद्धालु बेफिक्र और तमाम चिंताओं से मुक्त होकर तीर्थ कर सकते हैं। वह यह कहना भी नहीं भूले कि जिस तरह पुराने समय में माता-पिता को तीर्थयात्रा कराने को श्रवण को याद किया जाता है, आने वाले दिनों में भी श्रवण को याद करेंगे। यह उन्होंने स्वयं के लिए कहा।
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प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन की शुरुआत ही चार धाम के जिक्र से की और फिर ज्यों-ज्यों आगे बढ़ते गए, साफ हो गया कि आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा चारधाम को एक बड़ा मुद्दा बनाने जा रही है। इस स्थिति में अब तक कांग्रेस के लिए बड़ी उपलब्धि रहे चार धाम से जुड़े पुनर्निर्माण कार्य और चार धाम को जोड़ने वाली ऑल वेदर रोड पर जनमत किसके पक्ष में रुझान दिखाता है, यह देखना दिलचस्प रहेगा।
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