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    नहीं रहीं मसूरी की स्वर कोकिला चंद्रलेखा

    By JagranEdited By:
    Updated: Sun, 26 Dec 2021 07:32 PM (IST)

    स्वर कोकिला के नाम से मसूरी में पहचान रखने वाली चंद्रलेखा त्रिपाठी चांद दीदी नहीं रहीं। 80 साल की उम्र में उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया। ...और पढ़ें

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    नहीं रहीं मसूरी की स्वर कोकिला चंद्रलेखा

    संवाद सहयोगी, मसूरी: स्वर कोकिला के नाम से मसूरी में पहचान रखने वाली चंद्रलेखा त्रिपाठी 'चांद दीदी' नहीं रहीं। 80 साल की उम्र में उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया। उनके निधन से समूचे मसूरी क्षेत्र में शोक की लहर है और संगीत जगत के लिए यह अपूर्णीय क्षति से कम नहीं। आजीवन संगीत के प्रति समर्पित रहीं चंद्रलेखा ने राष्ट्रपति पुरस्कार भी प्राप्त किया था।

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    चंद्रलेखा त्रिपाठी का जन्म आठ मई 1941 को मसूरी में ही हुआ था। यहां ग‌र्ल्स इंटर कालेज में उन्होंने शिक्षा प्राप्त की और बाद में कालेज में ही संगीत शिक्षक के रूप में सेवा दी। ताउम्र अविवाहित रहीं चंद्रलेखा ने सिर्फ संगीत को ही अपना पूरा समय दिया। सिने अभिनेता पद्मश्री टाम आल्टर, मीना राणा, आवाज पंजाब द फेम मनु वंदना समेत तमाम व्यक्तियों ने उनसे संगीत की शिक्षा प्राप्त की। संगीत के प्रति उनके समर्पण को देखते हुए वर्ष 2001 में उन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार दिया गया था। साथ ही चंद्र कुंवर बत्र्वाल शोध संस्थान मसूरी समेत तमाम राज्य स्तरीय पुरस्कार भी उन्हें प्राप्त हुए। चंद्रलेखा त्रिपाठी का संगीत का सफर सेवानिवृत्ति के बाद भी जारी रहा और वह तमाम छात्रों को निश्शुल्क संगीत की शिक्षा देती रहीं। मसूरी शरदोत्सव व विंटरलाइन कार्निवाल समेत तमाम कार्यक्रमों में भी वह अपने संगीत का जादू दिखाती रहीं थी।

    चंद्रलेखा मसूरी में अपने भाई शिक्षाविद् नवीन त्रिपाठी तथा बीएसएफ से सेवानिवृत आईजी मनोरंजन त्रिपाठी के साथ मलिगार में रहती थीं। उन्होंने बताया कि रविवार देर रात बहन की तबीयत अचानक बिगड़ने लगी थी और प्रथम पहर में करीब तीन बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। मसूरी विधायक गणेश जोशी, नगरपालिकाध्यक्ष अनुज गुप्ता, पूर्व पालिकाध्यक्ष मनमोहन सिंह मल्ल, पूर्व विधायक जोत सिंह गुनसोला, मसूरी ग‌र्ल्स इंटर कॉलेज की प्रधानाचार्या अनीता डबराल, प्रबंधक मनोज शैली, आरएनबी इंटर कालेज के प्रधानाचार्य अनुज तायल, लंढौर छावनी परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष महेश चंद सहित अनेक शहरवासियों ने मलिंगार स्थित आवास पर स्वर कोकिला चंद्रलेखा के अंतिम दर्शन किए। इसके बाद पार्थिव शरीर को हरिद्वार ले जाया गया और अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी की गई।