शिक्षा निदेशक के आदेश का विरोध करते हुए उसे दी चुनौती
उत्तराखंड प्राचार्य परिषद ने उच्च शिक्षा निदेशक के आदेश का विरोध करते हुए उसे चुनौती दी है। निर्णय लिया कि परिषद इस मुद्दे को प्रमुख सचिव के समक्ष उठाएगी।
देहरादून, जेएनएन। उत्तराखंड प्राचार्य परिषद ने उच्च शिक्षा निदेशक के आदेश का विरोध करते हुए उसे चुनौती दी है। निर्णय लिया कि परिषद इस मुद्दे को प्रमुख सचिव के समक्ष उठाएगी।
बुधवार को उत्तराखंड प्राचार्य परिषद के अध्यक्ष व एसजीआरआर पीजी कॉलेज के प्राचार्य प्रो. वीए बोड़ाई की अध्यक्षता में ऑनलाइन बैठक हुई। बैठक में उच्च शिक्षा निदेशक की ओर से छह जुलाई को जारी किए गए आदेश की समीक्षा की गई। आदेश में सभी शिक्षकों व कार्मिकों को महाविद्यालयों में उपस्थित रहने व सुबह-शाम, दो बार हस्ताक्षर के लिए निर्देशित किया गया है। प्राचार्य प्रो. वीए बोड़ाई ने कहा कि निदेशक के पत्र से भ्रम की स्थिति पैदा हुई है। पत्र में उन्होंने पहले पैराग्राफ में मुख्यालय में उपस्थिति को अनिवार्य बताया है। दूसरे पैराग्राफ में महाविद्यालय में उपस्थिति के लिए निर्देशित किया है। इससे भ्रम भी पैदा हो रहा है।
कहा कि उच्च शिक्षा निदेशक का निर्णय केंद्र व राज्य सरकार के कोविड-19 नियमों के विपरीत है। प्राचार्य परिषद के महासचिव व डीएवी पीजी कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अजय सक्सेना ने कहा कि उच्च शिक्षा निदेशक का आदेश मुख्य सचिव की ओर से जारी किए गए आदेशों के विपरीत है। मुख्य सचिव ने लॉकडाउन-2 के क्रम में जारी आदेशों में स्पष्ट किया है कि प्रदेश की कोई भी शिक्षण संस्था 31 जुलाई से पूर्व नहीं खोली जा सकती।
निदेशालय के कई पत्र मानक के अनुरूप नहीं
प्राचार्य परिषद की सदस्य व डब्ल्यूआइटी की प्राचार्य प्रो. आरती दीक्षित ने कहा कि उच्च शिक्षा निदेशालय के स्तर से जारी होने वाले पत्रों की भाषा कई बार मानकों के अनुरूप नहीं होती।
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डॉ. कुमकुम रौतेला (उच्च शिक्षा निदेशक) का कहना है कि 30 जून को अनलॉक-2 में केंद्र के मुख्य सचिव की ओर से गाइडलाइन जारी हुई थी, लेकिन राज्य के मुख्य सचिव की ओर से इस बारे में उच्च शिक्षा निदेशालय को कोई पत्र नहीं मिला है, जबकि हमें राज्य सरकार की ओर से तय किए गए नियमों का पालन करना है। सरकार के नियमों के तहत ही कॉलेजों को आदेश जारी किया है।
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